1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारत में आज से विधान सभा चुनाव

२८ जनवरी २०१२

आज भारत के पांच प्रांतों में चुनाव शुरू हुए हैं, जिसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार की लोकप्रियता का परीक्षण होना है. साथ ही कांग्रेस पार्टी के युवा नेता राहुल गांधी के चुनावी करिश्मे की भी परीक्षा है.

https://p.dw.com/p/13sIF
तस्वीर: AP

नेहरू गांधी राजनीतिक वंश के राजकुमार राहुल गांधी को इन चुनावों के प्रचार अभियान में कांग्रेस पार्टी ने प्रमुख जगह दी है. भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रही मनमोहन सिंह की कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार को भंवर से निकालने की जिम्मेदारी राहुल गांधी की है. आजादी के बाद भारत पर कांग्रेस पार्टी ने ही सबसे ज्यादा सालों तक राज किया है.

राजकुमार की परीक्षा

राहुल गांधी ने अपने गृह राज्य उत्तर प्रदेश के अलावा पड़ोसी उत्तराखंड और पंजाब में जमकर चुनाव प्रचार किया है. उत्तर प्रदेश में उनका अपना संसदीय चुनाव क्षेत्र भी है. अपनी ओर से 41 वर्षीय पार्टी नेता ने, जिन्हें देश का भावी प्रधानमंत्री कहा जाता है, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन का आरोप झेल रही पार्टी की अच्छी मार्केटिंग की है.राजनीतिक विश्लेषक उदय भास्कर कहते हैं कि अगर वे अपनी पार्टी का प्रदर्शन 2007 की तुलना में बेहतर करवा पाते हैं तो वे राजनीतिक वियाग्रा पाने की उम्मीद कर सकते हैं. उका कहना है कि राहुल गांधी का टेस्ट किया जा रहा है.

Rahul Gandhi
तस्वीर: UNI

राष्ट्रीय स्तर पर धर्मनिरपेक्ष ताकत समझी जाने वाली कांग्रेस पार्टी की जड़ें देश के आजादी के आंदोलन में हैं, लेकिन पिछले दशकों में क्षेत्रीय पार्टियों के उदय से उसका प्रभुत्व कमजोर पड़ा है. उनमें से एक करिश्माई दलित नेता मायावती की बहुजन समाज पार्टी है, जिसने 2007 के चुनावों में दलितों के समर्थन से चुनाव भारी बहुमत से जीत लिया.

उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजे केंद्र सरकार को प्रभावित करते हैं. जातियों के नाम पर वोट देने वाले मतदाता उत्तर प्रदेश में जो करेंगे उसका असर राष्ट्रीय स्तर पर होगा. 2014 में होने वाले अगले संसदीय चुनावों में 552 सदस्यों वाली संसद में उत्तर प्रदेश से 80 सांसद चुने जाएंगे.

सेंटर ऑफ पॉलिसी रिसर्च के प्रमुख के सी शिवरामाकृष्णन कहते हैं, "हमारे पिछले सभी चुनावों में उत्तर प्रदेश ने सरकार के गठन में महत्वपू्र्ण असर दिखाया है. उसने किसी दूसरे राज्य की तुलना में सबसे ज्यादा हलचल पैदा की है."

शुरुआत मणिपुर से

हालांकि चुनावों की शुरुआत उत्तर प्रदेश से नहीं हो रही है. वहां कई चरणों में होने वाले चुनाव 8 फरवरी से शुरु होंगे. आज सुदूर पूर्व में म्यांमार, बांग्लादेश और चीन के करीब स्थित प्रांत मणिपुर में चुनाव हो रहा है. इस गरीब और हिंसा से प्रभावित प्रांत में कांग्रेस सिर्फ एक बार 1984 में चुनाव हारी है और इस बार भी उसके जीतने की संभावना है.

Indien Lal Krishna Advani

अगले चुनाव सोमवार को पंजाब और उत्तराखंड में होंगे. राजनीतिक प्रेक्षकों का अनुमान है कि कृषि प्रांत पंजाब और पर्वतीय उत्तराखंड में वह विपक्ष से सत्ता वापस जीत लेगी. दोनों ही प्रांतों में कांग्रेस पार्टी बहुत छोटे अंतर से 2007 के चुनाव हारी थी.

सबसे आखिर में 3 फरवरी को गोवा में चुनाव होंगे. यह ऐतिहासिक तौर पर कांग्रेस का गढ़ रहा है और इस समय कांग्रेस वहां गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही है. डीएनए दैनिक के संपादकीय सलाहकार वेंकटेश्वर राव का मानना है कि कांग्रेस मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड में चुनाव जीत लेगी जबकि गोवा और उत्तर प्रदेश में हार जाएगी.

इन नतीजों का प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार की समस्याओं से कुछ लेना देना नहीं होगा. भ्रष्टाचार कांड, सत्ताधारी गठबंधन की मुश्किलें और भंवर में पड़े सुधार एजेंडे ने मनमोहन सिंह की सरकार की साथ को नुकसान पहुंचाया है. लेकिन राव का कहना है कि प्रांतीय चुनावों में इनका शायद ही कोई असर होगा. लोग बिजली की आपूर्ति या सड़कों की हालत को लेकर ज्यादा चिंतित हैं. राव का मानना है कि भ्रष्टाचार कांडों की 2014 के संसदीय चुनावों में भूमिका हो सकती है.

रिपोर्ट: एएफपी/महेश झा

संपादन: एम गोपालकृष्णन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी