"भारत पाक में बढ़ेगा टकराव"
१४ अगस्त २०१३भारत के खुफिया तंत्र का मानना है कि कश्मीर में मौजूदा संघर्ष से तीन दिन पहले जलालाबाद में भारतीय कंसुलेट के पास आतंकी हमला हुआ और इसमें कहीं न कहीं पाकिस्तान का हाथ हो सकता है. कई इस्लामी संगठनों ने पहले ही भारत में हमले की चेतावनी दे रखी है.
पाकिस्तान के लश्करे तैयबा ने दावा किया है कि वे एक बार फिर से भारतीय हिस्से वाले कश्मीर में हिंसा फैलाने की तैयारी कर रहे हैं. भारत का दावा है कि 26/11 वाले मुंबई के आतंकवादी हमले में लश्कर का ही हाथ था, जिसमें 166 लोग मारे गए.
अफगानिस्तान में हाल के हमले के बारे में एक अमेरिकी सुरक्षा जानकार का कहना है, "लश्कर के लिए भारत को निशाना बनाना पहला उद्देश्य है और अपने ही पिछवाड़े में यह काम करना आसान है."
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने लश्कर के एक प्रवक्ता के हवाले से कहा है कि "यह सच है कि लश्कर के लड़ाके अफगान तालिबान को उस वक्त मदद करते हैं, जब बात भारतीय संगठनों पर हमले की होती है."
कठिन पड़ोसी
दुनिया भर से आरोप लगते रहे हैं कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आतंकवादियों का समर्थन करती है. इस बीच तनाव बढ़ाते हुए दोनों देशों की सेनाएं भी इन दिनों सरहद पर एक दूसरे पर संगीने ताने हुई हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच 1947 से तीन बड़े युद्ध हो चुके हैं, जबकि 1999 में भी दोनों देश जंग के बेहद पास पहुंच चुके थे. दोनों देशों की आबादी पूरे विश्व की लगभग एक चौथाई है और दोनों परमाणु ताकत से संपन्न हैं, जो इनकी स्थिरता को विश्व शांति के लिए अहम बनाता है.
लश्कर के प्रमुख हाफिज सईद ने हाल ही में एक पत्रिका को दिए इंटरव्यू में कहा है, "अमेरिका की फौजों के हटते ही कश्मीर में पूरी तरह सशस्त्र जिहाद शुरू किया जाएगा." इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि भी है. 1989 में रूसी सेना के अफगानिस्तान से हटने के बाद मुट्ठी भर गुरिल्ला छापामारों ने कश्मीर में हिंसा शुरू की थी, जो बाद में तेजी से बढ़ती गई.
भारत के खुफिया संगठन रॉ के एक अधिकारी का कहना है, "अमेरिकी जैसे ही अफगानिस्तान से हटेंगे, पाकिस्तान के जिहादी संगठनों पर से भी अंकुश हटेगा. हम हर हाल में 2014 को लेकर चिंतित हैं. अगर जिहादी अफगानिस्तान में कामयाब हुए, तो उनका ध्यान हमारी तरफ आएगा. अगर नाकाम हुए, तो हम पर गुस्सा निकालने की कोशिश करेंगे." अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो सेना अगले साल के आखिर में अफगानिस्तान छोड़ देगी.
हालांकि पाकिस्तान की अपनी तरह की परेशानियां हैं. वह एक तरफ भारत और दूसरी तरफ अफगानिस्तान से सीमा बांटता है और अफगानिस्तान में भारत की बढ़ती पूछ से बेचैन है. विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है, "हमारे ऊपर जो आरोप लगते हैं, वे अजीब हैं."
मौजूदा तनाव
पिछले हफ्ते भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव उस वक्त बढ़ गया, जब सीमा पर गोली बारी शुरू हो गई और भारत का आरोप है कि पाकिस्तान की सेना ने उनके जवानों की हत्या कर दी.
भारत के लिए लश्करे तैयबा हमेशा से बड़ा खतरा रहा है, जिसकी स्थापना 1990 में हाफिज सईद ने अफगानिस्तान में की थी. सईद पर मुंबई हमले की साजिश रचने का भी आरोप है. अमेरिका ने उस पर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है लेकिन वह पाकिस्तान में खुला घूमता है. पिछले हफ्ते ही उसने एक विशाल जनसमूह को संबोधित किया.
हालांकि लश्कर पूरी दुनिया में सक्रिय होना चाहता है लेकिन उसका पहला मकसद कश्मीर को "भारत के चंगुल से छुड़ाना" है. इस काम के लिए वह दुनिया भर के दूसरे आतंकवादी संगठनों से भी मदद ले रहा है. इसके एक सदस्य का कहना है, "यूनाइटेड जिहाद काउंसिल के तहत कई संगठन मिल कर काम कर रहे हैं."
पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत के साथ रिश्ते बेहतर करने की बात कही. लेकिन उनके सत्ता में आने के साथ ही दोनों देशों में तनाव शुरू हो गया. समझा जाता है कि शरीफ अगले महीने संयुक्त राष्ट्र महासम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री से मिल सकते हैं.
दोनों देशों के बीच कश्मीर विवाद की जड़ है और पाकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनयिक का कहना है, "सीमा के दोनों पार खेल खराब करने वाले बैठे हैं, जो शांति नहीं देखना चाहते हैं."
एजेए/एमजे (रॉयटर्स)