भारत चीन विवाद का असर जी20 में भी दिखेगा
६ जुलाई २०१७जी-20 में शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी की अलग से मुलाकात के बारे में पूछने पर गुरुवार को चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने बीजिंग में कहा, "फिलहाल इसके लिए उपयुक्त वातावरण नहीं है." शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी जी20 की बैठक के दौरान जरूर मिलेंगे और दूसरे नेताओं के साथ उनकी अकेले में मुलाकात होनी है लेकिन आपस में वे शायद अलग से नहीं मिलेंगे.
भारत और चीन के बीच 3,500 किलोमीटर लंबी साझी सीमा में विवाद के कई मसले हैं. पिछले महीने भारत, चीन और भूटान की सीमा पर एक पठार को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव आ गया है. चीन और भूटान इस इलाके को डोकलाम कहते हैं जबकि भारत इसे डोका ला पुकारता है. चीन का दावा है कि भारतीय सेना चीन भारत सीमा पीर कर चीनी इलाके में आ गयी है और उसने चीनी सीमा सुरक्षा बल के रोजमर्रा के कामकाज में बाधा डाली है. उसने भारत से कहा है कि वह अपने सैनिक वापस बुलाए.
उधर भारत का दावा है कि चीनी सेना ने घुसपैठ कर भूटान के एक इलाके में सड़क बनाने की कोशिश की है. दोनों सेनाएं उस संकरी घाटी में उलझ रही हैं जो भारत को भूटान से अलग करता है और जिस पर चीन का कब्जा है. भारत के लिए इस घाटी का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह उसे सुदूर पूर्वोत्तर इलाकों से जोड़ता है.
भारत का कहना है कि उसने चीन को चेतावनी दी है कि सीमा पर सड़क बनाने से सुरक्षा स्थिति पर गहरा असर पड़ेगा.
भारतीय सेना ने भूटान के साथ मिल कर "चीनी सेना से अपनी हद में" रहने को कहा है. गुरुवार को चीन ने कहा कि सड़क बनाने से रोकने के बहाने भारतीय सेना का सीमा पार करना बेतुका है. चीन ने भारत पर इलाके में अपनी सेना जमा करने का भी आरोप लगाया है. चीनी विदेश मत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने रोजाना होने वाली ब्रीफिंग के दौरान कहा, "भारत अपने सैनिकों को अपने इलाके में बुलाए ताकि स्थिति को गंभीर होने से रोका जा सके." चीन ने यह भी कहा है कि उसे नहीं समझ में आ रहा है कि सड़क बनने में भारत को क्या आपत्ति है. इसके साथ ही चीन ने यह भी कहा है उसे पूरा हक है कि वह अपने इलाके में सड़क बनाए.
गेंग ने यह भी कहा, "बीते कुछ सालों में दरअसल भारत ने सिक्किम सेक्टर में भारत चीन सीमा पर कई निर्माण किये हैं और बड़ी संख्या में अपनी फौज तैनात कर रहा है." चीनी प्रवक्ता का कहना है कि भारत ने कई सैन्य परिसर भी खड़े कर लिये हैं. गेंग ने कहा, "मुझे नहीं पता कि भारत ने इन निर्माणों को खड़ा करते वक्त चीन की सुरक्षा चिंताओं के बारे में सोचा या नहीं."
भारत और चीन के बीच बीते कुछ महीनों में कई बार तूतू मैंमैं की नौबत आयी है. पिछले दिनों चीन ने तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा के अरुणाचल दौरे को लेकर भारत से सख्त विरोध जताया. भारत ने इसे अपना अंदरूनी मामला कहा.
चीन भारत के उस रुख से भी नाराज हुआ जब उसने चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना वन बेल्ट वन रोड में शामिल होने से इनकार कर दिया. इस परियोजना में भारत का चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान खूब बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहा है. भारत चीन से इसलिए रूठा हुआ है क्योंकि उसने संयुक्त राष्ट्र में स्थायी सदस्यता और पाकिस्तानी चरमपंथी मसूद अजहर को आतंकवादी घोषित कराने की राह में बाधा खड़ी कर रहा है. इसके अलावा उसने न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप (एनएसजी) में भी भारत को शामिल करने का विरोध किया है. मौजूदा तनाव के बाद चीन ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए इस्तेमाल होने वाले एक रास्ते को भी बंद कर दिया है.
भारत, चीन और भूटान की सीमा पर जिस पठार को लेकर विवाद हुआ है उसके बारे में चीन ने पत्रकारों को ऐतिहासिक दस्तावेज भी दिखाये है और उसका कहना है कि वह अपने दावे को सच साबित कर सकता है.
हालांकि इसके बाद भी दोनों तरफ से जुबानी जंग जारी है. चीनी अधिकारी भारत को 1962 के युद्ध की याद दिला रहे हैं जिसमें भारत को अपमान का घूंट पीना पड़ा था तो दूसरी तरफ भारत के रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने कहा है, "2017 का भारत 1962 के भारत से बहुत अलग है." रक्षा मंत्री शायद हाल के वर्षों में भारत की बढ़ी सैन्य क्षमता का अहसास दिलाना चाहते हैं.
दोनों देशों की मीडिया भी नेताओं और अधिकारियों के बयानों को खूब बढ़ा चढ़ा कर दिखा रही है. दिल्ली के ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के फेलो अभिजनान रेज का कहना है कि भारत को इस मामले का "हल ढूंढना चाहिए" क्योंकि चीन आपने पारंपरिक सहयोगियों से दूर हो रहा है और खुद को इलाके के नेता के रूप में पेश कर रहा है. रेज ने कहा, "बीते दो सालों में चीन का एक साफ रवैया दिखा है. वह खुद को एशियाई दबंग के रूप में देख रहा है. आप सिर्फ नियमों का पालन करके ऐसा नहीं बन सकते."
सिर्फ डोकलाम की ही बात नहीं है, दोनों देश एक दूसरे के इलाकों पर अपना दावा पेश करते हैं. चीन का कहना है कि भारत ने अरुणाचल प्रदेश में उसकी 90,000 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर रखा है. चीन इसे इलाके को दक्षिणी तिब्बत का नाम देता है. जबकि भारत का कहना है कि अक्साई चीन में उसकी 38,000 वर्ग किलोमीटर जमीन चीन ने हड़प ली है.
एनआर/एके (डीपीए, रॉयटर्स)