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भारत: टेलीकॉम क्षेत्र में बड़े बदलाव

१५ सितम्बर २०२१

भारत में पहली बार टेलीकॉम क्षेत्र में 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति दे दी गई है. उम्मीद की जा रही है कि बकाया धनराशि पर चार सालों की छूट के साथ इस कदम से टेलीकॉम क्षेत्र को बड़ी राहत मिलेगी.

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तस्वीर: picture alliance/dpa/P. Adhikary

पिछले कुछ सालों से भारी संकट से गुजर रहे टेलीकॉम क्षेत्र की हालत में बदलाव लाने के लिए केंद्र सरकार ने कई बड़े कदम उठाए हैं. भारत में पहली बार टेलीकॉम क्षेत्र में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति दे दी गई है और इसके लिए सरकार की अनुमति की भी जरूरत नहीं होगी.

इसे ऑटोमेटिक रास्ता कहा जाता है और अभी तक इसके तहत सिर्फ 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति थी. भारत के टेलीकॉम क्षेत्र को कभी एक उज्जवल क्षेत्र के रूप में देखा जाता था और देश में एक दर्जन से भी ज्यादा टेलीकॉम कंपनियां मौजूद थीं.

संकट से जूझता क्षेत्र

लेकिन टूजी घोटाले और उसके परिणाम ने पूरे क्षेत्र की सूरत ही बदल कर रख दी. फरवरी 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी 2008 के बाद दिए गए सभी 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे. उसके बाद कई टेलीकॉम कंपनियों ने एक एक करके अपना व्यापार बंद कर दिया या किसी दूसरी कंपनी में विलय कर लिया.

अब देश में सरकारी कंपनियों को छोड़ कर सिर्फ तीन निजी टेलीकॉम कंपनियां बची हैं - एयरटेल, रिलायंस जिओ और वोडाफोन-आईडिया. इनमें से भी वोडाफोन-आईडिया लंबे समय से बंद होने के कगार पर ही है.

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भारत में कभी 15 टेलीकॉम कंपनियां थीं लेकिन अब सिर्फ तीन रह गई हैंतस्वीर: picture alliance/dpa/I. Aditya

अक्टूबर 2019 में 2003 से चले आ रहे सरकार और टेलीकॉम कंपनियों के बकाया शुल्क के झगड़े में सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इन कंपनियों की हालत और पतली कर दी. अदालत ने सरकार को सही ठहराते हुए टेलीकॉम कंपनियों को कुल 1,000 अरब रुपयों का भुगतान करने का आदेश दिया.

टेलीकॉम पैकेज

इसके अलावा वोडाफोन रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मामले ने तो भारत में व्यापार करने के पूरे माहौल पर ही सवाल खड़ा कर दिया था. भारत ने पीछे की तारीख से बकाया टैक्स लगाते हुए वोडाफोन से 22,000 करोड़ रुपयों के भुगतान की मांग की थी, जिसके खिलाफ कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय अदालत के दरवाजे खटखटा दिए थे.

कुल मिलाकर भारत का टेलीकॉम क्षेत्र इतनी सारी समस्याओं का घर बन गया था. अब सरकार ने इस क्षेत्र के लिए कई कदमों के एक पूरे पैकेज की घोषणा की है. इन कदमों में एफडीआई के अलावा बकाया शुल्क के भुगतान पर चार सालों की छूट देना भी शामिल है.

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विदेशी टेलीकॉम कंपनियों को भारत की तरफ आकर्षित करने की कोशिश की जा रही हैतस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/H. Bhatt

इसके अलावा अडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) की परिभाषा भी सीमित कर दी गई है, जिससे कंपनियों द्वारा सरकार को देय बकाया राशि कम हो जाएगी. पहले इसमें कंपनियों द्वारा कमाई गई हर तरह की धनराशि शामिल थी, जैसे टेलीकॉम सेवाओं के अलावा हैंडसेट की बिक्री, किराया, लाभांश, ब्याज से आय और रद्दी की बिक्री से हुई आय जैसे कई आय के स्रोत.

नई परिभाषा के तहत एजीआर में सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से हुई कमाई को रखा गया है, और कमाई के बाकी स्रोतों को निकाल दिया गया है. इसके अलावा कुछ और भी छोटे-बड़े फैसले लिए गए हैं और सरकार को उम्मीद है कि इनसे टेलीकॉम क्षेत्र में सुधार आएगा.

अगर इन नए कदमों से विदेशी टेलीकॉम कंपनियां आकर्षित होती हैं तो देश में निवेश आएगा, टेलीकॉम क्षेत्र पहले फूलेगा और नौकरियां भी उत्पन्न होंगी. लेकिन यह पैकेज कितनी जल्दी असर दिखता है और वाकई विदेशी कंपनियां भारत में रुचि दिखाती हैं या नहीं, यह देखना होगा.

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