भारत के चाय वाले
घर हो या दफ्तर बिना चाय के कुछ लोगों का गुजारा नहीं होता. हर जगह आसानी से मिलने वाली चाय भारतीयों को खूब पसंद है. तस्वीरों में चाय और चाय बेचने वालों की कहानी.
भारत के चाय वाले
रेशम जेलैटली और जैक मार्क्स भारत में घूम कर वहां के चाय वालों को समझने की कोशिश कर रहे हैं. अपने प्रोजेक्ट 'चाय वालास ऑफ इंडिया' में वह कहते हैं कि भारत के हर क्षेत्र में चाय वाले एक अलग कहानी बयान करते हैं.
भारत से प्यार
रेशम और जैक 2010 से 2011 के बीच भारत में रहे. वहां के चाय वालों ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्हें बेहतर रूप से समझने के लिए वे एक बार फिर भारत निकल पड़े.
गुजर बसर
सुनीता देवी गंगा के किनारे चाय का छोटा सा स्टॉल चलाती हैं. वह दिन में करीब 200 कप चाय बेच लेती हैं और इसके अलावा बिस्कुट और तंबाकू भी. पर घर चलाने के लिए यह आमदनी काफी नहीं.
बॉलीवुड में
स्टार जितने भी बड़े हों पर शूटिंग के दौरान चाय इन चायवालों के हाथ की ही पीते हैं. बचपन से ही चाय बना कर सेट पर ले जाने के काम में लग जाने से ये चायवाले जिंदगी भर 'छोटू' ही कहलाते हैं.
स्टेशन पर
गणेश का चाय स्टॉल पटना के रेलवे स्टेशन पर है. भले ही साथ वाले स्टॉल में भी वैसी ही नीली लाइटें लगी हैं और वैसे ही फूल टंगे हैं, पर गणेश को इस से कोई दिक्कत नहीं.
चाय और मुकदमे
बंसी का स्टॉल मुंबई हाई कोर्ट के बाहर है. अक्सर वकील अपने मुकदमों की चर्चा करते हुए यहां चाय पीने आते हैं. बंसी ने कानून की पढ़ाई ना भी की हो तो कहानियों ने काफी कुछ सिखा दिया है.
बराबरी
महिलाओं और पुरुषों के पेशों को भले ही अलग अलग कर के देखा जाए पर इस पेशे में ऐसा कुछ भी नहीं. मीनाक्षी कोलकाता में अकेले ही स्टॉल चलाती हैं और उन्हें इस काम में पति की जरूरत नहीं पड़ती.
हर उम्र में
73 साल के शिवनाथ राय पिछले दस साल से कोलकाता में मसाला चाय का स्टॉल चला रहे हैं. उनकी चाय की खासियत यह है कि इसमें पानी नहीं डलता और दूध भी उन्हीं के तबेले से आता है.
रात भर
भारत के चाय वालों की यह खासियत है कि लोगों को अगर आधी रात को भी चाय की तलब लगे तो कहीं ना कहीं सड़क किनारे कोई स्टॉल तो मिल ही जाता है.