भारत और चीन में 'समूद्री तूफान'
२४ सितम्बर २०११चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली में छपी रिपोर्ट के मुताबिक भारत और वियतनाम के बीच विवादास्पद स्पार्टली द्वीप के पश्चिम में तेल और गैस खोजने के लिए साझा परियोजना के कारण इन देशों के अपने मुख्य व्यापारिक साझादीर के साथ रिश्ते जोखिम का शिकार हो सकते हैं.
अखबार के मुताबिक, "दोनों ने चीन के अधिकार क्षेत्र वाले जल में प्रवेश किया है जो चीन की संप्रभुता का उल्लंघन है." रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत और वियतनाम ऐसे किसी साझा हित के लिए काम करते हैं जिससे चीन के साथ उनके रिश्तों को नुकसान होता है और दक्षिण चीन सागर के पूरे क्षेत्र की स्थिरता और शांतिपूर्ण आर्थिक विकास पर बुरा असर पड़ता है तो इसके फायदे से ज्यादा नुकसान उठाने पड़ेंगे.
चीन को भारत का जवाब
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग लाई ने गुरुवार को दोहराया कि चीन की सहमति के बिना ऐसी कोई परियोजना गैरकानूनी है. लेकिन उन्होंने किसी देश या कंपनी का नाम नहीं लिया.
भारत के विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा कि भारतीय कंपनियां ओएसजीसी विदेश और एस्सार ऑइल की सहायक कंपनी एस्सार एक्सप्लोरेशन एंड प्रोडक्ट लिमिटेड वियतनाम के साथ ऊर्जा सहयोग को बढ़ा रही हैं. भारत इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहता है. इसी साल भारत नौसेना के एक पोत को वितयनाम के न्हा त्रांग बंदरगाह के नजदीक एक रेडियो कॉलर से चेतावनी दी गई जिसे चीनी नौसेना से आई माना जाता है.
जानकार मानते हैं कि वियतनाम के साथ बढ़ते भारत के सहयोग की एक वजह दक्षिण एशिया में चीन की बढ़ती मौजूदगी का जवाब देना है. चीन भारत के पड़ोसी देशों में कई बंदरगाह बना रहा है. भारत और वियतनाम, दोनों के चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर युद्ध कर चुके हैं. भारत से 1962 में और वियतनाम से 1979 में चीन की लड़ाई हुई. लेकिन अब रिश्ते स्थिर माने जाते है. हालांकि चीन और वियतनाम के बीच दक्षिण चीन सागर की मिल्कियत को लेकर बराबर तनाव बना रहता है.
तेल पर राजनयिक खेल
चीन, वियतनाम, फिलीपींस, ब्रूनेई, मलेशिया और ताइवान, सभी दक्षिण चीन सागर पर अपनी दावेदारी पेश करते हैं. लेकिन इनमें चीन की दावेदारी सबसे बड़ी है. वह कहता है कि इस सागर पर प्राचीन समय से निर्विवाद रूप से उसकी संप्रभुता रही है.
मई और जून में वितयनाम ने चीनी पोतों पर अपने पोतों को परेशान करने का आरोप लगाया जबकि वे वियतनाम के विशेष आर्थिक क्षेत्र में थे. चीन इस बात से इनकार करता है कि उसके पोतों ने कोई गलती की है. उद्योगपति और राजनयिक कहते हैं कि चीन वितयनाम से समझौते करने वाली कंपननियों पर दबाव डाल रहा है कि वे एक तेल समूह न बनाएं. 2007 में बीपी ने वियतनाम के दक्षिणी तट के पास तेल खोजने की कोशिशों को रोक दिया क्योंकि इस मुद्दे पर चीन और वियतनाम के बीच तनाव है.
वियतनाम के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लुओंग थान न्घई ने सोमवार को कहा कि इस तरह की साझा परियोजनाएं "वियतनाम के संप्रभु अधिकारों और अधिकार क्षेत्र में हैं." चीनी मीडिया के मुताबिक चीन और वियतनाम दक्षिण चीन सागर को लेकर मौजूद विवाद को दूर करने के लिए बातचीत तेज करने पर सहमत हो चुके हैं. इसी महीने चीन सरकार के प्रतिनिधि ताई पिंगकुओ ने वियतनाम की राजधानी हनोई का दौरा किया.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा एम