ब्रेस्ट कैंसर से बचने के 10 तरीके
भारत में हर 28 में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा है. 35 से 45 साल की शहरी महिलाओं में अब यह गर्भाशय के कैंसर से भी बड़ा संकट बन चुका है. ब्रेस्ट कैंसर से बचने के लिए रखें इन बातों का ध्यान.
वजन का ख्याल और नियमित व्यायाम
अपने शारीरिक भार को संतुलन में रखें. मोटापा अपने आप में एक बीमारी है और कई दूसरी बीमारियों को पैर पसारने का मौका भी देता है. हर दिन औसतन आधे से एक घंटा या फिर हफ्ते में कम से कम चार घंटे कसरत करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है. नियमित व्यायाम से शरीर की प्रतिरोधी क्षमता और मेटाबोलिज्म भी मजबूत होता है.
शुद्ध भोजन और संतुलित आहार
स्वस्थ आहार में खड़े अनाज, सब्जियों मेवों और फलों की प्रमुखता होती है. इनके अलावा अच्छे प्रोटीन के स्रोत जैसे मछली और चिकन भी खाए जा सकते हैं जबकि प्रोसेस्ड मीट से बचना चाहिए. सुपरमार्केट में मिलने वाला डब्बाबंद खाना नुकसानदेह हो सकता है.
शराब और सिगरेट से तौबा
एल्कोहल के सेवन से केवल ब्रेस्ट कैंसर ही नहीं बल्कि लिवर, कोलन, मुंह और गले के कैंसर का खतरा भी कई गुना बढ़ जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार धूम्रपान करने वाली महिलाओं की सबसे ज्यादा तादाद अमेरिका के बाद भारत में है.
कैंसर पैदा करने वाले केमिकलों से दूरी
घरों, दफ्तरों और फैक्ट्रियों में इस्तेमाल किए जाने वाली कई रसायनिक चीजों में कैंसर पैदा करने वाले तत्व यानि कार्सिनोजेन पाए जाते हैं. कुछ सफाई वाले केमिकल्स और कॉस्मेटिक्स भी हमारे शरीर के एंडोक्राइन सिस्टम यानि हार्मोनों को नियंत्रित करने वाले अंगों को प्रभावित करते हैं. खासतौर पर बच्चों और किशोरों में इनका ज्यादा बुरा असर पड़ता है. इससे मोटापा, टाइप-2 डायबिटीज और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ता है.
रेडिएशन टेस्ट से परहेज
कई बार किसी दूसरी बीमारी की जांच के दौरान कराए जाने वाले एक्स-रे, सीटी स्कैन, पीईटी स्कैन या मैमोग्राफी में भी शरीर पर सीधे कई तरह के रेडिएशन डाले जाते हैं. इन्हें कम से कम कराना चाहिए और अगर कराना जरूरी हो तो भी यह टेस्ट बेहद सावधानी से किए जाने चाहिए.
हार्मोन वाली दवाएं
कई महिलाएं गर्भनिरोधन गोलियां लेती हैं या फिर ऐसा कोई इलाज करा रही होती हैं जिनसे उनके शरीर में हार्मोनों के स्तर पर सीधा असर पड़ता है. ऐसे में उन्हें अपने डॉक्टर से खासतौर पर जानना चाहिए कि वे दवाएं किसी तरह से कैंसर का कारण तो नहीं बन सकती है. 30 की उम्र के बाद इन दवाओं को लेने से बचना चाहिए.
मातृत्व और ब्रेस्टफीडिंग
पहले के मुकाबले अब लड़कियों में मासिक धर्म कम उम्र में शुरू होने लगा है. शरीर में आए इस बदलाव के विपरीत अब पढ़ी लिखी लड़कियों की शादी देर से होने लगी है और बच्चे पैदा करने की औसत उम्र भी काफी आगे बढ़ गई है. कई मामलों में महिलाएं कभी मां ना बनने का फैसला लेती हैं और ब्रेस्टफीडिंग नहीं करातीं. यह बदलाव शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का संतुलन बिगाड़ते हैं और इससे भी ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
खुद ही करें टेस्ट
घर पर ही समय निकाल कर अपना टेस्ट करें. शीशे के सामने खड़े हो कर देखें कि दोनों स्तनों के आकार में कोई अंतर तो नहीं. सूजन और जलन को नजरअंदाज ना करें. यदि रिसाव हो, गांठ जैसा महसूस हो या दर्द हो तो डॉक्टर से जरूर मिलें.
जांच से बीमारी का जल्दी पता
कई तरह के ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग तरीकों से बीमारी को काफी जल्दी पकड़ा जा सकता है और उसका इलाज हो सकता है. अगर परिवार में ब्रेस्ट या ओवरी के कैंसर का इतिहास रहा हो तो आपके शरीर में BRCA1 और BRCA2 जीन हो सकते हैं, जिन्हें टेस्ट से जाना जा सकता है. इससे समय रहते बीमारी का इलाज हो सकेगा और एक लंबा, स्वस्थ जीवन जीना संभव होगा.
और लें अच्छी नींद
नींद केवल खूबसूरत त्वचा और दिमाग को तरोताजा करने के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि यह शरीर पर कुछ इस तरह असर करती है कि शरीर स्तन कैंसर जैसी बीमारी से निपटने के लिए भी तैयार हो जाता है.