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ब्रेगा शहर पर फिर से गद्दाफी की फौज का कब्जा

१३ मार्च २०११

मुअम्मर अली गद्दाफी की वफादार सेना ने रणनीतिक लिहाज से अहम शहर ब्रेगा पर दोबारा कब्जा कर लिया है. विद्रोहियों पर विमान से भारी बमबारी की गई है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय लीबिया पर नो फ्लाई जोन लागू करने पर विचार कर रहा है.

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तस्वीर: dapd

लीबिया में विद्रोहियों के कब्जे से ब्रेगा शहर के निकलने का मतलब है कि उनके पास अब पेट्रोल डीजल की मौजूदगी सीमित हो जाएगी. गद्दाफी की वफादार सेना ने विद्रोहियों को रास लानूफ से पहले ही बाहर निकाल दिया है. इन दोनों शहरों में तेल की रिफाइनरियां हैं और जिन पर विद्रोहियों ने कब्जा जमा लिया था. गद्दाफी की समर्थक सेना के प्रवक्ता ने सरकारी टेलिविजन से कहा, "ब्रेगा को सशस्त्र विद्रोहियों से मुक्त कर लिया गया है." इस हार ने विद्रोहियों को काफी निराश किया है.

Libyen Aufständische Kämpfer bei Brega Panzer
तस्वीर: dapd

विद्रोही नबील तिजौरी ने कहा, "अब कोई विद्रोह नहीं है. नबील की भारी मशीन गन इस जंग में ध्वस्त हो गई है रास लानूफ के बाद हम ब्रेगा से भी बाहर हो गए. अगले दिन वो बेनगाजी तक आ पहुंचेंगे." ब्रेगा विद्रोहियों के गढ़ बेनगाजी से 220 किलोमीटर दूर दक्षिण की दिशा में है. लीबिया के इन रेगिस्तानी इलाकों में सरकार के पास हवाई हमले के विकल्प ने उनकी स्थिति मजबूत की है और उन्होंने विद्रोहियों के टैंक हवाई हमलों से ध्वस्त कर दिए हैं. विद्रोहियों के पास अपने उत्साह के अलावा बस हल्के हथियार औऱ टैंक ही हैं. शहरों और बस्तियों में तो उन्हें छिपने की जगह मिल जा रही है पर रेगिस्तान का क्या करें वहां किसकी ओट लें.

नो फ्लाइ जोन

इस बीच अरब लीग ने संयुक्त राष्ट्र से लीबिया को नो फ्लाई जोन घोषित करने की मांग की है. संयुक्त राष्ट्र ने इसे एक अहम कदम माना है. इस बीच अमेरिका ने कहा है कि सैनिक कार्रवाई से पहले वो स्थिति का पूरी तरह से आकलन कर लेना चाहता है. अरब लीग के महासचिव अम्र मूसा ने कहा है कि लीग ने आधिकारिक रूप से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से लीबिया में नागरिकों के खिलाफ हवाई हमले रोकने के लिए नो फ्लाई जोन लागू करने की मांग की है. फ्रांस ने भी लीग की इस मांग का समर्थन किया है. फ्रांस पहले से ही नो फ्लाई जोन लागू करने की बात कह रहा है. अमेरिका अपनी तरफ से गद्दाफी को हटाने के लिए कोई शुरुआत नहीं करना चाहता और उसने सुरक्षा परिषद की आपात बैठक बुलाने के लिए कोई प्रस्ताव नहीं रखा है. नो फ्लाई जोन लगाना वैसे इतना आसान नहीं होगा क्योंकि सुरक्षा परिषद के दो स्थायी सदस्य चीन और रूस इसके विरोध में हैं.

NO FLASH Libyen Ölhafen Brega März 2011
तस्वीर: picture alliance/dpa

सैनिक विद्रोह

लीबिया का संकट ट्यूनीशिया और मिस्र के आंदोलन से अब अलग राह पकड़ रहा है. देश अब गृहयुद्ध के रास्ते पर बढ़ चला है. त्रिपोली में विरोध प्रदर्शन थम गए हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है, "गद्दाफी और उनके वफादार सैनिक त्रिपोली में विरोधियों को क्रूर तरीके से दबा रहे हैं. यहां तक कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के खिलाफ भी हिंसक तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं. निरंकुश तरीके से गिरफ्तारियों हो रही हैं और बल प्रयोग कर लोगों को हटाया जा रहा है."

जाविया में विद्रोह को दबाने के बाद सरकारी सेना और टैंक मिसराता की ओर बढ़ चले हैं जो लीबिया का तीसरा बड़ा शहर है और वहां के एक हिस्से पर विद्रोहियों का बोलबाला है. हालांकि इसी बीच सरकारी सेना में हुए एक विद्रोह ने रविवार को उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया. एक विद्रोही लड़ाके ने फोन पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "रविवार सुबह से ही सरकारी सैनिक आपस में एक दूसरे से लड़ रहे हैं. हमने उनके बीच लड़ाई की आवाजें सुनी है. उनके बीच आपसी फूट हमारे लिए ऊपरवाले का तोहफा है. जब हमें लगा कि सब कुछ खत्म हो गया तभी उनके बीच लड़ाई शुरू हो गई."

हालांकि स्वतंत्र रूप से इस जंग की पुष्टि नहीं हो सकी है. पत्रकारों को इन शहरों में जाने से सरकार ने रोक दिया है. सरकार ने इन खबरों को अफवाह करार दिया है और कहा है कि मिसराता में अल कायदा के कुछ लड़ाके मौजूद हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ईशा भाटिया