ब्रिटिश लेखक हॉवर्ड जैकबसन को बुकर पुरस्कार
१३ अक्टूबर २०१०जैकबसन का यह उपन्यास स्कूली दिनों के दो दोस्तों और टीचर के बीच उनके रिश्तों को रोचक तरीके से उजागर करता है. लंदन निवासी जैकबसन इससे पहले भी दो बार बुकर की दौड़ में शामिल हो चुके हैं. इस बार उन्होंने दो बार के बुकर विजेता पीटर केरी और टॉम मेक्कार्थी को पीछे छोड़ कर पुरस्कार को अपने नाम कर लिया.
हालांकि पीटर और टॉम जैसे नामी साहित्यकारों को पीछे छोड़कर बुकर के लिए जैकबसन के नाम की घोषणा चौंकाने वाली साबित हुई. 50 हजार पांउड यानी 80 हजार अमेरिकी डॉलर की इनामी राशि वाले इस सम्मान के लिए चुने जाने पर खुद जैकबसन आश्चर्यचकित हैं. 68 साल के जैकबसन का कहना है कि इस किताब को बुकर के लिए चुने जाने की उन्हें भी उम्मीद नहीं थी.
वह कहते हैं, ''मेरे पास कहने के लिए शब्द ही नहीं है. मैं तो 1983 से बुकर की कतार में था. अब जाकर चुने जाने पर मैं स्वयं को सौभाग्यशाली मानता हूं.''
पांच जजों की ज्यूरी ने 3-2 के बहुमत से जैकबसन की किताब को बुकर के ल्ए चुना गया. ज्यूरी के प्रमुख अंग्रेजी लेखक एंड्रयू मोशन ने कहा कि जैकबसन का उपन्यास इस प्रतिषठित सम्मान के लिए सर्वथा योग्य है. उन्होंने कहा कि द फिंकलर क्वेश्चन बहुत ही श्रेष्ठ उपन्यास है. इसमें विषयवस्तु को बेहद हल्के फुल्के अंदाज में और मजाकिया लहजे से उकेरा गया है. इसमें लेखक की दिमागी कलाबाजी में खूब देखने को मिलती है.
उपन्यास का मुख्य पात्र पूर्व रेडियो पत्रकार जूलियन ट्रेसलव है जो यहूदी न होने के बावजूद खुद को यहूदी की तरह विकसित करते हैं. यहूदी जीवन शैली अपनाने का काम वह बचपन के अपने दो यहूदी दोस्तों की संगत में करते हैं. इस पूरे घटनाक्रम को उपन्यास में बड़े ही रोचक ढंग से पेश किया गया है.
जैकबसन को इससे पहले 2002 में वूज सॉरी नाउ और 2006 में क्लूकी नाइट्स के लिए बुकर के दावेदारों की सूची में शामिल किया गया था. ब्रिटिश मीडिया में उनके चयन को बेहतरीन फैसला बताते हुए इसकी तारीफ की गई है.
रिपोर्टः एएफपी/निर्मल
संपादनः ओ सिंह