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बोलीविया के बहाने वेनेज़ुएला-अमेरिकी आमने सामने

१२ सितम्बर २००८

बोलीविया का आरोप है कि अमेरिका वहां राजनीतिक संकट खड़ा कर रहा है. इसके बाद वेनेज़ुएला के तेज़ तर्रार राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज़ ने सैनिक कार्रवाई तक की चेतावनी दे दी है. अमेरिका और वेनेज़ुएला ने राजदूतों को निकाल दिया है.

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अमेरिका से तनावतस्वीर: AP

बोलीविया से उठे संकट की आंच अब दूसरे लातिन अमेरिकी देशों पर भी पड़ने लगी है. वेनेज़ुएला के राष्ट्रपति और अमेरिका के धुर विरोधी ह्यूगो शावेज़ ने साफ़ तौर पर इस संकट में हाथ डाल दिया है और अमेरिका को खुली चुनौती दे दी कि अगर उसके दोस्त देश बोलीविया के राष्ट्रपति के साथ कुछ होता है तो वह सैनिक कार्रवाई तक कर सकते हैं.

Bolivien Präsident Evo Morales mit USA Botschafter Philip Goldberg
बोलीविया के राष्ट्रपति मोरालेस और अमेरिकी राजदूत फिलिप गोल्डबर्गतस्वीर: AP

शावेज़ ने कहा कि उनके देश में दो अत्याधुनिक रूसी जंगी विमान टीयू 160 पहुंच चुके हैं. उन्होंने अमेरिका को तेल सप्लाई रोकने तक की चेतावनी दी. अमेरिका वेनेज़ुएला के तेल का सबसे बड़ा ग्राहक है. शावेज़ ने बोलीविया का साथ देते हुए अमेरिकी राजदूत को देश छोड़ देने को कहा.

"कराकस में मौजूद अमेरिकी राजदूत को वेनेजुएला छोड़ने के लिये हमने 72 घंटे का समय दिया है. अमेरिका के खिलाफ हम बोलीविया के साथ हैं." -ह्यूगो शावेज़

जवाबी कार्रवाई करते हुए अमेरिका ने भी वेनेज़ुएला के राजदूत को देश छोड़ देने के लिए कहा है.

बोलीवियामें हाल के दिनों में राष्ट्रपति इवो मोरालेज़ के खिलाफ प्रदर्शन हुए हैं और कई जगहों पर हिंसक घटनाओं में कम से कम नौ लोग मारे गए और 32 घायल हो गए. अर्थव्यवस्था पर भी इसका बुरा असर पड़ा, जब प्रदर्शनकारियों ने गैस पाइपें काट दीं और बहुत सी उड़ानें रद्द करनी पड़ी. राष्ट्रपति का आरोप है कि अमेरिकी राजदूत फिलिप गोल्डबर्ग उनके ख़िलाफ विपक्षी पार्टियों के इस अभियान को हवा दे रहे हैं.

Demonstrationen gegen Regierung in Bolivien
हाल में हुए प्रदर्शनतस्वीर: AP

"हमें किसी से डरने की ज़रूरत नहीं है .यहां साम्राज्यवाद को पनपने नहीं दिया जाएगा. अमेरिकी राजदूत की यहां कोई ज़रूरत नहीं." -बोलीविया के रराष्ट्रपति इवो मोरालेज़

बोलीविया और अमेरिका के इस संकट में वेनज़ुएला के राष्ट्रपति और रूस के जंगी विमानों के शामिल होने से विवाद और गहरा गया है. इसका सीधा असर पड़ोसी देशों ब्राज़ील, क्यूबा और अर्जेंटीना पर पड़ रहा है. ऐसे में बहुत से लातीन अमेरीकी देश अमेरिका के खिलाफ एकजुट होते भी दिख रहे हैं.