बार्बेक्यू से हो सकता है कैंसर
३० दिसम्बर २०११अमेरिकी जर्नल ऑफ क्लीनिकल न्यूट्रिशन का कहना है कि अगर ग्रिल या बार्बेक्यू में पका गोश्त खाने से गुर्दे के कैंसर के आसार बढ़ जाते हैं. इसकी वजह यह है कि आग में पकाए गए मांस में ज्यादा रसायन होते हैं जिससे शरीर को नुकसान हो सकता है.
शोध प्रमुख कैरी डैनियल कहती हैं, "हमारे नतीजों से पता चला है कि कैंसर को रोकने के लिए अमेरिकी कैंसर सोसाइटी ने जिन चीजों से परहेज करने को कहा है, उस पर आपको ध्यान देना होगा. आपको रेड मीट कम खाना होगा. मांस को हमेशा उबाल कर या गर्म पानी में कुछ देर डाल कर खाना चाहिए."
हालांकि अब तक इस सिलसिले में रेड मीट और कैंसर के बीच के संबंध को सही तरह से बनाया नहीं जा सका है. इसलिए डैनियल और उनके साथ शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने पांच लाख ऐसे लोगों से जानकारी ली, जिनकी उम्र 50 साल या उससे ज्यादा थी. इन लोगों के खाने पीने की आदतों को जांचा गया. इनमें से 1800 से कम लोगों को शोध के शुरुआत में गुर्दे का कैंसर था.
शोध के दौरान पुरुषों ने रोजाना 57 से 85 ग्राम मीट खाया जबकि महिलाओं में रोजाना मांस खाने की मात्रा इस आंकड़े का एक तिहाई थी. जो लोग सबसे ज्यादा रेड मीट यानी 113 ग्राम से ज्यादा मांस रोजाना खा रहे थे, उनमें कैंसर होने का खतरा 19 प्रतिशत ज्यादा हो गया.
इसके अलावा शोधकर्ताओं ने उम्र, नस्ल, फल और सब्जियों की आदत और धूम्रपान को लेकर भी लोगों से जानकारी ली. रिसर्च दिखाता है कि आग में साधारण तरीके से पकाने से कैंसर को बढ़ावा देने वाले रसायन खाने वाले के शरीर में आ जाते हैं.
हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि रेड मीट खाना पूरी तरह से रोकना भी नहीं चाहिए क्योंकि इसमें आयरन और प्रोटीन होता है. डैनियल कहती हैं कि मीट में शामिल खतरनाक रसायनों को आराम से निकाला जा सकता है अगर आप इन्हें ध्यान से पकाएं और सीधे आग पर न पकाएं.
रिपोर्टः रॉयटर्स/एमजी
संपादनः ए जमाल