बाइडेन-शॉल्त्स बातचीत: रूस 'असल कदम' उठाए
१७ फ़रवरी २०२२जर्मन सरकार के प्रवक्ता श्टेफेन हेबेस्ट्राइट ने बताया कि दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए हैं कि यूक्रेन की स्थिति का निश्चित रूप से "बेहद गंभीर" आकलन जरूरी है क्योंकि रूस के सैन्य हमले का खतरा अब भी बना हुआ है. दुनिया के ताकतवर देश पूरब और पश्चिम के इस बीते दशकों के एक बड़े संकट को सुलझाने की कोशिश में शामिल हैं.
नाटो के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की इस बीच ब्रशेल्स के मुख्यालय में इसी मुद्दे पर बैठक भी बुधवार से चल रही है जो गुरुवार को भी जारी रहेगी.
अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस की तरफ से बयान जारी कर कहा गया है कि बाइडेन और शॉल्त्स ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ हुई बातचीत के बारे में चर्चा की. जर्मन चांसलर ने हाल ही में यूक्रेन और रूस का दौरा कर इन नेताओं से बात की है. पुतिन ने शॉल्त्स से मुलाकात में युद्ध ना करने और बातचीत का प्रस्ताव स्वीकार करने की बात कही थी. शॉल्त्स की मास्को यात्रा के दौरान ही रूस ने कुछ सैनिकों की वापसी का भी एलान किया.
व्हाइट हाउस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बाइडेन और शॉल्त्स ने यूक्रेन की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है. इसके साथ ही दोनों नेताओं ने कूटनीति और नाटो के पूर्वी हिस्से की मजबूती के लिए अटलांटिक पार सहयोग जारी रखने के महत्व पर बल दिया खासतौर से रूस के यूक्रेन पर हमला करने की स्थिति में.
जर्मन चांसलर के कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने टेलीफोन बातचीत में इस बात पर जोर दिया कि, "तनाव को घटाने के लिए रूस को वास्तविक कदम उठाने होंगे." जर्मन सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि अब तक रूसी सैनिकों की यूक्रेन सीमा पर से कोई बड़ी वापसी नहीं हुई है. इस स्थिति में "अत्यधिक चौकसी" रखने की जरूरत है. दोनों नेताओं ने पुतिन के इस बयान का स्वागत किया है कि कूटनीतिक प्रयासों को जारी रहना चाहिए.
शॉल्त्स और बाइडेन इस बात पर सहमत हुए हैं कि मिंस्क शांति समझौते को लागू करने की दिशा में आगे बढ़ा जाना चाहिए. यह शांति समझौता रूस, यूक्रेन, फ्रांस और जर्मनी की बातचीत के बाद 2015 में अस्तित्व में आया था. इसमें नॉरमंडी फॉर्मेट के तहत स्थिति को सामान्य करने के लिए काम करने पर सहमति बनी थी. 2014 में क्राइमिया को रूस में मिला लिए जाने के बाद हालात को सामान्य करने के लिए रूस और यूक्रेन के राजनयिकों का दल थोड़े थोड़े समय पर आपस में मुलाकात करते रहे हैं. फ्रांस और जर्मनी इसमें सहयोग करते हैं.
इस बीच, रूस ने गुरुवार सुबह एक बार फिर कैस्पियन सागर में बड़े स्तर पर नौसेना का युद्धाभ्यास शुरू किया. इसमें कम से कम 20 जंगी जहाज हिस्सा ले रहे हैं. रूस ने यूक्रेन की सीमा से सैनिकों के वापसी की बात कही है, हालांकि अमेरिका और पश्चिमी देशों का कहना है कि फौज वापसी के पुख्ता सबूत अभी तक नजर नहीं आए हैं.
एनआर/एके (रॉयटर्स, एएफपी)