बांग्लादेश में भारतीय फ़िल्मों पर फिर पाबंदी लगी
२७ अप्रैल २०१०ऐसी रिपोर्टें हैं कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वाणिज्य मंत्रालय को भारतीय फ़िल्मों को ख़रीदने और उनके प्रदर्शन के निर्णय को वापस लेने का निर्देश दिया है. भारतीय फ़िल्मों के प्रदर्शन की अनुमति देकर बांग्लादेश का वाणिज्य मंत्रालय नुक़सान की मार झेल रहे सिनेमा उद्योग को सहारा देना चाहता था लेकिन उसके इस फ़ैसले का कड़ा विरोध हो रहा था.
सरकार ने भारत और अन्य दक्षिण एशियाई देशों की फ़िल्मों के प्रदर्शन को हरी झंडी दे दी थी. इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ बांग्लादेश की घरेलू फ़िल्म इंडस्ट्री लामबंद होती नज़र आई. फ़िल्म प्रोड्यूसर और कलाकारों ने ढाका में फ़िल्म डेवेलेपमेंट कॉरपोरेशन के दफ़्तर के बाहर धरना दिया और भारतीय फ़िल्मों को दिखाए जाने के फ़ैसले को वापस लेने की मांग की.
विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले कलाकारों और फ़िल्म जगत की हस्तियों में रज़्ज़ाक, शाहनूर, अनवरा, मिज़ू अहमद और फ़िल्म डायरेक्टर मोहम्मद हन्नान शामिल थे. बांग्लादेश चलचित्र ओक्या परिषद के अध्यक्ष मिज़ू अहमद ने कहा, "सरकार ने फ़िल्म इंडस्ट्री से बिना कोई सलाह मशविरा लिए ही इस फ़ैसले को ले लिया." मिज़ू ने इस निर्णय को घरेलू सिनेमा जगत के हितों के ख़िलाफ़ बताया.
हालांकि भारतीय फ़िल्मों के प्रदर्शन पर फिर पाबंदी लगाने के फ़ैसले के बाद फ़िल्म जगत से जुड़े लोगों ने प्रदर्शन रोकने की बात कही है. उनके मुताबिक़ सरकार ने उन्हें आश्वस्त किया है कि बांग्लादेश की फ़िल्म इंडस्ट्री के हितों को चोट पहुंचाने वाले किसी भी फ़ैसले को नहीं लिया जाएगा.
1972 से ही बांग्लादेश में बॉलीवुड फिल्मों पर पाबंदी है जिसका उद्देश्य स्थानीय फिल्म उद्योग को बचाए रखना रहा है. शनिवार को सरकार ने इस प्रतिबंध को हटाने का फैसला किया था. बांग्लादेश में सिनेमाघरों के मालिक मांग करते रहे हैं कि उन्हें भारतीय फिल्में दिखाने की अनुमति दी जाए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: महेश झा