बांग्लादेश की पहली महिला ड्राइवर
१ नवम्बर २०१२शाहनारा बांग्लादेश के दक्षिण पश्चिमी इलाके के एक गरीब गांव से हैं. वह देश की पहली ऐसी 21 महिलाओं में शामिल हैं जिन्हें नई ट्रेनिंग स्कीम के तहत प्रशिक्षण दिया गया है. इन 21 महिलाओं को व्यावसायिक ड्राइविंग की ट्रेनिंग दी गई है. यह ट्रेनिंग इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि बांग्लादेश में लिंगभेद और भूमिका से जुड़े पूर्वाग्रह भी हैं. जिसके तहत यह भी मान लिया जाता है कि औरतें बड़ी गाड़ियां नहीं चला सकतीं.
गरीब परिवारों से आई करीब 600 युवा महिलाओं को ढाका में आठ हफ्ते में ड्राइविंग सिखाई जाती है. इस कोर्स के लिए सरकार से जुड़ी एक चैरिटी के तहत बार्क धन दे रहा है. इस श्रृंखला में पहला कोर्स जुलाई में शुरू किया गया.
सामाजिक रुढ़ियों से जीत
शाहनारा के लिए महिला ड्राइवर की वर्जना तोड़ना बड़ा काम था और इसने उन्हें मजबूत भी किया. लेकिन पारंपरिक और रुढिवादी मुस्लिम बहुल समाज में रुढ़ियां बहुत मजबूत हैं जिसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ी. "गांव के बुजुर्गों ने मेरे परिवार को जात से बाहर कर दिया है. उनका कहना है कि युवा महिलाओं को परिवार से दूर अलग नहीं रहना चाहिए और महिलाएं ड्राइविंग नहीं कर सकती. मैंने अपने परिवार को कहा कि अगर मैं आर्थिक रूप से सबल हो जाऊंगी तो सब ठीक हो जाएगा. गांव के बुजुर्ग हमें खाना नहीं देते जब हम भूखे होते हैं."
शाहनारा को उसके पति ने तब तलाक दे दिया था जब उनका परिवार दहेज में सोने और मोटरसाइकल की मांग पूरी नहीं कर पाया था, "मैंने देखा है कि अगर आपके पास पैसे हों तो आप सामाजिक रुढ़ियों से जीत सकते हैं."
अन्य मुस्लिम देशों की तुलना में बांग्लादेश की महिलाएं नौकरी करती हैं लेकिन इनमें से अधिकतर कपड़ा फैक्ट्रियों में लगी हुई हैं जिसमें वेतन बहुत कम है.
ड्राइविंग स्कूल से ट्रेनिंग लेने वाली हर महिला को सरकार या निजी स्तर पर ड्राइवरी की हैसियत से कम से कम 10 हजार टका प्रति महीने की नौकरी मिल सकेगी.
इस कार्यक्रम के प्रमुख अहमद नजमुल हुसैन मानते हैं कि यह महिला ड्राइवर को सामान्य बनाने की दिशा में छोटा कदम है. पास होने के साथ ही सभी 21 महिलाओं को दो निजी कंपनियों ने नौकरी का वादा किया है. मुझे पूरा विश्वास है कि इन महिलाओं को उनके गांव पर बहुत बड़ा असर होगा.
कम आक्रामक
बार्क के ड्राइविंग स्कूल में गाड़ी पार्क करना, सही लेन में चलना, गाड़ी में छोटा मोटा सुधार सब कुछ सिखाया जाता है. छोटी कार के साथ ट्रेनिंग शुरू होती है. इसके बाद मिनी बस चलाना सिखाया जाता है और फिर ढाका की भीड़ भाड़ वाली सड़कों पर ट्रेनिंग शुरू होती है.
बांग्लादेश की राजधानी में डेढ़ करोड़ लोग रहते हैं जिनमें से अधिकतर चालक अशिक्षित हैं और प्रशिक्षित चालक भी नहीं. इनमें से कम ही नियमों का पालन करते हैं.
राष्ट्रीय दुर्घटना शोध संस्थान एआरआई के मुताबिक बांग्लादेश में दुर्घटना की दर पश्चिमी यूरोप या उत्तरी अमेरिका से 50 गुना ज्यादा है.
हुसैन का कहना है कि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम ने कई कंपनियों को आकर्षित किया है. अब ये कंपनियां नए प्रशिक्षित महिला चालकों को लेने में रुचि दिखा रही हैं.
सरकारी आंकड़े दिखाते हैं कि देश में सिर्फ 265 महिला प्रोफेशनल हैं जबकि करीब 24 लाख पुरुष प्रोफेशनल हैं. बांग्लादेश रोड ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के राज्य प्रमुख आयुबुर रहमान खान कहते हैं, "हमने सोचा कि दुर्घटनाएं कम करने का सबसे अच्छा रास्ता है कि ज्यादा महिलाओं को चालक बनाया जाए. महिलाएं कम आक्रामक होती हैं. दुर्घटनाओं में उनका हिस्सा पुरुषों की तुलना में 50 गुना कम है."
लेकिन ड्राइविंग सीखने वाली महिलाओं को ढूंढना बांग्लादेश जैसे पारंपरिक समाज में मुश्किल हो सकता है. शिरीना खातून कहती हैं, "मेरे माता पिता और पड़ोसियों ने मुझे इस काम के प्रति चेताया. उनका कहना है कि यह वर्जित काम है, महिलाओं के लिए नहीं."
पास होने के बाद मिले सर्टिफिकेट को दिखाते हुए उन्होंने कहा, "अब मैं अपनी कमाई खुद कर सकती हूं और अपनी बच्ची को अच्छी शिक्षा दिलवा सकती हूं. मैं ढाका में गाड़ी चलाने की अभ्यस्त हो गई हूं और पुरुषों के कमेंट पर ध्यान नहीं देना सीख गई हूं. उनमें से अधिकतर पुरुषों को ड्राइविंग नहीं आती. लेकिन मुझे आती है और रास्ते पर चलने वाली महिलाओं की आंखों में मैं अपने लिए आदर देख सकती हूं."
एएम/आईबी (एएफपी)