बदलती शिक्षा व्यवस्था और उठते सवाल
३१ जनवरी २०१०दिल्ली का प्रगति मैदान किताबों से सज गया है. भारत के मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने देश के सबसे बड़े पुस्तक मेले का उद्धाटन किया. इंटरनेट युग में समझा जाता है कि किताबों पर से ध्यान कम हो रहा है लेकिन सिब्बल कहते हैं कि इसके बाद भी भारत में किताबों का प्रकाशन बढ़ रहा है. किताबें अलग जगह रखती हैं.
जर्मन रेडियो डॉयचे वेले सहित दुनिया भर की एक हज़ार कंपनियों ने पुस्तक मेले में भागीदारी की है. मेले में भारत की पढ़ाई व्यवस्था पर भी बहस हुई. जाने माने बुद्धिजीवी प्रोफ़ेसर इरफ़ान हबीब ने बदलाव के तरीक़ों पर सवाल उठा दिए. हालांकि ख़ुद प्रोफ़ेसर हबीब का कहना है कि पुस्तक मेले जैसे आयोजनों से पढ़ाई को बढ़ावा मिलता है.
प्रोफ़ेसर हबीब ने जिन बदलावों की बात की, उनमें लाइब्रेरी आंदोलन शुरू करने का सुझाव भी था. सिब्बल भी मानते हैं कि इसकी ज़रूरत है.
लाइब्रेरियां तो हम सबने बचपन में देखी हैं और यह भी देखा है कि वे किस हाल में हैं. बदलावों के लिए मशहूर कपिल सिब्बल क्या इसमें भी कुछ बेहतर बदलाव कर पाएंगे.
रिपोर्टः नॉरिस प्रीतम, नई दिल्ली
संपादनः ए कुमार