बढ़ी सैलरी से नाखुश सांसदों का हंगामा
२० अगस्त २०१०सांसदों की वेतन वृद्धि के मुद्दे पर जब सदन में "सांसदों का अपमान बंद करो" और "संसदीय समिति की रिपोर्ट को लागू करो" जैसे नारे गूंजने लगे तो स्पीकर मीरा कुमार को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. समाजवादी पार्टी, बीएसपी, जेडी (यू), शिवसेना और अकाली दल के सदस्यों ने संसद में हंगामा किया.
पहली बार संसद को दोपहर तक के लिए स्थगित किया गया. प्रश्नकाल के दौरान सासंद अपनी सीटों से उठ कर कहने लगे कि सरकार ने सांसदों का अपमान किया है क्योंकि संसदीय समिति की रिपोर्ट में उनके वेतन को बढ़ाकर 80.001 रुपये प्रति महीने करने की सिफारिश है. यानी सरकारी अधिकारियों को मिलने वाले वेतन से एक रुपया ज्यादा. सांसद चाहते हैं कि सरकार इस रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर ही उनका वेतन बढ़ाए.
इससे पहले शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उस विधेयक को पारित कर दिया, जिसमें सांसदों के मूल भत्ते को 16 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने का प्रावधान है.
कई सरकारी अफसरों के वेतन के मुकाबले सांसदों को मिलने वाले 16 हजार रुपये काफी कम हैं. इससे भारत के विभिन्न राजकीय अंगों, मसलन पुलिस सेवा में वेतन की संरचना के सिलसिले में कई बुनियादी सवाल उभरते हैं. यह भी कि वेतन संरचना के साथ भ्रष्टाचार का क्या संबंध है. दूसरी ओर, एकबारगी 300 फीसदी की वृद्धि की आलोचना भी बेमानी नहीं है. कई हलकों में यह भी पूछा जा रहा है कि अन्य क्षेत्रों की तरह क्या सांसदों के भत्ते में भी नियमित वृद्धि नहीं हो सकती है.
इस वृद्धि के लिए सरकार को 1 अरब 42 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ेंगे. बहरहाल, महंगाई भत्ता बढ़ाने और उनके लिए प्रति वर्ष मुफ़्त हवाई उड़ानों की संख्या 35 से बढ़ाकर 50 करने की मांग को ठुकरा दिया गया है.
सांसदों के भत्ते के सवाल पर बने पैनल ने सांसदों के कार्यालय संबंधी खर्चों के लिए भत्ते को 14 हजार रुपये से बढ़ाकर 44 हजार करने का सुझाव दिया था. सरकार ने फिलहाल इसे 20 हजार करने का निर्णय लिया है.
मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों ने इस विधेयक पर आपत्ति जताई थी. लोकसभा में राष्ट्रीय जनता दल और लोक जनशक्ति पार्टी सहित विपक्ष के कुछ सदस्यों ने काफ़ी शोरगुल किया था. सिर्फ़ वामपंथी दल सांसदों के भत्ते में वृद्धि का विरोध कर रहे हैं.
रिपोर्टः एजेंसियां ए कुमार
संपादनः वी कुमार