फ्रांस में खानाबदोशों के लिए विशाल प्रदर्शन
५ सितम्बर २०१०प्रदर्शनकारियों ने सीधे तौर पर राष्ट्रपति निकोला सारकोजी का विरोध किया. उनके हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर लिखा था, "दमन बंद करो" और "सारकोजी की अमानवीय नीतियां हाय हाय." प्रदर्शन में बैंड और बाजे भी शामिल किए गए ताकि तनाव न पैदा हो बल्कि लोगों को इससे जोड़ा जा सके.
फ्रांस में राष्ट्रपति सारकोजी की लोकप्रियता लगातार गिर रही है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि खानाबदोशों को देश से निकाल कर वह मूल निवासियों की हमदर्दी बटोरना चाहते हैं, जिससे 2012 के राष्ट्रपति चुनाव की जमीन तैयार हो सके. फ्रांस में हाल ही में नई पेंशन नीति लागू हुई है और बजट खर्चे में कटौती का प्रस्ताव रखा गया है. आम फ्रांसीसी इन बातों से नाराज है.
सारकोजी का कहना है कि अपराध पर नियंत्रण करने के लिए खानाबदोशों को देश से निकालना जरूरी है. सरकार की नई पेंशन नीति के विरोध में मंगलवार को फ्रांस में कर्मचारियों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल है. सरकार का कहना है कि बजट में खर्चे की कटौती के लिए नई पेंशन नीति जरूरी है लेकिन फ्रांस की आम जनता इसके विरोध में है.
पेरिस में एक यूनियन नेता बर्नां थिबोल्ट ने कहा, "स्वतंत्रता और लोकतंत्र के सिद्धांतो की सुरक्षा के साथ साथ सामाजिक अधिकार भी जरूरी है. और आम तौर पर जब स्वतंत्रता घटती है, तो सामाजिक अधिकार भी घटते हैं."
शनिवार के प्रदर्शन में उस कानून का भी विरोध हुआ, जिसके तहत पुलिस अधिकारियों पर हमला करने वाले प्रवासियों की फ्रांसीसी नागरिकता छीन लेने का प्रस्ताव है. बंजारों के लिए इस प्रदर्शन में मानवाधिकार संगठनों और लेफ्ट विचारधारा वाली पार्टियों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. पुलिस का कहना है कि सिर्फ पेरिस में 12000 से ज्यादा लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
पेरिस के अलावा मार्सेय, लियों, बोर्डों और छोटे बड़े 130 शहरों में खानाबदोशों के लिए प्रदर्शन किए गए. मार्सेय में एक प्रदर्शनकारी ने ऐसी टीशर्ट पहन रखी थी, जिस पर राष्ट्रपति सारकोजी की तस्वीर छपी थी और लिखा था, "2012 में बाहर होना चाहिए." मानवाधिकार कार्यकर्ता ज्यों-पीयरे ड्यूबयो का कहना है, "हम लोगों में से ज्यादातर का मानना है कि इस देश में नफरत और नस्लवादी भावनाएं नहीं लौटनी चाहिए."
संगठनों का मानना है कि देश भर में एक लाख से ज्यादा लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया. लेकिन फ्रांस के गृह मंत्रालय का कहना है कि सिर्फ कुछ हजार ही प्रदर्शनकारी जमा हो पाए.
राष्ट्रपति सारकोजी की खानाबदोशों पर नीतियों का विदेशों में भी विरोध हो रहा है. यूरोप के दूसरे देशों में भी फ्रांसीसी दूतावास के सामने प्रदर्शन होने वाले हैं. सारकोजी ने पहले ही कहा है कि वह अपनी नीतियों पर अड़े रहेंगे, जिसके तहत रिटायरमेंट की उम्र 60 की जगह 62 साल किए जाने का प्रस्ताव है. कर्मचारियों का कहना है कि मंगलवार को देश में सब कुछ ठप कर दिया जाएगा. स्कूल कॉलेजों से लेकर दफ्तरों तक को.
राष्ट्रपति सारकोजी को इन कदमों का भारी विरोध झेलना पड़ रहा है. उनके मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य भी इसके विरोध में हैं. आने वाले हफ्ते में इस मामले पर यूरोपीय संघ में भी चर्चा होने वाली है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एस गौड़