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फेसबुक ने हटाए हजारों फर्जी अकाउंट

२८ सितम्बर २०१७

फेसबुक ने कहा है कि जर्मनी में चुनावों के दौरान फेक न्यूज को कम करने के लिए उसने हजारों फेक प्रोफाइल्स को हटाया.

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Facebook - Symbolbild
तस्वीर: Reuters/T. White

फेसबुक के वाइस प्रेसिडेंट रिचार्ड एलन ने कहा है कि फेसबुक ने इस बात की कोशिश की है कि उसका इस्तेमाल जनता की राय को तोड़ मरोड़ कर पेश करने में ना किया जाए. उन्होंने कहा, "इस कार्रवाई से गलत जानकारी पूरी तरह से हटायी नहीं गयी है, लेकिन उसे लोगों तक पहुंचने में मुश्किल होगी और यह लोगों की न्यूज फीड में मुश्किल से दिखेगी."

न्यूजफीड एक यूजर की प्रोफाइल में सबसे खास फीचर होता है, जहां वे उन लोगों की पोस्ट देखते हैं जिन्हें वह फॉलो करता है. अमेरिकी कंपनी ने कहा कि फ्रांस और अमेरिकी चुनावों के दौरान फेक न्यूज और अन्य संदिग्ध गतिविधियां सामने आयीं, जिसके बाद इस बात को जोर मिला कि फेक न्यूज अकाउंट्स को हटाया जाए.

जर्मन चुनावों में नागरिकों की भागीदारी बढ़ाने और मतदाताओं को शिक्षित करने के प्रयासों के अलावा कंपनी ने चुनावों के दौरान संघीय सूचना सुरक्षा कार्यालय के साथ मिलकर काम किया ताकि चुनाव अभियान के दौरान खतरों की निगरानी की जा सके. एलन ने कहा कि यह सामने आया है कि चुनावों में फेक न्यूज कम थीं. एलन एक पूर्व ब्रिटिश सांसद हैं और फेसबुक के लिए भी काम करते हैं. एक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के अध्ययन के मुताबिक भी अमेरिका और फ्रांस की तुलना में जर्मनी के चुनावों में सोशल मीडिया में फेक न्यूज काफी कम रहीं.

अमेरिका में फेक न्यूज

ब्रेक्जिट जनमत संग्रह और डॉनल्ड ट्रंप ने तकलीफदेह ढंग से साफ कर दिया कि आसानी से साबित किए जाने वाले झूठ से भी राजनीतिक कामयाबी हासिल की जा सकती है. चुनाव प्रचार के दौरान ब्रेक्जिट समर्थकों ने दावा किया था कि ब्रिटेन हर हफ्ते यूरोप को 35 करोड़ पाउंड ट्रांसफर करता है. सच्चाई में ये रकम एक तिहाई से भी कम थी. फिर भी 47 प्रतिशत मतदाताओं ने उस आंकड़े को सच माना. प्रचारित झूठ जिसे सच माना गया और उसने वोटरों के फैसले को प्रभावित किया. अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कई बयान भी साफ तौर पर झूठे हैं. तथ्यों की जांच करने वाली वेबसाइट पोलिटीफाक्ट के अनुसार चुनाव प्रचार के दौरान उनके 70 प्रतिशत बयान झूठे या बेतुके थे और 15 प्रतिशत अर्द्धसत्य. इसके बावजूद वह राष्ट्रपति चुने गए. वॉशिंगटन पोस्ट ने तो इसी वजह से तथ्यों की जांच करने वाला एक ऐप बना दिया.

एसएस/ओएसजे (रॉयटर्स)