फिल्मों की समझ बढाने के लिए कोर्स
२६ सितम्बर २०१०फिल्म एंड टेलिविजन संस्थान एफटीआईआई के इस कोर्स में नेशनल फिल्म आर्काइव संस्थान एनएफएआई की भी भागीदारी होगी. दोनों संस्थानों ने मिलकर ये कोर्स तैयार किया है जिसे भारतीय फिल्मों की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए शुरु किया जा रहा है. फिल्म संस्थान चाहते हैं कि फिल्मों की समीक्षा भी ऊंचे दर्जे की हो.
इस कोर्स के बारे में बताते हुए एनएफएआई के निदेशक विजय जाधव ने कहा, "भारतीय फिल्मों की समीक्षा करने वालों तक पहुंच बनाने के लिए एनएफएआई और एफटीआईआई ने पूरे देश के लोगों के लिए इसी साल अक्तूबर से शुरू किया है. इसमें दाखिला लेने वालों को पत्राचार के जरिए बाकी चीजें तो सिखाई ही जाएगी साथ ही सुभाष घई और मधुर भंडारकर जैसे मशहूर निर्देशकों से चर्चा करने का मौका भी मिलेगा."
नए कोर्स में सिनेमा की सैद्धांतिक पढ़ाई के साथ ही कला और सिनेमा का इतिहास, कला और संवाद के माध्यम के रुप में सिनेमा, सिनेमा का समाज पर प्रभाव और तकनीकी विकास का सिनेमा पर असर, फिल्म बनाने की प्रक्रिया और डिजिटल स्वरूप से पैदा हुई उलझनों के बारे में जानकारी दी जाएगी. विजय जाधव ने कहा कि लंबे समय से सिनेमा उद्योग की ख्वाहिश थी कि फिल्मों की समीक्षा का काम गंभीरता से हो और उसमें शामिल अच्छी चीजों के बारे में विस्तार से चर्चा की जाए. नया कोर्स उसी दिशा में एक कदम है. उन्होंने ये भी कहा कि कोर्स का मकसद भारतीय सिनेमा में दक्षता हासिल करने की इच्छा रखने वालों को एक अच्छा माध्यम देना भी है.
मशहूर फिल्मकार सुभाष घई, मधुर भंडारकर, जब्बार पटेल, अनुराग कश्यप कोर्स के छात्रों से सीधे बातचीत करेंगे और उनकी फिल्मो की स्क्रीनिंग के दौरान खुद मौजूद भी रहेंगे. फिल्म दिखाने के बाद उसके निर्देशन और दूसरे पहलुओं पर सीधे चर्चा की जाएगी. इसके अलावा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की क्लासिक फिल्मों को भी दिखाकर उनके बीच के अंतर पर चर्चा होगी.
एफटीआईआई के निदेशक पंकज राग ने कहा कि संस्थान के पास अच्छी फैकल्टी है वो इस कोर्स में अच्छी भागीदार निभा सकता है. कोर्स में पॉपुलर सिनेमा से जुड़े कई बड़े नाम भी इस कोर्स में शामिल होंगे.
रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन
संपादनः एस गौड़