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प्लेबॉय पत्रिका के पूर्व संपादक होंगे रिहा

२४ जून २०११

प्लेबॉय के इंडोनेशियाई संस्करण के पूर्व प्रधान संपादक एरविन अर्नेडा को शुक्रवार को रिहाई मिल जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने अश्लील तस्वीर छापने के आरोप में उनको मिली दो साल कैद की सजा का फैसला पलट दिया.

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तस्वीर: AP

अर्नेडा पर पारदर्शी कपड़े पहनी महिला की तस्वीर छापने के आरोप लगाए गए थे. पहले अर्नेडा ने अदालत में जाने से इनकार किया लेकिन अक्तूबर में उन्होंने समर्पण कर दिया. अर्नेडा के वकील तोडुगा मुल्या लुबिस ने कहा, "हम शुक्रवार को ही उनकी रिहाई की कोशिश कर रहे हैं."

2006 में इंडोनेशिया में व्यस्क पत्रिका प्लेबॉय काफी बिक रही थी लेकिन लोगों के विरोध के बाद इसका प्रकाशन बंद कर दिया गया जबकि इसमें नग्न तस्वीरें नहीं प्रकाशित की जा रहीं थीं जैसा कि अकसर कई देशों के प्लेबॉय संस्करण में होता हैं.

कट्टरपंथी इस्लामी गुटों की शिकायत पर अर्नेडा को अश्लीलता के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. एक अदालत ने इन आरोपों को खारिज कर दिया. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल निचली अदालत के फैसले को खारिज करते हुए उन्हें दो साल कैद की सजा दी. बचाव पक्ष के वकीलों ने इंडोनेशिया के सर्वोच्च न्यायालय से फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले को पलटते हुए उन्हें पिछले महीने बरी कर दिया.

Cover Katarina Witt im Playboy
प्लेबॉय मैगजीन पर जर्मनी की कैटरीना विटतस्वीर: picture-alliance/ZB

हालांकि इस फैसले को क्यों पलटा गया और इसे सुनाने में देरी क्यों की गई, इस बारे में कोई सफाई नहीं दी गई है. ल्युबिस ने कहा कि उन्हें गुरुवार को इस फैसले के बारे में पता चला और उन्हें इसकी कॉपी नहीं मिली है. सुप्रीम कोर्ट बहुत कम मामलों में अपने फैसले मीडिया में बताता है. ल्युबिस का कहना है, "हमारी मुख्य दलील है कि उन्होंने कुछ भी पोर्नोग्राफिक प्रकाशित नहीं किया था. उन्हें दंड संहिता की धारा के तहत सजा नहीं दी जानी चाहिए थी. उनका केस प्रेस लॉ में आता है." बचाव पक्ष के वकील का दावा है कि उनकी मुवक्किल का काम प्रेस की स्वतंत्रता के कानून में क्षम्य है.

उदारवादी इंडोनेशियाई लोगों ने अर्नेडा की गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया था. मुस्लिम बहुल देश इंडोनेशिया में 2008 में एक पोर्नोग्राफी से निपटने का कानून लागू किया गया था और हाल ही में इंटरनेट में पोर्नोग्राफी को रोकने के लिए भी अभियान शुरू किया है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ए कुमार

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