दिल्ली में पैदा हो सकता है बिजली संकट
२९ नवम्बर २०१९भारत के प्रदूषण नियामक ने नई दिल्ली के आसपास कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों को चेतावनी दी है. चेतावनी में कहा गया है कि यदि वे तय समय-सीमा की भीतर उत्सर्जन मानकों को पूरा करने में विफल होते हैं तो उन्हें बंद किया जा सकता है. यह कदम तब सामने आया है जब नई दिल्ली और उत्तर भारत के आसपास के दूसरे शहर बहुत ज्यादा प्रदूषण से जूझ रहे हैं. स्थानीय सरकारों को स्कूल बंद करने और हेल्थ इमरजेंसी लागू करने पर मजबूर होना पड़ा.
यदि यह प्रस्तावित कार्रवाई लागू की जाती है तो नियम का उल्लंघन करने वालों पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई होगी. पहले बिजली संयंत्रों को उत्सर्जन मानकों को पूरा करने के लिए दिसंबर 2017 तक का समय दिया गया था लेकिन बाद में बढ़ा दिया गया. बड़े पैमाने पर बिजली के संयंत्र बंद होने से राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में बिजली का संकट उत्पन्न हो सकता है. अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि इस स्थिति में सरकार बिजली की कमी कहां से पूरा करेगी.
पानीपत थर्मल पॉवर स्टेशन (पीटीपीएस) को 13 नवंबर की तारीख में एक पत्र भेजा गया था. इस थर्मल पॉवर स्टेशन का संचालन हरियाणा सरकार करती है और यह उत्तरी दिल्ली में है. भारत के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अध्यक्ष ने पत्र के माध्यम से बिजली घर को कथित उल्लंघनों का हवाला देते हुए 15 दिनों के अंदर उसका जवाब मांगा.
सीपीसीबी के अध्यक्ष एसपी परिहार ने पत्र के माध्यम से कहा, "पीटीपीएस, एचपीजीसीएल और हरियाणा को नोटिस जारी किया गया है. नोटिस में यह पूछा गया है कि यूनिट 7 को नियमों का पालन नहीं करने की वजह से बिजली घर को क्यों बंद नहीं किया जाए." एचपीजीसीएल का पूरा नाम हरियाणा पॉवर जेनरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड है.
भारत में बिजली संयंत्रों के उत्सर्जन मानदंडो के पालन के लिए एक चरणबद्ध योजना तैयार की गई है. इसमें सल्फर डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कटौती करने वाली फ्ल्यू गैस डिसल्फराइजेशन (एफजीडी) इकाइयों को स्थापित करना शामिल है. दिल्ली और इसके आसपास के सभी बिजली घरों को 2019 के अंत तक इन मानदंडों को पूरा करना होगा.
सल्फर ऑक्साइड के उत्सर्जन में कटौती करने के लिए भारत के आधे से अधिक कोयला पॉवर प्लांटों के लिए एक समय सीमा तय की गई है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के किए एक समीक्षा में यह बात सामने आई है कि दिल्ली-एनसीआर में कोयले से चलने वाली लगभग सभी इकाइयां समय सीमा की भीतर मानदंडों को पूरा करने में विफल हो सकती है.
एफजीडी मानदंडों का पालन ना करने के अलावा, पत्र में बोर्ड के अक्टूबर में किए गए एक निरीक्षण का हवाला देते हुए काफी ज्यादा कणों के उत्सर्जन की ओर भी ध्यान दिलाया गया है. इस मामले से जुड़े दो अधिकारियों ने बताया कि सीपीसीबी ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि वे मापदंडों को पूरा नहीं करते हुए पाए जाते हैं उन्हें बंद किया जा सकता है. एक अधिकारी ने यह भी बताता कि सीपीसीबी ने कड़ी कार्रवाई करते हुए प्लांट के अधिकारियों को गिरफ्तार करने तक की चेतावनी दी है. हालांकि इस मामले में पूछे जाने पर सीपीसीबी और ऊर्जा मंत्रालय ने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी.
आरआर/एनआर (रॉयटर्स)
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