पूरी दुनिया की मोबाइल टैपिंग
५ दिसम्बर २०१३प्रतिष्ठित अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने स्नोडन से मिली जानकारियों के आधार पर खास रिपोर्ट में लिखा है कि एनएसए ने "उन लाखों अमेरिकियों के लोकेशन पर नजर रखी, जो विदेश जाते हैं." अखबार का दावा है कि इसके अलावा विश्व के करोड़ों करोड़ लोगों के मोबाइल फोन टैप किए गए. इसका अर्थ यह कि एनएसए की तकनीक इतनी जबरदस्त है कि वह दुनिया के किसी भी फोन की टैपिंग कर सकता है और उसके मालिक के बारे में पता लगा सकता है.
पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में एनएसए के एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से लिखा, "हमें विशाल मात्रा में आंकड़े मिल रहे हैं." एनएसए ने इस अधिकारी को बयान देने की इजाजत दी लेकिन नाम बताने की नहीं. एनएसए उन केबल तारों की निगरानी कर रहा है, जिनसे दुनिया भर के मोबाइल फोन जुड़े हुए हैं. इनमें अमेरिकी और दूसरे देशों के फोन भी शामिल हैं.
कैसा है सॉफ्टवेयर
वॉशिंगटन पोस्ट का कहना है कि दूसरे अति आधुनिक उपकरणों के साथ कोट्रैवलर नाम का शक्तिशाली सॉफ्टवेयर अरबों अनजान लोगों की सुरक्षा भेदते हुए उनके फोन तक पहुंच सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएसए को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसे किन आंकड़ों की जरूरत पड़ सकती है, लिहाजा उसने सभी आंकड़ों को रिकॉर्ड कर लिए. ये करीब 27 टेराबाइट हैं. इस विशाल आंकड़े की तुलना करते हुए पोस्ट ने बताया कि अगर कांग्रेस की पुस्तकालय की सभी किताबों को जमा कर लिया जाए, तो भी 13 टेराबाइट ही बनेगा.
अति गोपनीय फाइलों के मुताबिक संवेदनशील गणितीय आंकड़ों की मदद से अमेरिकी एजेंसी सेलफोन मालिकों के व्यवहार और उनके आने जाने के ठिकानों का पता तो लगा ही सकता है. यह भी पता लगा सकती है कि उनके फोन के रास्ते में और कौन से मोबाइल फोन आ रहे हैं. सेलफोन के लोकेशन का पता उस वक्त भी लग सकता है, जब उनका इस्तेमाल फोन या एसएमएस के लिए न हो रहा हो. अमेरिकी सिविल लिबर्टी यूनियन के तकनीक विशेषज्ञ क्रिस सोगोयान का कहना है, "लोकेशन डाटा के संवेदनशील होने की खास बात यह है कि भौतिकशास्त्र के नियम इन्हें निजी और गुप्त नहीं बनने देते."
एनएसए का कबूलनामा
अखबार ने एनएसए के पिछले साल के उस बयान का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि "जिस विशाल मात्रा में उनके पास आंकड़े जमा हो रहे हैं, उससे उन्हें संभालने, स्टोर करने और उनका रिकॉर्ड बनाने में भारी मुश्किल" हो रही है. अखबार को इस बारे में विस्तृत जानकारी एनएसए के पूर्व एजेंट स्नोडन से मिले हैं. अमेरिका से भागने के बाद स्नोडन फिलहाल रूस में रह रहे हैं. अखबार ने इसके अलावा एनएसए अधिकारियों से भी जानकारी ली. एजेंसी ने उन्हें जानकारी देने को तो कहा लेकिन नाम बताने से रोक दिया.
राष्ट्रीय खुफिया विभाग के निदेशक कार्यालय की प्रवक्ता शॉन टर्नर ने इस मामले में कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. खुफिया विभाग के वकील रॉबर्ट लिट का कहना है कि अमेरिका के अंदर सेलफोन जान बूझ कर टैप नहीं किए गए हैं. जबकि एनएसए के निदेशक कीथ एलेक्जेंडर अक्टूबर में अमेरिकी संसद के सामने कह चुके हैं कि उनकी एजेंसी ने 2010 और 2011 में अमेरिकी सेलफोन के आंकड़ों के नमूनों पर नजर रखी थी, ताकि वे जान पाएं कि क्या एनएसए में इन्हें जमा किया जा सकता है. एलेक्जेंडर का दावा है कि इन सूचनाओं का इस्तेमाल कभी भी जासूसी के लिए नहीं किया गया.
अधिकार का हनन
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे अमेरिका की निजता की नीति का हनन होता है. ब्रेनन सेंटर फॉर जस्टिस की एलिजाबेथ गोइटन का कहना है, "विदेशों पर होने वाली निगरानी का पैमाना इतना विशाल है. 'धोखे' से जिस तरह अमेरिकियों की जानकारी जमा की जा रही है, यह लगभग पूरी जनता पर निगरानी जैसा है." अमेरिका की सिविल लिबर्टी यूनियन की कैथरीन क्रंप का कहना है, "अमेरिकियों के बारे में जुटाई गई जानकारी बहुत ज्यादा है. सरकार को अपनी निगरानी उन लोगों पर केंद्रित करनी चाहिए, जिन पर कुछ गलत करने का शक हो सकता है."
एजेए/एमजी (एपी, एएफपी)