पिछले तीन दशकों में ऐसी रही भारत की लोकसभा
भारत में 2019 के आम चुनावों में 17वीं लोकसभा चुनी जा रही है. 1990 के बाद हुए चुनावों में संसद में क्षेत्रीय पार्टियों का में दखल बढ़ा है. एक नजर लोकसभा में पार्टियों के प्रतिनिधित्व पर.
1991, 27 पार्टियां
साल 1991 के लोकसभा चुनावों के बाद तकरीबन 27 पार्टियां सदन में पहुंची. उन चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला. नतीजतन कांग्रेस ने कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिल कर पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व में एक अल्पमत सरकार बनाई.
1996, 30 पार्टियां
11वीं लोकसभा में 30 पार्टियों को जगह मिली. उस वक्त बीजेपी 161 के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी ने पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनाई जो महज 13 दिन चली. सरकार गिरी और कांग्रेस के समर्थन से तीसरे मोर्चे की सरकार बनी.
1998, 40 पार्टियां
12वीं लोकसभा में करीब 40 राजनीतिक दलों को सदन मे जगह मिली. इस साल बीजेपी ने 182 सीटों पर जीत दर्ज की और अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में गठबंधन सरकार बनी. लेकिन यह सरकार भी महज 13 महीने में गिर गई.
1999, 41 पार्टियां
13वीं लोकसभा के चुनावों में बीजेपी एक बार फिर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. उस लोकसभा में अब तक सबसे अधिक 41 राजनीतिक दलों को सदन में जगह मिली. बीजेपी ने एक बार फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में 17 दलों के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई.
2004, 36 पार्टियां
14वीं लोकसभा के चुनावों में बीजेपी के इंडिया शाइनिंग नारे के बीच कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. 14वीं लोकसभा में करीब 36 राजनीतिक दलों को जगह मिली. कांग्रेस ने 30 पार्टियों के साथ मिल कर डॉ मनमोहन सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई.
2009, 38 पार्टियां
15वीं लोकसभा में एक बार फिर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. उस लोकसभा में 38 राजनीतिक दलों को सदन में जगह मिली. 2009 के चुनावों में बीजेपी का वोट पर्सेंट गिरा वहीं एक बार केंद्र में डॉं मनमोहन सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी.
2014, 36 पार्टियां
16वीं लोकसभा में बीजेपी को पहली बार 283 सीटें मिली. उस लोकसभा में देश की 36 राजनीतिक दलों को सदन में जगह मिली. केंद्र में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी और इसके सहयोगी दलों की सरकार बनी.
2019, 33 पार्टियां
17वीं लोकसभा में भाजपा 303 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है. 1984 के चुनाव के बाद पहली बार किसी दल ने अकेले 300 का आंकड़ा पार किया है. नरेंद्र मोदी की अगुवाई में दूसरी बार भाजपा की सरकार केंद्र में बनी है.