सदस्यता अभियान सफल भी रहा तो कहां होगी कांग्रेस
१८ सितम्बर २०१९कांग्रेस अक्टूबर महीने से एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करने की तैयारी में है, जिसके तहत पार्टी के साथ पांच करोड़ सदस्यों को जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. इस अभियान में फर्जी सदस्यता से बचने के लिए डिजिटल प्रणाली का भी सहारा लिया जाएगा. कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा जारी एक सर्कुलर में पार्टी नेताओं को महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड को छोड़कर सभी राज्यों में सदस्यता के लिए डोर-टू-डोर अभियान शुरू करने के लिए कहा गया है. इन तीन राज्यों को फिलहाल इसलिए छोड़ा गया है, क्योंकि यहां अगले कुछ महीनों में ही चुनाव होने वाले हैं.
समाचार एजेंसी आईएएनएस को मिले एक पत्र में कहा गया है, "यह निर्णय लिया गया है कि सदस्यता अभियान डिजिटल और पारंपरिक पेपर दोनों के माध्यम से होगा. सभी संगठन और विभाग अपने-अपने बूथ क्षेत्रों में इस अभियान में भाग लेंगे."
बीजेपी के सामने कहां टिकेंगे
एक महीने पहले ही एक बार फिर से सोनिया गांधी को पार्टी की बागडोर सौंपी गई है. राहुल गांधी ने पिछले लोकसभा चुनाव में पराजय के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया था. कांग्रेस की प्रतिद्वंद्वी भारतीय जनता पार्टी, बीजेपी चुनावी सफलताओं और संगठनात्मक गतिविधियों के मामले में लगातार आगे बढ़ रही है. इसलिए अब कांग्रेस ने भी पांच करोड़ सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है. लक्ष्य पूरा भी हो जाए तो भी कांग्रेस भाजपा के 18 करोड़ के आंकड़े से बहुत पीछे ही रहेगी.
पार्टी ने अपने पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि नए सदस्यों का बायोडेटा फोटो और वोटर आईडी कार्ड के साथ डिजिटल प्रारूप में अपलोड किया जाए.
ऑनलाइन सदस्यता फॉर्म कांग्रेस पार्टी की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है. फॉर्म में यह उल्लेख किया गया है कि नए सदस्य को पहचान प्रमाण के रूप में अपना ईपीआईसी (इलेक्शन आई-कार्ड) अपलोड करना होगा. कुछ जानकारी देने के बाद उन्हें पार्टी से मेल या मैसेज के माध्यम से सूचना मिल जाएगी.
उत्तर प्रदेश की प्रभारी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी द्वारा बुलाई गई हालिया बैठक में पूर्व केंद्रीय मंत्री राम लाल राही ने फर्जी सदस्यता का मुद्दा उठाते हुए कहा था कि सदस्यता अभियान वास्तविक होना चाहिए, न कि केवल कागजों पर.
नेताओं के पार्टी छोड़ने से मुश्किल में कांग्रेस
बीते लोकसभा चुनाव में अपने निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कांग्रेस गंभीर संकट से गुजर रही है, क्योंकि कांग्रेस के विधायकों व सांसदों सहित बहुत नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है और इसकी कीमत पार्टी को कर्नाटक में अपनी सरकार खोकर चुकानी पड़ी.
पार्टी छोड़कर जाने का मुद्दा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ 12 सितंबर को पार्टी महासचिवों, राज्य प्रभारियों, राज्य इकाई के प्रमुखों व सीएलपी नेताओं के साथ हुई बैठक में उठाया गया. उन्होंने दलबदलुओं को 'अवसरवादी' बताया.
दलबदलुओं के मामले में कर्नाटक के अलावा सबसे बुरी तरह से प्रभावित राज्यों में तेलंगाना व गोवा रहे हैं. महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश से भी इस्तीफे दिए गए हैं. बीते लोकसभा चुनाव में कांग्रेस 542 सीटों में से सिर्फ 52 सीटें जीतने में कामयाब रही. इससे पहले कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं.
--आईएएनएस
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