'पाकिस्तान से आतंकवाद बंद हो'
१६ जून २००९पिछले साल मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के शीर्ष नेताओं की यह पहली मुलाक़ात है. मनमोहन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान को इस बात का भरोसा देना होगा कि आतंकवादी उनके देश से कार्रवाई न करें.
प्रधानमंत्री ने कहा, "मैं आप से मिल कर ख़ुश हूं. लेकिन आपको यह कहने का जनादेश मिला है कि पाकिस्तान की ज़मीन का आतंकवाद के लिए इस्तेमाल न किया जाए." दोनों नेताओं ने शंघाई सहयोग संस्था (एससीओ) की बैठक के दौरान रूस के येकातेरिनबर्ग शहर में मुलाक़ात की.
पिछले साल मुंबई हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता अटक गई थी. लेकिन जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री के कड़े शब्दों के बाद इस बात की कम ही उम्मीद है कि दोनों देशों के बीच बातचीत आगे बढ़ पाए. हालांकि अमेरिका चाहता है कि भारत और पाकिस्तान के कूटनीतिक रिश्तों में तनाव कम हो. पाकिस्तान चाहता है कि भारत के साथ उसकी शांति वार्ता फिर शुरू हो लेकिन भारत ने साफ़ किया है कि बातचीत की बहाली से पहले पाकिस्तान को लश्कर-ए-तैयबा के ख़िलाफ़ कड़े कदम उठाने होंगे.
हालांकि दोनों राष्ट्रों के बीच यह अनौपचारिक बातचीत है और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने इसका स्वागत करते हुए कहा, "दोनों नेता आपस में मुलाक़ात कर रहे हैं." भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अभी पिछले हफ़्ते ही संसद में कहा था कि अगर पाकिस्तान सही मायने में आतंकवाद से निपटने के लिए तैयार हो तो भारत उसका साथ देगा.
पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी से बातचीत के पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आतंकवाद और अन्य सुरक्षा मामलों पर क्षेत्रीय सहयोग पर ज़ोर दिया. भारत ब्राज़ील रूस और चीन के समूह (बीआरआईसी) ब्रिक की पहली शिखर वार्ता के उद्धाटन भाषण में सिंह ने कहा, "हमारा क्षेत्र आतंकवाद, चरमपंथी विचारधारा और नशीले पदार्थों के ग़ैरक़ानूनी व्यापार का डेरा बन गया है. इन दिनों आतंकवाद का असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैल गया है".
मनमोहन सिंह का कहना था कि ये बहुत ज़रूरी है कि "हम वैश्विक स्तर पर एक दूसरे से खरा सहयोग करें ताकि अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद को ख़त्म किया जा सके."
इसी बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि "पाकिस्तान और भारत इस बात पर राज़ी हो गए हैं कि दोनों देशों के विदेश सचिव जल्द ही मिलेंगे और आतंकवाद के मसले पर बातचीत करेंगे".
दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद मनमोहन सिंह पहली विदेश यात्रा पर हैं. रूस के दौरे पर गए मनमोहन तीन दिन तक रूस, चीन और ब्राज़ील के शीर्ष नेताओं से मिल रहे हैं. रूस रवाना होने से ठीक पहले जारी एक बयान में प्रधानमंत्री ने कहा, "भारत ब्रिक (ब्राज़ील, रूस, चीन और भारत) अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है. हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक मंदी से उबरने के प्रयासों में अहम योगदान देना चाहेंगे".
रिपोर्ट: एजेंसियां/आभा मोंढे
संपादन: ए जमाल