पाकिस्तान की जेल में भारत का युद्धबंदी
२८ अप्रैल २०११अंसार बर्नी के मुताबिक इस भारतीय युद्धबंदी को 1971 की लड़ाई के दौरान गिरफ्तार किया गया और फिलहाल वह पाकिस्तान की जेल में बंद हैं. बर्नी का कहना है कि इस युद्धबदी का नाम सुरजीत सिंह है और उनका परिवार 1971 से ही उनकी तलाश कर रहा है.
अंसार बर्नी का यह भी कहना है कि सुरजीत सिंह को मिली जेल की सजा पिछले साल दिसंबर में ही पूरी हो गई. अंसार बर्नी पाकिस्तान में मानवाधिकार मामलों के केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. इससे पहले भी उन्होंने भारत और पाकिस्तान की जेलों में बंद एक दूसरे देश के लोगों की रिहाई का मामला कई बार उठाया है. उनका कहना है, "पहले सुरजीत सिंह को मौत की सजा दी गई थी लेकिन बाद में उसे उम्रकैद की सजा में बदल दिया गया."
अंसार बर्नी ने भारत की जेल में बंद डॉक्टर मोहम्मद खालिद चिश्ती की रिहाई के लिए भी भरपूर कोशिश की. डॉ चिश्ती को लंबी सुनवाई के बाद भारत में उम्र कैद की सजा सुनाई गई. चिश्ती 1992 में अजमेर शरीफ गए थे वहीं उनकी अपने भाई के साथ लड़ाई हुई जिसमें उनके भाई की मौत हो गई. 14 मार्च 1992 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद अजमेर में मुकदमा चला जिसके बाद उन्हें उम्र कैद की सजा मिली.
अंसार बर्नी ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के पास अनुरोध भेजा है कि वह मानवीय आधार पर सुरजीत सिंह को रिहा कर के उन्हें भारत के हवाले कर दें. भारतीय संगठनों का कहना है कि 1971 में दोनों देशों के बीच हुई लड़ाई में भारत के 54 लोगों को बंदी बनाया गया जिनके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. माना जाता है कि ये लोग पाकिस्तान की अलग अलग जेलों में बंद हैं. पाकिस्तान अधिकारियों का कहना है उनके पास ऐसे किसी युद्धबंदी के बारे में कोई जानकारी नहीं है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ एन रंजन
संपादनः उभ