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पाक सरकार ने शुरू की तालिबान से बातचीत

२१ मार्च २०११

पाकिस्तान सरकार ने तहरीक-ए-तालिबान और अन्य उग्रवादी गुटों से बातचीत शुरू कर दी है. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक अफगानिस्तान से नाटो सेनाओं की समय से पहले वापसी को देखते हुए यह कदम उठाया गया है.

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तस्वीर: Elham Rohullah

पाकिस्तान के एक्सप्रेस ट्रिब्यून अखबार ने अपने सूत्रों का हवाला देते हुए लिखा है कि देश भर में हालिया कई आतंकवादी हमलों से पहले पाकिस्तानी तालिबान और दूसरे उग्रवादी गुटों के साथ शुरुआती बातचीत हुई है. दोनों पक्ष पाकिस्तान के सरहदी प्रांत खैबर पख्तून ख्वाह में उग्रवाद को खत्म करने के लिए अपनी अपनी मांगें और शर्तें रख रहे हैं.

पाकिस्तानी अधिकारियों ने तालिबान और दूसरे उग्रवादी गुटों को साफ बता दिया है कि अल कायदा को बातचीत में किसी भी स्तर पर शामिल नहीं किया जाएगा. कुछ पाकिस्तानी कबायली बुजुर्ग सुरक्षा बलों और तहरीक-ए-तालिबान के बीच मध्यस्थता कर रहे हैं. बातचीत ने पहले अधिकारियों ने तालिबान विरोधी मिलिशिया से अपना समर्थन वापस ले लिया जिसे कबायली इलाकों में अमन कमेटी के नाम से जाना जाता है. इसके बाद तालिबान ने उनसे अपना हिसाब चुकता किया. 9 मार्च को पेशावर के नजदीक अदेजाई इलाके में एक अंतिम संस्कार के दौरान 44 कबायली मारे गए.

दो नावों की सवारी

इस हमले के बाद अदेजाई मिलिशिया के प्रमुख ने सरकार को चेतावनी दी कि अगर सरकार की ओर से उन्हें आर्थिक और सुरक्षा मदद दो दिन में बहाल नहीं की गई तो उनके लोग दूसरे विकल्पों पर अमल करने के लिए मजबूर होंगे. सरकार इन मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया. खैबर पख्तून ख्वाह के वरिष्ठ मंत्री और एएनपी पार्टी के नेता बशील बिलौर ने फिर कहा है कि अब ऐसे मिलिशिया गुटों की कोई अहमियत नहीं रह गई है. उन्होंने कहा कि तालिबान से पैदा खतरे को लेकर सरकार मिलिशिया नेताओं से बात करेगी.

सूत्रों का कहना है कि सरकार अपने विकल्प खुले रखने के लिए न तो उग्रवादियों को नाराज करना चाहती है और न ही मिलिशिया गुटों को. प्रांतीय सरकार ने अजेदाई धमाके में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा दिया लेकिन मिलिशिया को मदद देने से इनकार कर दिया. सरकार तालिबान के दुश्मनों के मदद देकर उन्हें नाराज नहीं करना चाहती. साथ ही वह तालिबान पर दबाव बनाने के लिए मिलिशिया गुटों का समर्थन भी नहीं खोना चाहती.

पाकिस्तान की तैयारी

पिछले हफ्ते उत्तरी वजीरिस्तान में संदिग्ध अमेरिकी ड्रोन हमले में 44 लोगों के मारे जाने की जब सेना प्रमुख अश्फाक परवेज कयानी ने निंदा की तो संकेत मिला कि सरकार तालिबान के साथ चल रही बातचीत को पटरी से नहीं उतारना चाहती है.

नाटो इस साल अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को हटाना शुरू देगा जिसका एलान अमेरिका राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पिछले ही साल कर दिया. 2014 तक अफगानिस्तान की जिम्मेदारी पूरी तरह स्थानीय सुरक्षा बलों को सौंप दी जाएगी. हाल ही में नाटो के रक्षा मंत्रियों ने उस योजना का समर्थन किया जिसमें अगले कुछ महीनों में काबुल समेत तीन शहरों की जिम्मेदारी अफगान सुरक्षा बलों को सौंपने की बात कही गई है. ऐसे में पाकिस्तान ने तालिबान और अन्य उग्रवादी गुटों से बातचीत शुरू की है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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