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पर्यावरण संरक्षण पर साथ भारत और चीन

१५ मई २०१५

भारत और चीन ने सीमा विवादों को द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति में बाधक नहीं बनने देने का संकल्प जताया है. पर्यावरण पर साझा रुख अपनाते हुए उन्होंने धनी देशों से कार्बन उत्सर्जन कम करने की दिशा में प्रयास बढ़ाने को कहा है.

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तस्वीर: Reuters/Kyodonews/K. Fukuhara

भारत और चीन ने जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर एक व्यापक, संतुलित, समानता पर आधारित और कारगर समझौते के लिए मिलकर काम करने पर सहमति जताई. चीन दुनिया का सबसे ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश है तो भारत तीसरे नंबर पर है. लेकिन वे आबादी के हिसाब से पश्चिमी देशों की तुलना में प्रति व्यक्ति बहुत कम उत्सर्जन करते हैं. भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के प्रधानमंत्री ली केकियांग के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक के बाद जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, "दोनों पक्षों ने विकसित देशों से 2020 से पहले के अपने उत्सर्जन लक्ष्यों को बढ़ाने और विकसित देशों को हर साल 100 अरब डॉलर देने की प्रतिबद्धता का आदर करने का आग्रह किया है."

दोनों देशों ने माना कि जलवायु परिवर्तन की समस्या 21वीं शताब्दी की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और इसके प्रतिकूल प्रभाव पूरी मानव जाति के लिए चिंता का विषय है. इसे अक्षय विकास के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय सहयोग से हल किए जाने की जरूरत है. भारत और चीन ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र संधि और क्योटो प्रोटोकॉल ही अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए सबसे उपयुक्त मंच हैं. दोनों देशों ने विकसित देशों से ग्रीनहाउस उत्सर्जन कम करने और विकासशील देशों को वित्तीय सहायता, तकनीक और क्षमता निर्माण में सहयोग देने का अनुरोध किया. दोनों देशों ने इस वर्ष पेरिस में होने वाली पर्यावरण सम्मेलन को पूरा समर्थन देने का वादा किया.

Indien China Modi bei Li Keqiang
तस्वीर: Reuters/Kyodonews/K. Fukuhara

प्रधानमंत्रियों की भेंट के बाद जारी संयुक्त बयान में भारत और चीन ने कहा, “दोनों पक्ष अपने सीमा मुद्दे सहित कई लंबित मतभेदों को तेजी से सुलझाएंगे. भारत-चीन सीमा पर शांति एवं स्थिरता को द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति एवं विकास के लिए एक महत्वपूर्ण गारंटी के रूप में स्वीकार किया गया है.” मोदी ने भी अपने मीडिया वक्तव्य में कहा कि ली के साथ उनकी बातचीत सार्थक, रचनात्मक एवं मैत्रीपूर्ण रही जिसमें सभी मुद्दों पर बातचीत हुई. इनमें वे मुद्दे भी शामिल हैं जिनकी वजह से दोनों देशों के बीच संबंधों की प्रगति में समस्या आ रही है. उन्होंने कहा, “मैंने इस बात पर जोर दिया है कि चीन कुछ मुद्दों पर अपने रुख पर पुनर्विचार करे जो हमारी साझेदारी की पूर्ण क्षमता के दोहन से रोकता है. मैंने सुझाव दिया है कि चीन को हमारे संबंधों पर एक रणनीतिक एवं दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. चीनी नेतृत्व ने इस पर सही प्रतिक्रिया दी है."

भारत और चीन ने अपने द्विपक्षीय संबंधों को नयी ऊंचाई देने के लक्ष्य के साथ आज यहां अंतरिक्ष, विज्ञान, कौशल विकास, रेल, स्मार्ट सिटी, पर्यटन और शिक्षा सहित अनेक क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए 24 समझौतों पर दस्तखत किए. मोदी ने अपनी चीन यात्रा के दूसरे दिन चीनी प्रधानमंत्री के साथ पहले अकेले में बैठक की जो करीब 50 मिनट चली. उसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता हुई. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की पिछले साल हुई भारत यात्रा के दौरान 16 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे.

दोनों देशों के बीच आज हुए समझौतों के मुताबिक चेन्नई और चेंगदू में महावाणिज्य दूतावास खोले जाएंगे. रेलवे के विकास के लिए दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ है. शंघाई में गांधीवादी और भारतीय केंद्र और कुनमिंग में योग संस्थान की स्थापना की जाएगी. चेन्नई और चोंगचिंग तथा हैदराबाद और किंगदाओ को 'सिस्टर सिटी' और कर्नाटक तथा सिचुआन को 'सिस्टर स्टेट' बनाने पर भी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए गए. व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास में सहयोग के लिए भी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

चीन के सहयोग से अहमदाबाद में महात्मा गांधी कौशल विकास एवं उद्यमिता संस्थान की स्थापना की जाएगी. साथ ही दोनों देशों ने खनन, अंतरिक्ष, मीडिया, भूकंप विज्ञान और भूकंप अभियांत्रिकी, समुद्री विज्ञान और जलवायु परिवर्तन के क्षेत्रों में भी सहयोग पर सहमति जताई. मीडिया के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए चीन के सरकारी चैनल सीसीटीवी और दूरदर्शन के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ. दोनों देशों के बीच भारत-चीन थिंक टैंक फोरम की स्थापना करने के लिए भी एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए.

एमजे/आरआर (रॉयटर्स, वार्ता)