पकड़ बनाती पाइरेट पार्टी
३० अप्रैल २०१२पिछले साल बर्लिन विधानसभा चुनावों में जब पाइरेट पार्टी ने अचानक भारी भरकम सीटें हासिल कर लीं तो लोगों में अजीब सी नाराजगी दिखी. इसने उस वक्त 8.9 प्रतिशत वोट हासिल किए. लेकिन इसके बाद पार्टी की लोकप्रियता बढ़ने लगी और अब तो ओपियन पोल बता रहे हैं कि इसे 11 से 13 फीसदी वोट मिल सकते हैं.
यहां तक कि जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल को भी उन्हें संजीदगी से लेना होगा. अगले साल यानी 2013 में होने वाले चुनाव में पाइरेट पार्टी वैसा ही गुल खिला सकती है, जो 1980 के दशक में ग्रीन पार्टी ने खिलाया था. पाइरेट पार्टी को हर जगह से समर्थन मिल रहा है लेकिन शासन विरोधी होने का दम भरने वाली वामपंथी पार्टी डी लिंके इसे काफी पसंद कर रही है. पार्टी ने कई ऐसे वोटरों को मतदान केंद्रों पर खींचा है, जो पहले राजनीति से कोसों दूर रहते थे.
जर्मनी के नौएम्यून्स्टर शहर में दो दिन चली के पार्टी कांफ्रेंस में 24 साल की नेता मारीना वीसबांड का कहना है, "हम कम उम्र के हैं और छोटे हैं. लेकिन हमने अभी से इतिहास बना दिया है." आम राजनीतिक पार्टियों से अलग इस सम्मेलन में बैनर झंडों से ज्यादा कंप्यूटर और लैपटॉप दिख रहे हैं. सादे कपड़ों की जगह स्याह कपड़े पहन कर पार्टी कार्यकर्ता आए हुए हैं. वीसबांड कहती हैं, "मुझे लगता है कि लोगों को एक दूसरे से जुड़ने की जरूरत है. तभी अच्छा नेटवर्क बन सकता है."
पकड़ बढ़ाती पार्टी
पार्टी का विरोध करने वाले लोग इन्हें कुछ लोगों की जमात कहते हैं, जो इंटरनेट के आधार पर राजनीति में घुसने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन 1980 के दशक में ग्रीन पार्टी को भी ऐसा ही कहा गया, जिसने अब जर्मनी की राजनीति में पक्की जगह बना ली है और कुछ राज्यों में तो सरकार में भी शामिल हो चुकी है.
पाइरेट पार्टी को भी हल्के में लेना गलती होगा. बर्लिन के बाद मार्च के चुनावों में जारलांड प्रांत में भी उन्हें कामयाबी मिल गई है. वे जर्मनी की 16 राज्यों में से दो और प्रांतों की विधानसभाओं में बेहतर प्रदर्शन की कोशिश कर रहे हैं. हाल के दिनों में पार्टी के सदस्यों की संख्या बढ़ कर 28,600 हो गई है. अगले साल जर्मन संसद बुंडेस्टाग में प्रवेश के लिए पाइरेट पार्टी को पांच प्रतिशत वोट की दरकार होगी और उनकी बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए यह ज्यादा मुश्किल नहीं लग रहा है. हालांकि शुरू में वह सरकार में नहीं शामिल होना चाहती और विपक्ष में बैठना चाहती है.
क्या है पाइरेट पार्टी
करीब छह साल पहले इस पार्टी का गठन किया गया. इसे ऐसे लोगों ने बनाया, जिन पर इंटरनेट से कॉपीराइट माल को गलत तरीके से डाउनलोड करने के आरोप रहे हैं. इंटरनेट पाइरेसी से जुड़े होने की वजह से इन्होंने अपनी पार्टी का नाम पाइरेट पार्टी रख लिया. इनका दावा है कि ये कुछ गलत नहीं कर रहे हैं. इससे पहले यूरोप में स्वीडन की पाइरेट पार्टी काफी लोकप्रिय हुई है और एक बार तो उसने ग्रीन पार्टी को भी पछाड़ दिया. दो साल पहले 2010 में दुनिया भर की पाइरेट पार्टियों का एक संगठन भी बन गया है, जिसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में है.
जर्मनी की पाइरेट पार्टी में मुख्य रूप से इंटरनेट और कंप्यूटर के जानकार लोग भरे हैं. लेकिन हाल के सालों में इसने दायरा बढ़ाया है. उन्होंने सदस्यों को भी काफी अधिकार दे रखा है और बड़े फैसलों में ज्यादातर सदस्यों की राय सुनी जाती है. इसके लिए वे सोशल मीडिया और ईमेल से एक दूसरे से जुड़े रहते हैं.
ऑनलाइन कामकाज
समुद्री डकैत की वेशभूषा में मौजूद 40 साल के मार्क का कहना है, "मैं ज्यादातर ऑनलाइन मीटिंग में शिरकत करता हूं. मेलिंग लिस्ट में मेरे नाम हैं और मैं इंटरनेट पर टेलीकांफ्रेंस में भाग ले रहा हूं. मैं 25 मेलिंग लिस्ट में हूं और मेरे पास बहुत काम है. मुझे हर रोज 16 से 20 घंटे ऑनलाइन काम करना पड़ता है."
नौएम्यून्स्टर कांफ्रेंस में भाषण सुनते हुए 22 साल के मारियोस वेर्नर ट्विटर पर फोटो भी अपलोड कर रहे हैं. यहां करीब 1700 लोग जमा हुए हैं. वेर्नर कहते हैं, "मैं पहले राजनीति में नहीं था. मुझे नहीं लगता था कि मैं राजनीति में कुछ बदल पाऊंगा. लेकिन एक बार मैं पाइरेट पार्टी की बैठक में गया और मुझे लगा कि यह तो बिलकुल अलग है. यह तो जमीनी स्तर का लोकतंत्र है."
कुछ लोगों का कहना है कि पाइरेट पार्टी कट्टरपंथी दलों को किनारे करने में भी मदद कर सकती है. जर्मनी में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से एसपीडी और सीडीयू का दबदबा रहा है. लेकिन हाल के दिनों में वामपंथी डी लिंके, पर्यावरण पर बनी पार्टी ग्रीन और अब पाइरेट पार्टी ने सारे राजनीतिक समीकरणों को तोड़ मरोड़ कर रख दिया है. इन्होंने राजनीति का मुद्दा भी बदल कर रख दिया है.
युवा पार्टी पाइरेट
इस पार्टी की खास बात यह है कि इसमें युवा लोग जुड़े हैं. पार्टी के सदस्यों की औसत उम्र सिर्फ 37 साल है. जानकारों का कहना है कि ये वही जगह ले सकते हैं, जो कभी ग्रीन पार्टी ने ली थी. हालांकि ग्रीन पार्टी 30 साल बाद पूरी तरह राजनीति के रंग में ढल चुकी है, जबकि पाइरेट फिलहाल विद्रोह का स्वर मुखर कर रही है. उसका कहना है कि संसद में जाने के बाद भी वह विपक्षी बेंच पर ही बैठेगी.
एजेए/एएम (रॉयटर्स)