निवेश बढ़ाने से रुपया उछला
१७ जुलाई २०१३अंतरराष्ट्रीय मानक मुद्रा माने जाने वाले अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारत की मुद्रा पिछले दिनों बुरी तरह गिर रही थी और हाल ही में वह 60 रुपये के मनोवैज्ञानिक रेखा से भी उतर गई. पहले भारतीय रिजर्व बैंक के कुछ कदम और बाद में विदेशी निवेश पर भारत सरकार के फैसलों की वजह से अब रुपये में सुधार हुआ है.
सरकार ने रक्षा, बीमा और टेलीकॉम के अहम क्षेत्रों में विदेशी निवेश बढ़ाने का फैसला किया है. भारतीय उद्योग महासंघ सीआईआई का मानना है कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था भी बेहतर होगी. सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बैनर्जी ने कहा, "यह भारत के लिए अच्छी खबर है. एक अहम और शानदार कदम."
वह भारतीय कारोबारियों के साथ हफ्ते भर के अमेरिकी दौरे पर हैं. उनका कहना है, "इससे हमारे राजस्व में भी बढ़ोतरी हो सकती है और निवेश में भी. इससे भारतीय कंपनियों के विकास का रास्ता भी खुल सकता है."
इससे पहले भारतीय मंत्रिमंडल ने विदेशी निवेश पर लगी सीमाओं में ढील देने का फैसला किया. सरकार ने यह फैसला ऐसे वक्त में किया, जब भारतीय मुद्रा बुरी हालत में है, विकास का दर गिरता जा रहा है और सरकार पर कई वित्तीय भ्रष्टाचार के मामले में आरोप लग चुके हैं.
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा का कहना है, "हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस फैसले के बाद यहां विदेशी निवेश में तेजी आएगी." भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर पिछले एक दशक में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है और सरकार इसे फिर से तेजी की पटरी पर लाना चाहती है.
प्रधानमंत्री और अर्थशास्त्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में फैसला किया गया कि टेलीकॉम क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 74 फीसदी से बढ़ा कर 100 फीसदी कर दी जाएगी. उन्होंने यह भी तय किया कि एक ब्रांड वाले रिटेल दुकानों और पेट्रोलियम खानों के लिए कुछ सीमा तक सरकारी मंजूरी की जरूरत नहीं होगी.
हालांकि संवेदनशील रक्षा विभाग में अभी भी विदेशी निवेश की सीमा 26 फीसदी ही रहेगी. तय हुआ कि इससे ज्यादा अगर किसी मामले में निवेश की बात आएगी तो उस मामले को जांच परख कर फैसला किया जाएगा. हालांकि बीमा क्षेत्र में 26 फीसदी की सीमा को बढ़ा कर 49 प्रतिशत कर दिया गया है.
आनंद शर्मा ने बताया कि इन फैसलों पर अभी पूरे मंत्रियों की रजामंदी लेनी होगी, तभी इन्हें अमल में लाया जा सकेगा. भारत ने ये फैसले ऐसे वक्त में किए हैं, जब वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने हाल ही में अमेरिका का दौरा किया और वहां अर्थव्यवस्था को लेकर अहम बातचीत की.
भारतीय उद्योग और वाणिज्य परिसंघ की प्रमुख नैना लाल किदवई ने इस फैसले का स्वागत किया, "हम इस फैसले का स्वागत करते हैं, जो संकेत देते हैं कि बदलाव का रास्ता शुरू हो गया है."
जानकारों का कहना है कि भारत को अपनी अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लाने के लिए निवेश के बड़े फैसले करने होंगे और लाल फीताशाही कम करनी होगी. पिछले साल सरकार ने रिटेल सेक्टर में विदेशी निवेश बढ़ाने का फैसला किया था, जिस पर खासा बवाल हो चुका है.
सीआईआई के प्रमुख बैनर्जी का कहना है, "पिछले कुछ समय से, हम आर्थिक सुधार की बात कर रहे हैं कि इन्हें बढ़ाना जरूरी है. हम कई क्षेत्रों में एफडीआई बढ़ाने की बात कर रहे हैं और टेलीकॉम पर फैसला बेहद अहम है."
हालांकि उनका कहना है कि इसका असर दिखने में समय लगेगा, "यह काम एक रात में नहीं हो सकता है."
एजेए/एनआर (पीटीआई, एएफपी)