निरक्षरता से परेशान यूरोप
२ फ़रवरी २०११एशिया के बच्चे यूरोप के बच्चों को पीछे छोड़ रहे हैं. दक्षिण कोरिया में छह प्रतिशत और जापान में 14 प्रतिशत बच्चे ठीक से पढ़ नहीं सकते. वहीं कनाडा के लगभग 10 प्रतिशत बच्चे पढ़-लिख न पाने की श्रेणी में आते हैं. लेकिन यूरोपीय संघ के देशों में ऐसे बच्चों का आंकड़ा लगभग 20 प्रतिशत है.
यूरोपीय शिक्षा आयुक्त आंद्रूला वासीलू ने कहा, "हम इन बच्चों के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं और हमें अब कुछ करना होगा." यूरोप के भविष्य को दर्शाते इन निराशाजनक आंकड़ों से पता चला है कि यूरोपीय संघ में लगभग आठ करोड़ वयस्कों की साक्षरता बहुत ही निचले स्तर की या फिर बहुत ही बुनियादी किस्म की है. वासीलू ने कहा कि यह लोग आर्थिक जिंदगी की जरूरतों को भी पूरा नहीं कर सकते हैं.
यूरोपीय आयुक्त ने बताया है कि इन हालात में ये लोग समाज में रहने के काबिल नहीं रहेंगे. वासीलू की चिंता वास्तव में विश्लेषकों के एक पूर्वानुमान पर आधारित है जिसके मुताबिक यूरोप में कम दक्षता वाली नौकरियां कम होंगी और उच्च शिक्षा वाले लोगों की मांग बढ़ेगी. इस दशक के अंत तक यूरोप में उच्च शिक्षा प्राप्त 35 प्रतिशत और लोगों की जरूरत होगी. इस वक्त नौकरियों में उच्च शिक्षित लोगों की मांग 29 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है.
यूरोप में साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए यूरोपीय संघ ने मंगलवार को विश्लेषकों का एक पैनेल बनाया है जो संयुक्त राष्ट्र सांस्कृतिक परिषद (यूनेस्को) के साथ मिलकर साक्षरता बेहतर करने पर प्रस्ताव तैयार करेगा. 2012 तक ये प्रस्ताव सरकारों के सामने रखे जाएंगे.
यूरोपीय आयोग ने स्कूल छोड़ने वाले बच्चों के लिए भी खास योजना तैयार की है. यूरोपीय संघ के देशों में लगभग छह लाख बच्चे हर साल स्कूली पढ़ाई बीच में ही छोड़ देते हैं. मालटा, पुर्तगाल और स्पेन में हर तीसरा बच्चा स्कूली पढ़ाई पूरी नहीं करता. ऑस्ट्रिया, चेक गणराज्य, फिनलैंड, लिथुआनिया, पोलैंड, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया में हर दसवां बच्चा बीच में ही स्कूल जाना छोड़ देता है.
रिपोर्टः एएफपी/एमजी
संपादनः ए कुमार