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नई डोमिसाइल नीति की कश्मीर में आलोचना

१ अप्रैल २०२०

केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर के लिए एक नई डोमिसाइल नीति की घोषणा की है. प्रदेश के राजनीतिक नेतृत्व में इन बदलावों के प्रति खासी नाराजगी दिख रही है.

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Die Bharat Mata Chowk Strasse in Kadchmir,, neu Delhi
तस्वीर: DW/Z. Salahuddin

कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ाई के लिए पूरे देश में लागू तालाबंदी के बीच, केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर में एक ऐसी नीति लागू कर दी है जिसका इस केंद्र शासित प्रदेश के भविष्य पर गहरा असर पड़ेगा. प्रदेश में अधिवास यानी डोमिसाइल के नए नियमों की घोषणा करते हुए केंद्र ने अधिसूचना जारी की है कि प्रदेश में कम से कम 15 सालों तक रहने वाला हर व्यक्ति डोमिसाइल के लिए योग्य होगा. इसके अलावा डोमिसाइल की परिभाषा बदल कर और भी कुछ श्रेणियों के व्यक्तियों को इसके योग्य बनाया गया है. 

इनमें शामिल हैं वो व्यक्ति जिन्होंने सात साल तक जम्मू और कश्मीर में पढ़ाई की हो और दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षा प्रदेश के ही किसी स्कूल या कॉलेज से दी हो, वो बच्चे जिनके माता-पिता प्रदेश में 10 सालों तक केंद्र सरकार के किसी भी पद पर काम कर चुके हों और वो व्यक्ति जिन्हें प्रदेश के रिलीफ एंड रिहैबिलिटेशन कमिश्नर ने बतौर प्रवासी पंजीकृत किया हो.

इन सभी श्रेणियों के व्यक्ति अब जम्मू और कश्मीर में स्थानीय नौकरियों के लिए आवेदन कर पाएंगे और प्रदेश में जमीन या मकान खरीद पाएंगे. इसके पहले ये अधिकार सिर्फ उन लोगों को प्राप्त थे जो पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य की विधान सभा द्वारा निर्धारित परिभाषा के तहत स्थानीय निवासी माने जाते थे. यह प्रावधान जम्मू और कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 35 ए के तहत प्राप्त था जिस केंद्र ने अगस्त 2019 में निरस्त कर दिया.

Kashmir "Internet-Express"
तस्वीर: Reuters/A.

जम्मू और कश्मीर के राजनीतिक नेतृत्व में डोमिसाइल नीति में लाये गए इन बदलावों के प्रति खासी नाराजगी दिख रही है. पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने नई नीति को खोखला बताया है और कहा है कि स्थानीय लोगों के अधिकारों की रक्षा के जो वादे किए गए थे उनमें से किसी भी वादे को निभाया नहीं गया है. उन्होंने नई नीति को इस समय लाने की भी आलोचना की है. 

पूर्व वित्त मंत्री सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने नई नीति की कड़ी आलोचना की है और इसे प्रदेश के लोगों के प्रति धोखा बताया है. बुखारी ने हाल ही में एक नई राजनीतिक पार्टी जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी की स्थापना की है. उनका कहना है कि नई नीति से प्रदेश के स्थायी निवासियों के अधिकार छिन जाएंगे और इस से बाहरी लोगों का प्रदेश में नौकरियों और संपत्ति पर कब्जा हो जाएगा. 

राजनीतिक विश्लेषक संजय कपूर की इस पर अलग राय है. वो याद दिलाते हैं कि बीजेपी ने वादा तो यह किया था कि धारा 370 और 35 ए हटाने के बाद जम्मू और कश्मीर में बाहर के लोग भी नौकरियां ले पाएंगे और वहां बस पाएंगे, लेकिन यह घोषणा उस से कुछ कदम पीछे है. संजय मानते हैं कि शर्तों पर डोमिसाइल देने का मतलब है बीजेपी को यह एहसास हुआ है कि जम्मू और कश्मीर के स्थानीय लोगों की भावनाओं का ख्याल रखना बेहद जरूरी है.

देखना होगा कि आने वालों दिनों में इस नीति को लेकर प्रदेश में क्या प्रतिक्रिया देखने को मिलती है.

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