धूल में बदला आइसन
११ दिसम्बर २०१३आइसन की उड़ान पर नजर रख रहे अमेरिकी नेवल रिसर्च लैब के कार्ल बैटम्स ने बताया, "इस वक्त ऐसा लग रहा है कि कुछ भी नहीं बचा है." अमेरिकी शहर सैन फ्रैंसिस्को में एक सम्मलेन में उन्होंने कहा, "मैं आप सब से माफी चाहता हूं, धूमकेतु आइसन अब नहीं रहा, लेकिन उसकी याद हमेशा रहेगी."
धूमकेतु दरअसल धूल और बर्फ के गोले होते हैं. इनकी खास बात यह होती है कि कुछ साल बाद इन्हें फिर से देखा जा सकता है. सबसे मशहूर है हेलीज कॉमेट, जो करीब 75 साल बाद धरती के इतने पास से गुजरता है कि नंगी आंखों से भी उसे देखा जा सकता है. आम तौर पर धूमकेतुओं को देखने के लिए दूरबीन की जरूरत पड़ती है. साथ ही ये एक बहुत ही लंबे अंतराल पर दिखाई पड़ते हैं, जो कि कई सैकड़ों साल का भी हो सकता है.
धूमकेतु आइसन पिछले दिनों सुर्खियों में बना रहा क्योंकि यह सूरज के बहुत ही करीब से गुजर रहा था. वैज्ञानिक जानना चाहते थे कि क्या आइसन सूरज की गर्मी बर्दाश्त कर सकेगा, इस धूमकेतु के अंदर क्या मौजूद है और वह गर्मी से कैसे बदलता है. पर आइसन पर नजर रखने के लिए उन्हें सिर्फ दो हफ्तों का समय मिला. नवंबर के अंत में यह सूरज के 12 लाख किलोमीटर करीब पहुंचा और भस्म हो गया.
सोमवार को इस धूमकेतु को मृत घोषित कर दिया गया. नासा की एक सहयोगी वेबसाइट पर खगोलविज्ञानी टोनी फिलिप्स ने लिखा, "धूमकेतु आइसन अब केवल धूल का एक बादल है." उन्होंने लिखा कि दिसंबर के आसमान में पेशेवर खगोल फोटोग्राफर ही "आइसन की धुंधलाती हुई आत्मा" को देख पाएंगे, पर नंगी आंखों से इसे अनुभव करने "का कोई सवाल ही खड़ा नहीं होता."
आईबी/एमजी (एएफपी/रॉयटर्स)