धूम्रपान की चपेट में भारत के गरीब
११ नवम्बर २०१२विश्व स्वास्थ्य संगठन डब्ल्यूएचओ का कहना है कि सामाजिक स्तर भी धूम्रपान की आदत को प्रभावित करता है. सर्वे में लिखा है कि गरीबों में से 46.7 प्रतिशत लोग सिगरेट पीते हैं जबकि अमीरों में यह आंकड़ा केवल 21.8 प्रतिशत है. यह शोध तंबाकू के खिलाफ की जा रही एक मुहिम का हिस्सा है. भारत में 35.3 प्रतिशत पुरुष और 7.6 प्रतिशत महिलाएं धूम्रपान करती हैं.
इस रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए क्षेत्रीय कैंसर शोध केंद्र के डॉक्टर आर जयकृष्णन ने कहा कि तंबाकू की वजह से कैंसर से जूझने वाले मरीज ज्यादातर कम आमदनी वाले परिवारों से आते हैं. इस वक्त कुछ ऐसी रणनीति की जरूरत है जो समाज में इन परिवारों पर ध्यान दे.
लेकिन चिंता इस बात की है कि भारत में 25 प्रतिशत से ज्यादा लोग तंबाकू का सेवन करते हैं. शोध से पहले कुछ ऐसी रिपोर्टें थीं कि गरीब परिवारों में तंबाकू के नशे में फंसे लोग अमीर परिवारों के मुकाबले ज्यादा हैं. शोध में 48 विकासशील और गरीब देशों में लगभग दो लाख लोगों से पूछताछ की गई और देखा गया कि समाज के कौन से वर्गों में सिगरेट पीने वालों की संख्या ज्यादा है.
हालांकि अर्थशास्त्री टीके ऊमेन का कहना है कि गरीबी और तंबाकू के सेवन में संबंध स्थापित करना इतना आसान नहीं है. उनके मुताबिक इस नशे से जूझने के लिए अलग अलग दिशाओं में काम शुरू करने की जरूरत है. इसके लिए गरीबों को समझाना होगा कि तंबाकू छोड़ने से क्या फायदे होते हैं. उन्हें प्रोत्साहन देना होगा. तंबाकू पर और टैक्स लगाना होगा और गरीबों को रोजगार के बेहतर मौके देने होंगे.
2009-2010 में भारतीय स्वास्थ मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक शोध किया जिससे पता चला है कि सिगरेट पीने वाले भारत में हर महीने लगभग 400 रुपये खर्च करते हैं. बीड़ी में 93 रुपये खर्च होते हैं. जहां तक महिलाओं का सवाल है, अमीरों के मुकाबले गरीब महिलाएं चार गुना ज्यादा सिगरेट पीती हैं.
एमजी/ओएसजे(पीटीआई)