'दो आरोपियों से हत्या की धारा हटाओ'
२८ जनवरी २०१३दिल्ली के 16 दिसंबर के बलात्कार कांड की सुनवाई कर रही फास्ट ट्रैक अदालत के सामने दलील रखते हुए दो आरोपियों के वकील वीके आनंद ने कहा, "अदालत को हत्या समेत कई धाराएं हटानी चाहिए, क्योंकि इनके खिलाफ कोई सबूत ही नहीं हैं." दिल्ली पुलिस ने सभी आरोपियों पर बलात्कार, हत्या, साजिश रचने और सबूत मिटाने जैसी धाराएं लगाई हैं. अभियोजन पक्ष छह में से पांच आरोपियों को मौत की सजा देने की मांग कर रहा है.
अभियोजन पक्ष की दलीलों का खंडन करते हुए बचाव कर रहे वकील ने कहा, "पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में भी मौत के कारणों का जिक्र नहीं किया गया है." ऐसे में उनके दो मुवक्किलों पर लगाई गई हत्या की धारा हटाई जानी चाहिए. भारतीय अदालतों में मुकदमे को आगे बढ़ाने से पहले जांच एजेंसी के आरोप पत्र में लगाई गई धाराओं पर सुनवाई होती है. सुनवाई के बाद अभियुक्तों पर अदालत आरोप तय करती है और फिर आगे की कार्रवाई होती है.
छठा आरोपी नाबालिग
सोमवार को बलात्कार कांड में एक और मोड़ आया. सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड के छठे आरोपी के नाबालिग होने की पुष्टि हो गई. अब उसका मामला नाबालिग जस्टिस बोर्ड में चलेगा. आरोपी ने स्कूल का सर्टिफिकेट पेश किया. सर्टिफिकेट के निरीक्षण के बाद यह साफ हो गया कि 16 दिसंबर को वारदात वाले दिन आरोपी की उम्र 17 साल छह महीने थी. वकील ईशकरण सिंह भंडारी ने फैसले की जानकारी देते हुए कहा, "वह 18 साल से कम उम्र का है. नाबालिग जस्टिस बोर्ड ने स्कूल सर्टिफिकेट में दर्ज जन्मतिथि के आधार पर इस आरोपी को नाबालिग माना है."
अभियोजन पक्ष ने आरोपी के नाबालिग करार दिए जाने के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने की बात कही है. भारत में नाबालिग आरोपी को ज्यादा से ज्यादा तीन साल की सजा हो सकती है. सजा के दौरान उसे बाल सुधार गृह में रखा जाता है.
दिल्ली में बलात्कार की यह दिल दहला देने वाली घटना 16 दिसंबर की रात को हुई. एक बस में सवार छह आरोपियों ने 23 साल की छात्रा और उसके मित्र को बस में चढ़ाया. आरोपों के मुताबिक अभियुक्तों ने छात्रा से बर्बरता से बलात्कार किया. बलात्कार के बाद उसके जननांगों में लोहे की रॉड घुसा दी गई. छात्रा को बुरी तरह पीटा भी गया. चलती बस में बलात्कार करने के बाद आरोपियों ने छात्रा और उसके मित्र को बिना कपड़ों के सड़क पर फेंक दिया. घटना के 13 दिन बाद सिंगापुर के अस्पताल में पीड़ित की मौत हो गई.
जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफारिशें
इस वाकये ने भारत को हिला कर रख दिया. दिल्ली समेत तमाम शहरों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर प्रदर्शन हुए. सरकार ने कड़ा कानून बनाने का वादा किया. कड़े कानून का आधार तय करने के लिए जस्टिस जेएस वर्मा की अगुवाई में कमेटी बनाई गई. कमेटी ने 23 जनवरी को गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी. समिति की रिपोर्ट में सरकार और सरकारी तंत्र पर भी खूब नाराजगी जताई गई. प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई पर जस्टिस वर्मा ने केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह को लताड़ लगाई. जस्टिस वर्मा के मुताबिक नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने में नाकाम गृह सचिव को दिल्ली पुलिस की कार्रवाई के लिए माफी मांगनी चाहिए. प्रदर्शनकारी युवाओं की सराहना करते हुए जस्टिस वर्मा ने कहा, "युवाओं ने हमें बता दिया है कि हम क्या हैं. पुरानी पीढ़ी इससे वाकिफ नहीं है. जिस तरह से शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए, उससे मैं प्रभावित हूं. युवा एक मौके लिए आगे आए."
समिति ने यह भी कहा कि कई सार्वजनिक संस्थाओं की नाकामी की वजह से कानून व्यवस्था चरमराई हुई है. यौन हमलों के मामलों को तो सबसे कम प्राथमिकता दी जाती है. यह सिफारिश भी की गई कि बलात्कार के मामलों में उदासीनता दिखाने वाले पुलिस कर्मियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. बलात्कार के आरोपी सैनिक या सैन्य अधिकारी पर कोर्ट मार्शल नागरिक अदालत में मुकदमा चलना चाहिए.
समिति ने महिलाओं को जानबूझ कर आपत्तिजनक ढंग से छूने, उनके साथ अजीबी सी भाव भंगिमा से पेश आने, पीछा करने, अभद्र टिप्पणी करने या यौन इच्छा के चलते घूरने को भी यौन अपराधों की श्रेणी में डालने का सुझाव दिया है. कानून को ठीक ढंग से लागू न करने पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को भी जवाबदेह बनाने की सिफारिश की गई है. सम्मान के लिए महिलाओं की हत्या करने के मामलों पर टिप्पणी करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि नारी झूठे सम्मान का शिकार बन रही हैं. खाप पंचायतो के ऊल जलूल फैसलों को कमेटी ने तर्कहीन करार दिया और सरकार से ऐसी पंचायतों पर नियंत्रण रखने की मांग की.
हालांकि जस्टिस वर्मा कमेटी ने बलात्कार के आरोपियों को मौत की सजा देने की वकालत नहीं की है. कमेटी का कहना है कि दोषियों को जिंदगी भर की जेल की सजा होनी चाहिए. महिला संगठनों ने कमेटी के सुझावों का स्वागत किया है. दिल्ली पुलिस की पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी ने सिफारिशों को क्रांतिकारी बताते हुए आम लोगों से इनका समर्थन करने की अपील की है.
ओएसजे/एजेए (डीपीए, पीटीआई)