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देवेंद्र फड़णवीस ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया

२६ नवम्बर २०१९

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अजित पवार ने इस्तीफा दे दिया. बदलते घटनाक्रम में बीजेपी के फडणवीस के पास अब और कोई विकल्प नहीं था. कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना पहले ही 162 विधायकों को अपने पक्ष में दिखा चुके हैं.

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Indien Maharashtra Ministerpräsident Devendra Fadnavis
तस्वीर: P. Paranjpe/AFP/Getty Images

23 नवम्बर की सुबह देवेंद्र फडणवीस के अचानक महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बन जाने से जो घटनाक्रम शुरू हुआ उसका मंगलवार शाम नाटकीय ढंग से अंत हो गया. सुप्रीम कोर्ट के बहुमत परीक्षण के आदेश के कुछ ही घंटों बाद फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.

एक प्रेस कांफ्रेंस में अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए फडणवीस ने कहा कि बीजेपी के पास विधायकों का संख्या-बल नहीं है और पार्टी ने पहले दिन से यह तय किया था कि पार्टी विधायकों की खरीद-फरोख्त में नहीं पड़ेगी. 

इसके ठीक पहले एनसीपी के बागी नेता अजित पवार ने भी उप-मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके पास फडणवीस के पास इस्तीफे के अलावा और कोई चारा भी नहीं बचा था. अब उनके इस्तीफे से कल होने वाले बहुमत परिक्षण की आवश्यकता भी खत्म हो गई है. 
माना जा रहा है की अब तुरंत ही शिव सेना, कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन बना कर सरकार बनाने के दावा राज्यपाल के सामने पेश करेंगे. 

Indien  Supreme Court in New Delhi Oberster Gerichtshof
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Qadri

इससे पहले मंगलवार सुबह सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि बुधवार 27 नवम्बर को महाराष्ट्र विधान सभा में बहुमत परीक्षण होगा और फडणवीस को बहुमत साबित करना होगा. 

अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि परीक्षण प्रो-टेम स्पीकर कराएगा, विधायकों द्वारा मतदान का सीधा प्रसारण भी किया जाएगा और सारी प्रक्रिया शाम पांच बजे तक पूरी करनी होगी. 

आदेश के मायने 

इस आदेश को कांग्रेस, एनसीपी और शिव सेना ने अपनी जीत बताया है. तीनों दलों की अदालत में मांग यही थी कि बहुमत परिक्षण जल्द से जल्द कराया जाए. हालांकि उन्होंने ये मांग रविवार 24 नवम्बर को ही रख दी थी जब उन्होंने याचिका दायर की थी. इसका मतलब उनकी मांग के माने जाने में तीन दिनों का विलम्ब पहले ही हो चुका है. 

Ajit Pawar
तस्वीर: UNI

बीजेपी के लिए यह आदेश निश्चित रूप से निराशाजनक रहा क्योंकि पार्टी अदालत से बहुमत परीक्षण के लिए और समय मांग रही थी.  

288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधान सभा में बहुमत साबित करने के लिए किसी भी दल या गठबंधन को कम से कम 145 विधायकों का समर्थन हासिल करना होगा. बीजेपी के पास अपने 105 विधायक हैं, लिहाजा उसे 40 अतिरिक्त विधायकों की आवश्यकता थी. 

कांग्रेस, एनसीपी और शिव सेना का दावा है कि उनके पास 162 विधायकों का समर्थन है. इसे दिखाने के लिए तीनों दलों ने सोमवार शाम मुंबई में एक होटल में सभी 162 विधायकों को जनता के सामने प्रस्तुत किया. इन दलों का कहना है कि सभी विधायकों का गठबंधन को समर्थन अटल है. 

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