दीवार के लिए पैसा न मिला तो ट्रंप लगाएंगे इमरजेंसी
१५ फ़रवरी २०१९अमेरिकी कांग्रेस की ओर से उनके पास हस्ताक्षर के लिए भेजे गए बिल में दीवार के लिए डेमोक्रैट्स ने 1.37 अरब डॉलर की राशि मंजूर की है जबकि ट्रंप की मांग पांच अरब डॉलर से भी ज्यादा की थी. माना जा रहा है कि उन्हें मजबूरी में इसपर हस्ताक्षर करने पड़े हैं और एक तरह से अपने समर्थकों के बीच अपनी इस हार को जीत की शक्ल देने के लिए उन्होंने राष्ट्रीय इमरजेंसी की घोषणा पर दस्तखत करने का एलान किया है. अमेरिकी संविधान के तहत खजाने की चाभी कांग्रेस के हाथों में होती है लेकिन असाधारण स्थिति में राष्ट्रपति इमरजेंसी का एलान करके फौज और रक्षा विभाग के बजट का इस्तेमाल कर सकते हैं.
गौरतलब है कि ट्रंप ने आप्रवासन को अपना सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया था और उन्होंने देश की दक्षिणी सीमा पर 230 मील से भी लंबी ठोस दीवार बनाने का वादा किया था. साथ ही उन्होंने ये भी कहा था कि दीवार का पैसा वो मेक्सिको से वसूलेंगे जिसपर उन्हें अपने समर्थकों से खासी वाहवाही मिली थी. जाहिर है मेक्सिको दीवार के लिए अरबों डॉलर देने को कभी तैयार नहीं हुआ.
ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद जैसे-जैसे आप्रवासन का मुद्दा जोर पकड़ता गया, उनपर अपने अति-दक्षिणपंथी समर्थकों की ओर से दीवार बनाने का दबाव भी बढ़ता गया. लेकिन जब कांग्रेस के दोनों सदनों में उनकी पार्टी का बहुमत था तब भी वो दीवार के लिए पैसा नहीं निकलवा पाए और अब जब प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रैट्स को बहुमत है तो ये और मुश्किल हो गया है और उसकी काट के तौर पर उन्होंने इस इमरजेंसी का एलान किया है.
डेमोक्रैट्स और ट्रंप की अपनी रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सदस्य भी इस फैसले से खासे नाराज हैं. कांग्रेस के पास ये अधिकार तो नहीं है कि वो राष्ट्रपति को इमरजेंसी लागू करने से रोक सके लेकिन यदि उन्हें ये लगता है कि ये फैसला गैर-जिम्मेदाराना है तो नेशनल इमरजेंसी एक्ट के तहत वो दोनों सदनों के साझा प्रस्ताव से इसे खत्म कर सकते हैं. कुछ रिपब्लिकंस भी ट्रंप के फैसले से नाराज है इसलिए संभव है कि ये प्रस्ताव पारित हो जाए लेकिन यदि ऐसा होता भी है तो ट्रंप के पास उसपर वीटो लगाने का अधिकार है. और उस वीटो को खारिज करने के लिए जिस दो तिहाई वोट की जरूरत होगी डेमोक्रैट्स के लिए उसे हासिल करना फिलहाल असंभव सा दिखता है.
ऐसे में इस इमरजेंसी को तोड़ने का दूसरा रास्ता कानूनी है यानि कांग्रेस के सदस्य अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं लेकिन वहां ये लड़ाई लंबी चल सकती है. विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप इस लड़ाई को तब तक ही खींचेंगे जब तक उन्हें ये लगेगा कि उन्हें इसका राजनीतिक फायदा मिल रहा है.
विशेषज्ञ अपनी राय दे चुके हैं कि देश की दक्षिणी सीमा पर ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा जिसकी वजह से आपातस्थिति लागू कर दी जाए. हाल ही में अमेरिकी खुफिया विभागों ने देश पर जो खतरे हैं उनका लेखा-जोखा पेश किया था लेकिन उसमें मेक्सिको से लगती सीमा का जिक्र तक नहीं था. स्पष्ट है कि अमेरिका एक असाधारण स्थित का नहीं बल्कि एक असाधारण राजनीति का सामना कर रहा है.