'आप' ने दिल्ली में पूरी की हैट-ट्रिक
११ फ़रवरी २०२०दिल्ली विधान सभा चुनावों में लगातार तीसरी बार जीत दर्ज करके दिल्ली में ही जन्मी आम आदमी पार्टी ने अपनी हैट-ट्रिक पूरी कर ली है. पार्टी ने 2015 के पिछले विधान सभा चुनावों में जो भारी बहुमत हासिल किया था, एक बार फिर उसी तर्ज पर जीत हासिल की है.
अरविन्द केजरीवाल की 'आप' ने दिल्ली विधान सभा की 70 सीटों में से 63 पर जीत हासिल की है. सात सीटों पर कब्जे के साथ बीजेपी दूसरे नंबर पर रही. 15 सालों तक राजधानी में सत्ता में रही कांग्रेस एक बार फिर अपना खाता तक खोलने में विफल रही. आप के लिए 2015 के मुकाबले ये चार सीटों की गिरावट है और बीजेपी के लिए चार की बढ़त. इस चुनाव में पड़े कुल वोटों में आप की हिस्सेदारी में दो प्रतिशत से भी कम की गिरावट आई है. ये सभी तथ्य इस तरफ इशारा करते हैं कि दिल्ली के मतदाताओं ने आप के कार्यकाल पर पूरी संतुष्टि से मुहर लगाई है.
बीजेपी के लिए ये नतीजे शर्मिंदगी का कारण बन कर आए हैं. प्रचार में पार्टी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत केंद्रीय मंत्रिमंडल के सभी मंत्रियों और कुल मिलाकर 200 से भी ज्यादा बड़े नेताओं के प्रचार करने के बावजूद पार्टी जीतना तो दूर, जीती हुई सीटों को दो अंकों तक में नहीं पहुंचा सकी.
इसके अलावा ये नतीजे पार्टी की चुनावी रणनीति पर भी एक तरह का जनमत-संग्रह है. पार्टी ने अपने काम पर जनता से वोट मांगे ही नहीं थे, बल्कि उन्होंने नागरिकता कानून के विरोध की आलोचना को अपना केंद्रीय मुद्दा बना रखा था. जाहिर है, इस रणनीति को जनता ने सिरे से नकार दिया और बीजेपी को लगातार तीसरे राज्य में सत्ता का स्वाद चखने से वंचित कर दिया. इससे पहले बीजेपी झारखंड में विधान सभा चुनाव हारी थी, महाराष्ट्र में सरकार बनाने में असफल रही थी और हरियाणा में चुनाव हारते हारते बची थी.
समीक्षकों की इन नतीजों पर लगभग एक जैसी ही राय है. वरिष्ठ पत्रकार निखिल वागले ने ट्विटर पर लिखा कि ये विकास की राजनीति की विजय है.
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक संजय कपूर ने ट्वीट किया कि दिल्ली ने जेएनयू, जामिया और गार्गी कॉलेज में युवाओं के खिलाफ हुई हिंसा के खिलाफ वोट दिया.
दूसरी राजनीतिक पार्टियों ने भी आप और दिल्ली के लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने जा रहे अरविन्द केजरीवाल को बधाई दी. अपने बधाई संदेश में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि जो नेता नफरत फैलाने वाले भाषणों और बांटने वाली राजनीति के जरिए आस्था से खेलते हैं उन्हें इन नतीजों से सबक लेना चाहिए.
सीपीआई (एम) के नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट किया कि चूंकि बीजेपी ने खुद ही दिल्ली के चुनावों को नागरिकता कानून के खिलाफ पूरे देश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों पर एक जनमत संग्रह के रूप में बदल दिया था, चुनाव हार जाने पर अब उसे नतीजों से सबक लेना चाहिए और नागरिकता कानून को वापस ले लेना चाहिए.
आरजेडी के नेता और बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि आप की जीत ध्रुवीकरण और बांटने की राजनीति की हार है.
जिस चुनावी वर्ष की दिल्ली के साथ शुरुआत हुई है उसमें आगे बिहार और पश्चिम बंगाल का भी नंबर है. देखना होगा कि दिल्ली में हार के बाद बीजेपी इन राज्यों में क्या रणनीति अपनाती है.
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