दिल की मांसपेशियों की मरम्मत
१२ जून २०११हालांकि चूहे पर किया गया यह शोध मनुष्यों पर किया जाना बाकी है और वह बहुत आरंभिक स्तर पर है, शोध के नतीजे दिखाते हैं कि भविष्य में ऐसी दवा का विकास किया जा सकता है जो दिल को दौरा पड़ने के बाद हुए नुकसान का मरम्मत करने में मदद देगा.
शोध दल का नेतृत्व करने वाले यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के पॉल रिली ने कहा, "मैं हार्ट अटैक की बीमारी वाले एक मरीज की टेबलेट खाने की कल्पना कर सकता हूं जो उनके दल को ऐसा बना देंगे कि यदि उनके हार्ट अटैक होता है तो नुकसान की भरपाई हो सके."
मेडिकल साइंस में पिछले सालों में हुए महत्वपूर्ण विकासों ने हृदयाघात से मरने वाले लोगों की संख्या घटाने में मदद दी है, लेकिन उससे होने वाला नुकसान स्थायी होता है. ऑक्सीजन के अभाव में दिल के सेल मर जाते हैं. मृत टिश्यू की संख्या बढ़ने से हृदय गति रुकने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि दिल पर्याप्त मात्रा में खून पंप नहीं कर पाता है.
दुनिया भर में वैज्ञानिक दिल के उतकों को पुनर्जीवित करने के विभिन्न तरीकों पर काम कर रहे हैं लेकिन फिलहाल दिल की गंभीर बीमारी वाले लोगों को कृत्रिम उपकरणों या ट्रांसप्लांट की मदद लेनी पड़ रही है.
राइली की टीम ने दिल के बाहरी परत में पाए जाने वाले एपीकार्डियम सेलों को निशाना बनाया है. इन्हें एपीकार्डियम डिराइव्ड प्रोजेनिटर सेल्स (ईपीडीसीज) कहा जाता है और वे दिल की मांसपेशियों सहित विभिन्न प्रकार के विशेष सेलों में विकसित हो सकते हैं.
वैज्ञानिकों को पहले लगता था कि ईपीडीसीज की बदलने की क्षमता वयस्क होने पर समाप्त हो जाती है, लेकिन राइली की टीम ने पाया है कि थाइमोसिन बीटा 4 से स्वस्थ दिल वाले चूहों का उपचार करने से वे दिल को अपने नुकसान की मरम्मत करने की हालत में ला पाए.
संवर्धित चूहों में हर्ट अटैक करवाने के बाद शोधकर्ताओं ने उन्हें थाइमोसिन बीटा 4 का डोज दिया जिसने ईपीडीसीज को कार्डियोमाइसाइट्स में बदलने और मौजूदा मांशपेशियों के साथ घुलने मिलने को प्रोत्साहित किया. पुराने अध्ययनों में थाइमोसिन बीटा 4 खून की धमनियों के विकास को प्रोत्साहित करने और चूहों में दिल के संचालन को बेहतर बनाने में सहायक रहा है. यह पहला मौका है जब शोधकर्ताओं ने इसका इस्तेमाल दिल की मांशपेसियों के विकास के लिए किया है.
रिपोर्ट: रॉयटर्स/महेश झा
संपादन: एस गौड़