दस लाख आबादी वाले धारावी में कैसे रुकेगा कोरोना?
३ अप्रैल २०२०विश्व की बड़ी झुग्गी बस्तियों मे से एक धारावी में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज की मौत के बाद प्रशासन की नींद उड़ी हुई है. सघन बस्ती होने के कारण यहां संक्रामण के फैलने की आशंका अधिक है. धारावी मे सोशल डिसटेंसिंग जैसे कदमों को अपनाने में आ रही दिक्कतों ने भी राज्य सरकार की चिंता बढ़ा दी है.
पिछले 72 घंटों में कोरोना वायरस के 3 मामले सामने आने और एक मौत होने के बाद पूरे धारावी को विशेष निगरानी वाले क्षेत्र मे रखा गया है. संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए धारावी बस्ती की कुछ जगहों को सील कर दिया गया है.
पुलिस सतर्कता बढ़ी
स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता की बात यह भी है कि धारावी के जिस शख्स की मौत हुई है, वह कभी विदेश भी नहीं गया था. ऐसी आशंका है मृतक को किसी स्थानीय व्यक्ति से संक्रमण हुआ होगा। यही आशंका प्रशासन की परेशानी भी बढ़ा रही है. धारावी में रहने वाले चार ऐसे लोगों का पता चला है कि जो दिल्ली में तबलीगी जमात में शामिल हुए थे. अब यह जांच भी की जा रही है कि कहीं धारावी की इस मौत का संबंध तबलीगी जमात के धार्मिक कार्यक्रम से तो नहीं है.
इसी बीच झुग्गी बस्ती का एक डॉक्टर भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया है. केस कंफर्म होने के बाद डॉक्टर और उसके परिजनों को क्वॉरंटीन कर दिया गया है. इस बीच प्रशासन, डॉक्टर के संपर्क में आए लोगों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में जुट गया है. इसके पहले धारावी में तैनात बीएमसी कर्मी भी कोरोना पॉजिटिव पाया गया था. स्थानीय विधायक और राज्य की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ का कहना है कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं. उनका कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है.
बृह्नमुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी ऐसे लोगों की सूची बना रही है जो 60 साल से अधिक उम्र के हैं और उन्हें श्वास संबंधी दिक्कतें हैं. इन सभी की जांच की जाएगी.
धारावी महामारी का आसान शिकार
धारावी को दुनिया के सबसे सघन रिहाइशी इलाकों में गिना जाता है. एक अनुमान के मुताबिक लगभग 550 एकड़ में फैली इस झुग्गी बस्ती में करीब दस लाख लोग रहते हैं. स्पष्ट है कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां छोटी सी जगह में कई लोग रहते हैं. कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जरूरी सोशल डिसटेंसिंग का धारावी मे पालन हो पाना एक बड़ी चुनौती है. यहां का जनसंख्या वितरण, झुग्गियों के बीच न के बराबर दूरी और बेहिसाब गंदगी स्वास्थ्य कर्मियों की नींद उड़ाने के लिए काफी है.
ब्रिटिश काल में मजदूरों के लिए बसाया गया यह स्लम आज भी कम खर्च में सिर के ऊपर छत चाहने वालों का आसान ठिकाना है. यहां लाखों की संख्या में दिहाड़ी मजदूर और छोटे कारोबारी रहते हैं. इन लोगों मे शिक्षा का स्तर संतोषजनक नहीं है. स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता भी यहां काफी कम है. किसी भी महामारी के लिए ऐसे क्षेत्र बिलकुल मुफीद होते हैं. धारावी बस्ती में रहने वाले और चमड़े का कारोबार करने वाले अजीम वीरानी कहते है कि यहां कोई भी बीमारी आसानी से फैल सकती है.
झुग्गी बस्तियों और चालों पर खतरा
धारावी के अलावा भी मुंबई में कई झुग्गी बस्तियां है. धारावी से पहले मुंबई की ही एक अन्य झुग्गी बस्ती वर्ली कोलिवाड़ी में कोरोना वायरस का संक्रमण पहुंच चुका है. यहां की एक महिला के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि होने के बाद वर्ली कोलिवाड़ी इलाके को भी सील किया जा चुका है. इसके अलावा सघन आबादी वाले चालों मे भी बीएमसी का स्वास्थ्य विभाग निगरानी बनाए हुए है. बोरीवली के एक चॉल में रहने वाले महेंदर शर्मा कहते हैं कि संकरी गलियों में दूरी बना पाना आसान नहीं है फिर भी लोग कोशिश तो कर ही रहे हैं. झुग्गी बस्तियों में सोशल डिसटेंसिंग का पालन हो पाना मुश्किल है. प्रशासन को भी इस बात की जानकारी है. इसे देखते हुए यहां लॉकडाउन का पालन कराने के लिए पुलिस गश्त लगा रही है.
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