दलाई लामा का बयान राजनीतिक नाटकः चीन
११ मार्च २०११चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जियांग यू ने बताया, "तिब्बत की आजादी की मांग से जुड़े कार्यकर्ताओं के पीछे दलाई लामा का ही दिमाग काम कर रहा है. वह पिछले सालों में कई बार रिटायरमेंट की बात कह चुके हैं और हमें लगता है कि इसके जरिए वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को धोखा देने की कोशिश कर रहे हैं. जहां तक तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र पर चीन की नीति की बात है हम व्यवस्था को बेहतर बनाने की कोशिश जारी रखेंगे. तिब्बत के आर्थिक और सामाजिक विकास में उसे पूरा सहयोग दिया जाएगा."
धर्मशाला में तिब्बतियों के धार्मिक गुरू दलाई लामा ने घोषणा की है कि निर्वासित सरकार के राजनीतिक प्रमुख के पद से वह हट जाएंगे. हालांकि वह आध्यात्मिक गुरू बने रहेंगे और तिब्बत के लिए अर्थपूर्ण स्वायत्ता की मांग करते रहेंगे. लेकिन उनकी इस घोषणा पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है. चीन ने तिब्बत की निर्वासित सरकार को गैरकानूनी राजनीतिक संगठन करार दिया है और कहा है कि इसे किसी भी देश ने मान्यता नहीं दी है.
दलाई लामा के बयान को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्रीय पीपल्स कांग्रेस की स्थायी समिति के चेयरमैन कियांगबा पुनकोग ने चाल बताया है. शिन्हुआ न्यूज एजेंसी ने उनके हवाले से लिखा है, "यह झूठ, चाल और राजनीतिक नाटक है जिससे तिब्बत की स्थिरता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. अतीत में भी दलाई लामा इस तरह की बातें कर चुके हैं और इसके जरिए वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी ओर खींचना चाहते हैं."
पुनकोग के मुताबिक दलाई लामा पहले भी इस तरह के संन्यास की बात कर चुके हैं. "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह कब रिटायर होते हैं. अपने बयान के जरिए उन्होंने कहा है कि चीन की एकता को चोट पहुंचाने और उसे तोड़ने की कोशिशों को वह नहीं छोड़ेंगे."
75 साल के दलाई लामा पिछले 6 दशकों से तिब्बत की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं. नोबेल पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने यह कहकर सबको चौंका दिया कि वह "औपचारिक अधिकार" अब एक ऐसे नेता को सौंप देंगे जिसका चुनाव किया जाएगा. हालांकि उन्होंने भरोसा दिया है कि तिब्बत के मुद्दे पर वह अपनी भूमिका से पीछे नहीं हटेंगे.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: आभा एम