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समाज

इंजीनियर पर दर्जनों बच्चों के यौन शोषण का आरोप

समीरात्मज मिश्र
१८ नवम्बर २०२०

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से सिंचाई विभाग के एक जूनियर इंजीनियर को बच्चों का यौन शोषण करने के आरोप में गिरफ्तार किया. आरोप हैं कि अभियुक्त पिछले 10 साल में 50 से ज्यादा बच्चों का यौन शोषण किया है.

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Symbolbild - Kindesmissbrauch
तस्वीर: Imago Images/blickwinkel/McPhoto/Bergsteiger

जूनियर इंजीनियर रामभवन बच्चों के साथ अश्लील फोटो और वीडियो बनाकर ऑनलाइन बेचता भी था. सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता वीके निरंजन के मुताबिक जूनियर इंजीनियर के अनैतिक आचरण में लिप्त होने के कारण कर्मचारी आचरण संबंधी प्रावधानों के तहत उसे निलंबित किया गया है. अधिकारियों के मुताबिक अभियुक्त रामभवन सिंह पर चित्रकूट, बांदा और हमीरपुर जिलों में 5 से 16 साल की आयु के करीब 50 बच्चों के साथ दुष्कर्म करने के आरोप हैं. मंगलवार को सीबीआई ने उसे बांदा से गिरफ्तार किया. सीबीआई को तलाशी के दौरान आठ मोबाइल फोन, करीब आठ लाख रुपये नकदी, सेक्स टॉय, लैपटॉप और बड़ी मात्रा में बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री जैसी चीजें मिली हैं.

सीबीआई के प्रवक्ता आरके गौड़ ने बताया कि रामभवन को बांदा जिले से गिरफ्तार करने के बाद बुधवार को विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया जहां उसे एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. उनके मुताबिक, पूछताछ में रामभवन ने बताया कि वह अपनी इस करतूत के लिए बच्चों को मोबाइल फोन और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का लालच देता था ताकि बच्चे किसी को इस बारे में कुछ बता न सकें. गिरफ्तारी के दौरान अभियुक्त के पास से बड़ी मात्रा में बच्चों की अश्लील तस्वीरें और वीडियो बरामद हुए हैं, जिसे वह डार्कवेब और क्लाउड के जरिए ऑनलाइन बेचकर मोटी कमाई करता था. डार्क वेब इंटरनेट की वह दुनिया है जहां हर तरह का काला कारोबार चलता है. यहां ड्रग्स, पोर्न और हथियारों का भी कारोबार चलता है. इस वेब का इस्तेमाल करने वालों को पकड़ना आसान नहीं होता. इसीलिए अपराधी इसके इस्तेमाल को सुरक्षित मानते हैं.

अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जांच

सीबीआई टीम इस मामले में इंजीनियर के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को भी खंगाल रही है और यह जानने की कोशिश कर रही है कि कहीं इस अपराध का कोई बड़ा नेटवर्क तो काम नहीं कर रहा है जो छोटे शहरों से ऐसे अपराधों को अंजाम दे रहा हो. बाल यौन शोषण से संबंधित मामलों की जांच के लिए सीबीआई ने दिल्ली मुख्यालय में एक विशेष यूनिट की स्थापना की है. अधिकारियों के मुताबिक, अभियुक्त ने जिन 50 से ज्यादा बच्चों को अपनी दरिंदगी का शिकार बनाया है, उनमें से ज्यादातर बच्चे चित्रकूट और बांदा जिले से हैं. यही नहीं, ज्यादातर बच्चे अभियुक्त के रिश्तेदार या फिर परिवार के ही हैं.

दिल्ली से आई सीबीआई टीम ने 3 नवंबर मंगलवार को रामभवन और उसके ड्राइवर अभय कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी. अभियुक्त बांदा जिले के नरैनी कस्बे का रहने वाला है और सिंचाई विभाग में चित्रकूट जिले में साल 2010 से तैनात है. साल 2012 में कपसेठी गांव की एक युवती ने खुदकुशी की थी. इस मामले में इंजीनियर और उसके चालक पर युवती के परिजनों ने प्रताड़ित करने समेत कई आरोप लगाए थे. युवती के परिजनों ने अदालत में पूरे मामले की सीबीआई जांच करने की मांग की थी. सीबीआई ने यह गिरफ्तारी उसी मामले में की थी. दरअसल, अभियुक्त रामभवन के खिलाफ पिछले काफी समय से सीबीआई को इनपुट्स मिल रहे थे. उसके बाद सीबीआई ने इस मामले में एक विशेष टीम का गठन करके रामभवन को गिरफ्तार किया है.

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बच्चों के यौन शोषण की समस्या दूसरे देशों में भीतस्वीर: Imago Images/M. Elsser

हर दिन सौ से ज्यादा का यौन शोषण

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्‍यूरो यानी एनसीआरबी के डाटा के अनुसार, भारत में हर दिन सौ से ज्यादा बच्चे यौन शोषण के शिकार होते हैं. एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इसमें करीब 22 फीसदी की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. एनसीआरबी के ये आंकड़े इस साल जनवरी के हैं.  जानकारों के मुताबिक, जनवरी के बाद ऐसे मामले और ज्यादा बढ़े हैं. इंडिया चाइल्ड प्रोटेक्शन फंड के एक सर्वेक्षण के मुताबिक, लॉकडाउन में देश के बड़े शहरों में 'चाइल्ड पोर्न, 'सेक्सी चाइल्ड' और 'टीन सेक्स वीडियो' नाम से इंटरनेट सर्च में काफी बढ़ोतरी हुई थी. बच्चों के यौन शोषण से जुड़े मामलों में लॉकडाउन के दौरान कुछ समय को छोड़ दिया जाए तो उसके बाद कोई खास कमी नहीं आई है. 

लॉकडाउन लगने के बाद अप्रैल महीने में महाराष्ट्र पुलिस ने चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामलों में 133 एफआईआर दर्ज की और 46 लोगों को इन मामलों में गिरफ्तार किया गया. इसके अलावा केरल में भी इसी साल जून महीने में चाइल्ड पोर्नोग्राफी के केस में 47 लोगों को गिरफ्तार किया गया. केरल पुलिस ने इन अभियुक्तों के पास से करीब 150 इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस भी जब्त की थीं.

साल 2012 में भारत में बच्चों को यौन हिंसा से बचाने वाला पॉस्को कानून बनाया गया लेकिन इस कानून के तहत पहला मामला दर्ज होने में दो साल लग गए. साल 2014 में नए कानून के तहत करीब नौ हजार मामले दर्ज किए गए लेकिन उसके बाद इस कानून के तहत दर्ज मामलों में कमी आती गई जबकि बच्चों के यौन शोषण और हिंसा के मामले बढ़ते गए. मसलन साल 2014 में ही एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, बच्चों के साथ बलात्कार के तेरह हजार से ज्यादा मुकदमे दर्ज किए गए थे.

बाल अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कानून बहुत अच्छा बना है लेकिन इसके तहत मामले दर्ज करने और फिर सजा दिलाने की दर में काफी फर्क है. सुप्रीम कोर्ट में वकील दिलीप पाराशर कहते हैं कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि अभियुक्त अक्सर पीड़ितों के करीबी ही होते हैं और वो उन पर आरोप से मुकर जाने या फिर आरोप वापस लेने का दबाव बनाते हैं.

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