तालिबान ने सैकड़ों साथी छुड़ाए
३० जुलाई २०१३डेरा इस्माइल खान शहर में मंगलवार सुबह तक संघर्ष जारी रहा और खबरों के मुताबिक कम से कम 250 तालिबान जेल से छुड़ा लिए गए हैं. यह इलाका अफगानिस्तान से सटे खैबर पख्तूनख्वाह में आता है, जहां कानून व्यवस्था का बुरा हाल है.
इस दुस्साहसी अभियान से पाकिस्तानी तालिबान की शक्ति का भी पता चलता है, जिसे पड़ोसी मुल्क अफगानिस्तान के तालिबान का पूरा साथ हासिल है. रिपोर्टों में बताया गया है कि जिन लोगों को छुड़ाया गया है, उनमें कई दर्जन खूंखार आतंकवादी हैं.
पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कई बार तालिबान के साथ बातचीत की पेशकश की है लेकिन अब वह कह रहे हैं कि शायद फौजी ताकत के इस्तेमाल से बचा नहीं जा सकता है.
पूरी तैयारी के साथ
जेल के पास पहुंचे तालिबान ने पहले बम के धमाकों से बिजली गुल कर दी और उसके बाद जेल की दीवारों को ढाह दिया. इसके बाद रॉकेट लॉन्चरों और हथगोले छोड़ते तालिबान लड़ाके जेल के अंदर घुस गए और लाउडस्पीकर की मदद से तालिबान कैदियों के नाम पुकारने लगे.
प्रांतीय जेल के प्रमुख खालिद अब्बास का कहना है, "वहां घुप्प अंधेरा था. हमें पता नहीं चल रहा था कि क्या चल रहा है. सिर्फ इतना पता था कि वहां लड़ाई चल रही है." अधिकारियों ने इसके बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया. गोलियों से छलनी जेल की दीवार के पास बाद में बम नाकाम करने वाले दस्ते तैनात किए गए.
तालिबान की इस कार्रवाई ने पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. तालिबान ने इस काम के लिए ऐसा दिन चुना, जिस दिन पाकिस्तान अपने नए राष्ट्रपति का चुनाव कर रहा है. दो दिन बाद शियाओं का एक बड़ा जलसा होने वाला है और सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि उस दिन तालिबान हमले कर सकता है.
सबसे सुरक्षित जेल
खैबर पख्तूनख्वाह के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, "इस जेल की सुरक्षा में कई जवान तैनात थे और इसे प्रांत की सबसे सुरक्षित जेलों में माना जाता है. हम इस बात की जांच करेंगे कि किस तरह कबायली इलाके से आकर आतंकवादियों ने जेल में सेंध लगाई और अपने साथियों को छुड़ा कर ले गए."
एक और अधिकारी ने बताया कि उन्हें इस बात की चेतावनी दो हफ्ते पहले ही मिली थी कि इस तरह की कार्रवाई हो सकती है. उन्होंने बताया कि टेलीफोन संदेशों की निगरानी के दौरान ऐसा पता चला था और इस बारे में उच्च अधिकारियों को खबरदार कर दिया गया था.
पाकिस्तानी तालिबान का दावा है कि उन्होंने 100 लड़ाकों का दस्ता भेजा, जिसमें सात खुदकुश हमलावर भी शामिल थे. उसका कहना है कि उन्होंने 250 तालिबान साथियों को छुड़ा लिया है. पाकिस्तान सरकार के आंकड़े भी कुछ ऐसे ही हैं.
खतरनाक कैदी भागे
शहर के सिविल कमिश्नर मुश्ताक जादून का कहना है कि 253 कैदी भागने में कामयाब रहे, जिनमें 30 बड़े आतंकवादी और मौत की सजा पाए छह कैदी शामिल हैं. बताया जाता है कि भागने के बाद वे आसानी से वजीरिस्तान में सरक गए, जहां कानून व्यवस्था काबू से बाहर है.
हमले के दौरान तालिबान लड़ाकों ने पास के एक घर और अस्पताल पर भी कब्जा कर लिया और वहां से पुलिसबलों पर गोलियां चलाईं. पुलिस कांस्टेबल गुल मुहम्मद का कहना है कि जब वह घटनास्थल की ओर भागे, तो उन्हें दो राइफलधारी लड़कों ने घेर लिया, "उन्होंने मुझसे रुकने को कहा. मैंने बताया कि मैं पुलिस का आदमी हूं तो उन्होंने मुझ पर गोलियां चला दीं." मुहम्मद को तीन गोलियां लगी हैं.
इस जेल में करीब 5000 कैदी थे, जिनमें तालिबान के अलावा सुन्नी आतंकवादी संगठन लश्कर ए जंगवी के आतंकी भी थी. लश्कर ए जंगवी ने हाल के दिनों में कई बार शिया मुसलमानों को निशाना बनाया है. शुरुआती जांच में पता चला है कि ड्यूटी पर जरूरत से कम गार्ड तैनात थे.
एजेए/एमजी (एएफपी, रॉयटर्स)