डायनासोर उल्का पिंड की टक्कर से ही खत्म हुए
९ दिसम्बर २०२२6.6 करोड़ साल पहले वसंत के मौसम में एक दिन एक प्रलय ने विशाल डायनासोर समेत धरती की करीब तीन चौथाई प्रजातियों को मिटा दिया था. यह प्रलय एक विशाल उल्कापिंड के टकराने से आई थी. करीब 12 किलोमीटर के व्यास वाला यह उल्का पिंड मेक्सिको के यूकेटेन प्रायद्वीप से टकराया था.
डायनासोर पर संकट
कुछ लोग यह सवाल भी उठाते हैं कि क्या डायनासोर के पहले ही विलुप्त होने की प्रक्रिया नहीं शुरू हो गई थी. इन लोगों का मानना है कि उत्पत्ति की दर में लगातार और तेजी से बदलाव हो रहा था. साथ ही बहुरूपता की उलझनें भी थी ऐसे में इन विशाल जीवों के अस्तित्व पर संकट तो रहा ही होगा. उत्तरी अमेरिका में खाद्य श्रृंखला और पारिस्थितिकीय आवासों के मॉडल बनाने वाली एक नई स्टडी ने इसका जवाब "ना" में दिया है. रिसर्चरों का कहना है कि डायनासोर उल्कापिंड के टकराने के कारण ही खत्म हुए. जिस वक्त यह घटना हुई उस वक्त वो धरती पर सबसे विकसित और विशाल जीवों में थे और निरंतर विकास कर रहे थे.
बस पैदा होने ही वाला था वह डायनासोर
रिसर्चरों ने क्रेटेसियस युग को खत्म करने वाले उल्का पिंड के टकराने से 1.8 करोड़ साल पहले से लेकर उसके 40 लाख साल बाद पैलियोजिन युग की शुरुआत तक के समय पर नजर डाली है. पैलियोजिन युग वह समय है जब डायनासोर के अंत के बाद स्तनधारियों ने चिड़ियों से अलग धरती पर अपना दबदबा बढ़ाना शुरू किया.
उत्तरी अमेरिका उस समय के जीवाश्मों के रिकॉर्ड रखने के हिसाब से दुनिया के बेहतरीन हिस्से में एक है. 1,600 से ज्यादा जीवाश्मों के आधार पर रिसर्चरों ने धरती और ताजे पानी में रहने वाले कशेरुकी जीवों की खाद्य श्रृंखला और आवास के लिए पसंद का मॉडल तैयार किया है. इसमें टी रेक्स जैसे विशालकाय मांसाहारी जीवों से लेकर, तीन सींगों वाले ट्राइसेरोटॉप्स, टैंक के आकार वाले एंकिलोसॉरस, क्रॉक, कछुए, मेंढ़क, मछली और बहुत सारे दूसरे छोटे स्तनधानरियों को शामिल किया गया है जो विशाल डायनासोर के कदमों में रहा करते थे.
रिसर्चरों ने पता लगाया है कि डायनासोर ने पारिस्थितिकी के लिहाज से अपने लिए स्थायित्व हासिल कर लिया था और उसके हिसाब से खुद को अनुकूलित भी कर लिया था. फिनलैंड की ओउलु यूनिवर्सिटी और स्पेन की लियोन यूनिवर्सिटी के इकोलॉजिस्ट जॉर्ज गार्सिया गिरोन साइंस एडवांसेज में छपी इस रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखक हैं. उनका कहना है, "दूसरे शब्दों में कहें तो डायनासोर अपनी शीर्ष स्थिति से नीचे आ रहे थे." हालांकि स्तनधारी उस समय बाद के उदय के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहे थे.
स्तनधारी और दूसरे जीवों का विकास
स्तनधारियों ने अपने पारिस्थितिकीय खासियतों में थोड़ा बदलाव किया और अलग अलग तरह के पोषण, व्यवहार जलवायु को लेकर सहनशीलता पर ध्यान लगाया. डायनासोर भी विकसित हो रहे थे और अपने आखिरी दौर में अनुकूलित भी हो रहे थे. उस समय नई प्रजातियों का विकास हो रहा था और पुरानी प्रजातियां गायब हो रही थीं. अलग अलग तरह के मध्यम आकार वाले शाकाहारी जीव
शाकाहारी डायनासोर की कुछ प्रजातियों की जगह ले रहे थे.
डायनासोर परिवारों के जीवाश्मों के रिकॉर्ड के आधार पर पहले की कुछ रिसर्चों में कहा गया है कि उल्कापिंड के टकराने से पहले ही डायनासोर की जैवविविधता घटने लगी थी. नई रिसर्च रिपोर्ट के सहलेखक और एडिनबरा यूनिवर्सिटी के जीवाश्म विज्ञान स्टीव ब्रुसेट का कहना है, "ऐसे विचार हैं कि डायनासोर तो लुप्त होने की राह पर थे और इस लंबी प्रक्रिया के मध्य में ही एस्टेरॉयड ने उन्हें पूरी तरह खत्म कर दिया. हम प्रतिबद्धता के साथ यही कह सकते हैं कि पारिस्थितिकीय स्थिरता के साथ डायनासोर मजबूत हो रहे थे और यह ऐसा ही चलता कि तभी एक उल्कापिंड ने उन्हें खत्म कर दिया."
उल्कापिंड के टकराने से बदली धरती
सच्चाई यह है कि डायनासोर अपने जलवायु और वातावरण में अच्छे से अनुकूलित हो गए थे. ब्रुसेट का कहना है, "जब एस्टेरॉयड टकराया तो यहां हर तरफ उथल पुथल मच गई और डायनासोर उन बदली परिस्थितियों में खुद को संभाल नहीं सके क्योंकि जिस दुनिया की उनको आदत थी वह अचानक बदल गई."
स्पेन की विगो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और रिसर्च रिपोर्ट के सहलेखक आलेसांद्रो चियारेंजा का कहना है, "हमारी स्टडी बताती है कि शायद बहुत सारे पारिस्थितिकीय कारकों के बीच आपस में खेल हुआ होगा. इसमें शरीर का आकार, पोषण, आचार-व्यवहार और पारिस्थितिकी को लेकर लचीलेपन ने कुछ छोटे जीवों को पैदा किया जिनमें एस्टेरॉयड से टकराने के बाद बचे रहने की ज्यादा क्षमता थी."
एस्टेरॉयड के टकराने से पहले जो स्तनधारी थे उसमें अब लु्प्त हो चुके चूहे और इसी तरह के कुछ जीव थे. बड़े पैमाने पर जीवों के विलुप्त होने के बाद नये स्तनधारी उभरे इनमें ट्रू प्लैसेंटल भी थे. ये वो जीव हैं जो काफी हद तक विकसित बच्चों को जन्म देते हैं. आज के दौर में व्हेल और चमगादड़ों से लेकर इंसान तक इसी समूह में आते हैं. उल्कापिंड की टक्कर के बाद स्तनधारियों के शरीर के आकार और पारिस्थितिकीय प्रकारों में बहुत तेजी से विस्तार हुआ.
स्तनधारियों और डायनासोर की उत्पत्ति की कहानी एक जैसी है. ये दोनों ट्रियासिक युग में यानी करीब 23 करोड़ साल पहले धरती पर आये और बढ़ने शुरू हुए. ब्रुसेट का कहना है, "यहां से ये दोनों अलग अलग तरीके से बढ़े, डायनासोर खूब विशाल हो गये जबकि स्तनधारी छोटे रहे और साये में पलते रहे. हालांकि दोनों की किस्मत हमेशा के लिए एक दूसरे से जुड़ गई. जब उल्का पिंड टकराया तब स्तनधारी भी वहां थे, वो उसके बाद भी बने रहे. हमारे पूर्वजों ने उस उल्कापिंड को देखा था."
एनआर/वीके (एपी)