जॉब्स का जादूगर देश
४ जनवरी २०१९चेक गणराज्य की राजधानी प्राग से लगभग 50 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में मालदा बोल्स्लाव में रोज की तरह आज भी एक आम दिन है. सड़क पर सब लोग इधर उधर आते जाते दिख रहे हैं. हर कोई स्कोडा ऑटो की वजह से व्यस्त है.
1991 में जर्मनी के फोक्सवागन समूह में शामिल होने वाली स्कोडा ऑटो एक चेक कार निर्माता कंपनी है. यह निश्चित रूप से देश में सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाली और सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) और निर्यात में सबसे बड़ा योगदान देने वाली कंपनी है.
अगर आप चेक गणराज्य में बढ़ती नौकरियों का कारण जानना चाहते हैं तो आप स्कोडा ऑटो के योगदान को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं. स्कोडा ऑटो के मानव संसाधन प्रबंधन बोर्ड के सदस्य बोहदान वोयनार बताते हैं कि पिछले आठ सालों में कंपनी के कर्मचारियों की संख्या 40 प्रतिशत बढ़ी है."
अभी स्कोडा ऑटो के तीन प्रोडक्शन सेंटरों - म्लादा बोल्स्लाव, क्वासिनी और वर्चलाबी और म्लादा बोल्स्लाव के पास स्थित एक लॉजिस्टिक्स सेंटर में कुल मिलाकर पैंतीस हजार लोग काम करते हैं, जिसमें कई अस्थायी कर्मचारी भी हैं.
राष्ट्रव्यापी घटना
बोहदान वोयनार का कहना है कि ऐसा नहीं कि ऐसा हाल केवल स्कोडा ऑटो में है. वे कहते हैं कि फिलहाल पूरे देश में हमारे पास पूर्ण रोजगार है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि बीते कई महीनों से जितने रोजगार हैं, बेरोजगारों की संख्या उससे कम ही रही है.
यह बात कुछ अन्य यूरोपीय संघ के देशों के लिए भी सही हो सकती है. लेकिन चेक गणराज्य ने 28-सदस्यीय ईयू ब्लॉक में जनवरी 2016 के बाद से लगातार सबसे कम बेरोजगारी दर रखी है. पूरे यूरोपीय संघ के आंकड़ों को मिलाकर निकाले जाने वाले 'हार्मनाइज अनइम्प्लॉइमेंट रेट' (HUR) से भी इस बात की पुष्टि होती है. HUR की परिभाषा के हिसाब से बेरोजगार वे लोग होते हैं, जिनकी काम करने की उर्म हो, वे काम के लिए उपलब्ध हों, काम पाने के लिए उन्होंने कोशिश की हो और फिर भी उन्हें कोई काम ना मिल पाया हो.
स्वस्थ औद्योगिक जड़ें
वोयनार मानते हैं कि "मजबूत श्रम बाजार का सबसे बड़ा कारण है देश की मजबूत औद्योगिक नींव और कुशल श्रमिकों की अच्छी संख्या.
फोकस इकोनॉमिक्स में चेक रिपाबलिक के एक विशेषज्ञ जेवियर कोलातो भी वोयनार की बात से सहमत हैं. डॉयचे वेले से बातचीत में कोलातो ने कहा, "चेक मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन का कारण है तेजी से बढ़ता ऑटोमोबाइल उद्योग, जिसने चेक अर्थव्यवस्था की भी मदद की है और लेबर मार्केट को भी कसा है." चेक अर्थव्यवस्था को विदेशी पूंजी से भी मदद मिली है जिनके लिए कम मजदूरी बहुत आकर्षक होती है. कोलातो ने बताया कि "2017 में देश में औसत प्रति घंटा श्रम लागत 11.30 यूरो थी, जो यूरोपीय संघ के औसत 26.80 यूरो से काफी कम है."
कम मजदूरी निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण नहीं
ऐसा नहीं हैं कि सिर्फ कम मजदूरी की वजह से देश ने यह उपलब्धि हासिल की है. बुल्गारिया, हंगरी और पोलैंड में भी मजदूरी कम है और चेक गणराज्य में तो मजदूरी बढ़ रही है. तब भी चेक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पूरे यूरोपीय संघ में सबसे बड़ा है क्योंकि उसका योगदान घरेलू अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा है.
इसकी वजह से 1.06 करोड़ लोगों के देश में एक तिहाई लोगों को काम मिलता है. मगर बदलते वक्त के साथ चुनौतियां भी बढ़ रही हैं और भविष्य के लिए नई ताकत ढूंढ़नी पड़ेगी. ओईसीडी के एक अध्ययन में बताया गया है कि ऑटोमेशन की वजह से सबसे ज्यादा नौकरियां चेक रिपब्लिक और स्लोवाकिया में जाएंगी क्योंकि स्लोवाकिया में भी ज्यादा काम कारखानों में होता है.
स्कोडा ऑटो जैसी कंपनियों ने भी भविष्य की तैयारी रोबोटीकरण और ऑटोमेशन के साथ शुरु कर दी है. अब ये देखना होगा कि क्या चेक कंपनियां इस नई चुनौती के लिए तैयार हैं और क्या उनकी शिक्षा व्यवस्था सही समय पर सही लोगों को काम पर लगा सकती है. कुछ अर्थशास्त्रियों को शिक्षा व्यवस्था पर उतना भरोसा नहीं है, मगर वो ये भी मानते हैं कि ऑटोमेशन की वजह से बहुत ज्यादा नौकरियां भी नहीं जाएंगी.
चेक गणराज्य के उद्योग परिसंघ के बोर्ड में भी शामिल वोयनार का कहना है कि "देश की बाकी सेक्टरों की कंपनियां भी नई टेक्नॉलजी और रुझान पर काम करने के लिए हमेशा से तैयार रही हैं." जैसे कि चेक आईटी सुरक्षा फर्म अवास्ट और घरेलू क्रिस्टल ग्लासमेकिंग उद्योग जिन्होंने पुराने और नये काम करने के तरीके को मिला के काम किया है. ऐसी कई कंपनियों ने देश में नौकरियों को बढ़ावा देने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
हार्डी ग्राउपनर/एनआर