जेल के वो 27 साल
६ दिसम्बर २०१३जेलरों के सामने मंडेला ने खुद को कभी कमजोर नहीं दिखाया. कभी उन्होंने लिखा था कि किस तरह जेल के एक कमरे में वह अपनी पत्नी के लिए इंतजार किया करते. मंडेला ने स्वीकार किया था कि वह भावनाओं में बहे जाते थे "लेकिन जेल अधिकारियों को इसकी भनक नहीं लगने देते".
एंथनी सैंपसन ने मंडेला की जीवनी में लिखा है, "ऐसा लगता था कि वह अपने साथ जेल की कालकोठरी लिए चला करते थे, जो उन्हें बाहर की दुनिया से अलग करती थी."
लंबे वक्त तक जेल में समय बिताने के बाद जब वह बाहर निकले, तो पत्रकारों में उनके निजी जीवन को जानने की भी उत्सुकता थी. मंडेला ने आत्मकथा 'लांग वॉक टू फ्रीडम' में लिखा है, "मैं कभी भी ऐसा शख्स नहीं था कि जो सार्वजनिक तौर पर अपनी निजी जिंदगी के बारे में बताने में सहज महसूस करे."
रोबेन आइलैंड जेल
दक्षिण अफ्रीका की सबसे खूंखार जेल रोबेन आइलैंड वह जेल है, जहां मंडेला को दो बार भेजा गया. अब इसे म्यूजियम बना दिया गया है और सैलानियों का तांता लगा रहता है. मंडेला को पहली बार 1962 में इसी जेल में भेजा गया. उस वक्त उन पर मामूली राजनीतिक आरोप लगे थे. उन्हें कुछ दिन बाद रिहा कर दिया गया. दोबारा जब वे इस जेल में आए, तो सत्ता को उखाड़ फेंकने के गंभीर आरोप में और उन्हें सजा मिली उम्र कैद की.
उस वक्त मंडेला की उम्र 46 साल थी. उन्हें दूसरे कैदियों के साथ दिन में आठ से 10 घंटे काम करना पड़ता. पत्थर तोड़ने पड़ते. उन्हें चार कैदियों के साथ जंजीरों में बांधा जाता. पत्थर पर पड़ने वाली सूरज की किरणों की वजह से मंडेला की आंखें हमेशा के लिए खराब हो गईं. हालांकि इसके बाद भी वह दूसरे कैदियों पर नहीं भड़कते थे.
पिता की तरह
जेल के एक वार्डन क्रिस्टो ब्रांड ने बताया, "वह मेरे साथ हमेशा दोस्ताना, सौम्य और मददगार की तरह रहे." ब्रांड 1978 से 1990 तक मंडेला के साथ थे. उनका कहना है, "वह तो मेरे पिता की तरह बन गए थे. अगर मुझे किसी तरह की मदद चाहिए होती, तो मैं सीधे उनसे पूछता और मुझे वह मदद करते." मंडेला ने आत्मकथा में जेल के अकेलेपन को जिक्र किया है, "रोबेन आइलैंड निश्चित तौर पर दक्षिण अफ्रीका की सबसे खतरनाक जगह थी."
केपटाउन से 10 किलोमीटर दूर यह छोटा सा टापू तट से ज्यादा दूर नहीं दिखता. लेकिन नाव से यहां पहुंचने में आधा घंटा लगता है. मंडेला ने लिखा, "रोबेन आइलैंड पर जाते वक्त लगता कि आप किसी दूसरे देश जा रहे हैं. यह इतने बियाबान जगह में था कि यह सिर्फ एक जेल नहीं, बल्कि अपने आप में अलग दुनिया लगती थी. ऐसी दुनिया, जो हमारी दुनिया से बहुत अलग है."
मंडेला की याद
जेल के बी सेक्शन में आज भी एक मेज पर राजनीतिक कैदी मंडेला की धातु की कप और प्लेट पड़ी हैं. यहां की खिड़की से गलियारा दिखता है. मंडेला ने इस जेल के बारे में बताया, "मैं अपनी कोठरी सिर्फ तीन कदम में नाप लेता. जब मैं लेटता तो मेरे पैर और मेरा सिर दोनों दीवारों को छूते थे."
मंडेला के साथ उनका कैदी नंबर 466/64 भी अमर हो गया, जो अब एड्स के खिलाफ मुहिम की पहचान बन चुका है. इस टापू को 1999 में यूनेस्को ने विश्व की ऐतिहासिक धरोहर घोषित कर दिया.
एजेए/एए (एएफपी, रॉ़यटर्स)