जापान में फिर शुरू हो सकते हैं परमाणु संयंत्र
६ अक्टूबर २०१७नियामक के इस निर्णय की देश भर में आलोचना हो रही है. परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के करीब रहने वाले लोग, सामाजिक कार्यकर्ता, गैरपरमाणु ऊर्जा की पैरवी करते समुदायों का कहना है कि संयंत्र के संचालकों ने साल 2011 की फुकुशिमा त्रासदी से बिना कोई सबक लिए परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में दोबारा कदम बढ़ाये हैं. प्राधिकरण ने पुष्टि करते हुए कहा कि उत्तरी जापान तट में काशिवाजकी-कारिवा क्षेत्र में 6 से 7 रिएक्टरों का परिचालन शुरू किया जा सकता है जिनके सुरक्षा मानक, फुकुशिमा संकट के बाद तय किए गए मानकों को संतुष्ट करते हैं. इसके पहले भी जापान में कुछ परमाणु ऊर्जा ऑपरेटरों को रिएक्टर चालू करने की अनुमति दी गई थी जो फुकुशिमा त्रासदी के बाद बंद कर दिए गए थे. हालांकि यह पहला मौका है जब टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (टेपको) को ऊर्जा उत्पादन के साथ आगे बढ़ने की अनुमति मिली है.
साल 2011 में जापानी तट पर आए भूकंप और सुनामी ने फुकुशिमा त्रासदी को खड़ा कर दिया था, सुरक्षा मानकों की इस अनदेखी के लिए इसी टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (टेपको) की काफी निंदा भी की गई थी. जापानी सरकार का अनुमान था कि इस संयंत्र को सुरक्षित और पुख्ता बनाने साथ ही आसपास के क्षेत्र की सफाई में कम से कम से तीन दशक का समय और 176 अरब डॉलर का खर्च होगा. यह अनुमान साल 2013 में टेपको की ओर से दिए गए अनुमानों के मुकाबले दोगुना है.
हालांकि कंपनी के लिए काशिवाजकी-कारिवा में संयंत्र शुरू करना आसान नहीं है. मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली टोक्यो की संस्था न्यूक्लिर इनफॉरमेशन सेंटर की प्रवक्ता कैटलिन स्टोनेल के मुताबिक, "जिन रिएक्टर की बात की जा रही है उनकी डिजाइन फुकुशिमा के रिएक्टरों की ही तरह है और अब तक टेपेको यह नहीं बता सकी है कि फुकुशिमा त्रासदी के क्या कारण थे." उन्होंने कहा कि जांच नतीजों की अगले तीन सालों में आने की कोई उम्मीद भी नहीं है.
स्टोनेल कहती हैं, "टेपको इन दिनों वित्तीय दवाब से जूझ रही है और इसलिए कंपनी अपने संयंत्रों को दोबारा खोलने के लिए उत्सुक है लेकिन मुझे नहीं लगता कि यह कोई पर्याप्त कारण है." उन्होंने बताया कि पहले ही एक रिपोर्ट में यह कहा जा चुका है कि परमाणु संयंत्रों वाला काशिवाजकी-कारिवा के क्षेत्र में भूंकप का खतरा है. फुकुशिमा त्रासदी के देश के अन्य परमाणु संयंत्रों को भी बंद कर दिया गया था. हालांकि अब सवाल है कि क्या स्थानीय लोग टेपको के साथ है. सामाजिक कार्यकर्ताओं की ही तरह जापानी मीडिया भी यह सवाल उठा रही है कि क्या टेपको के पुराने इतिहास को देखते हुए इस पर विश्वास किया जा सकता है.
ज्यूलियन रेयाल/एए