जल्द संभव है पीठ दर्द का इलाज
१५ अगस्त २०११वैज्ञानिक इस तरह की कोशिश कर रहे हैं कि प्राकृतिक और जैविक डिस्क पीठ दर्द के इलाज का जवाब बन जाएं. अमेरिका में शोधकर्ताओं ने शुरुआती टेस्ट किए हैं. शोधकर्ताओं ने भेड़ की कोशिकाओं से डिस्क बनाई और चूहों में लगाई है. इस स्तर पर यह परीक्षण कामयाब रहा है. प्रत्यारोपण के बाद चूहे आराम से चलते फिरते नजर आए.
जैविक डिस्क 6 महीने बाद चूहों की रीढ़ में एकीकृत हो चुकी थीं. डिस्क के कारण पीठ और गर्दन में दर्द होता है. जिसकी वजह से इलाज में बहुत सारे पैसे खर्च होते हैं. ज्यादातर मामलों में इन बीमारियों का इलाज रूढ़िवादी उपचारों से होता है. जिसमें फिजियोथेरेपी और दवाई शामिल है. एक और विकल्प ऑपरेशन है. ऑपरेशन की मदद से काम करना बंद कर चुकी डिस्क हटाकर मेकेनिकल डिस्क लगाई जाती है.
अलग अलग मत
चिकित्सा विशेषज्ञ इस तरह के प्रत्यारोपण के लाभों पर बंटे दिखते हैं. इसके अलावा प्रत्यारोपित डिस्क कई बार समय के बीतने पर ढीले और अपनी जगह से हट जाती हैं. न्यूयॉर्क के कोर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता रॉबी बॉवेल्स की नेतृत्व में विशुद्ध रूप से जैविक डिस्क प्रत्यारोपण का परीक्षण किया गया. शुरुआत में वैज्ञानिकों ने एक मॉडल तैयार किया जिसमें कंप्यूटर टोमोग्राफी की मदद से बदली जाने वाली डिस्क की तस्वीर तैयार की गई. उसके बाद शोधकर्ताओं ने उस मॉडल की मदद लेकर भेड़ की कोशिकाओं का इस्तेमाल करते हुए मॉडल तैयार किया.
मनुष्यों में मुश्किल
शोधकर्ताओं ने जैविक डिस्क को चूहों की रीढ़ में प्रत्यारोपित किया. छह महीने बाद यह साफ हो गया कि जैविक डिस्क ने अपनी ऊंचाई बनाए रखी और वह रीढ़ के ऊतक में एकीकृत हो गईं. लेकिन मनुष्यों पर परीक्षण किए जाने से पहले कई मुद्दों पर रोशनी डालनी होगी. चूहों की पूंछ में पाए जाने वाली डिस्क से मनुष्यों की डिस्क कहीं बड़ी होती है.
यह अब तक साफ नहीं हो पाया कि प्रत्यारोपित कोशिकाएं किस तरह से संक्रमित वातावरण में प्रतिक्रिया करेंगी. प्रत्यारोपण से पहले चूहों की डिस्क स्वास्थ्य थीं. अगर किसी मरीज को डिस्क की जरूरत होती है तो वह मामला पूरी तरह से अलग होगा. इसके अलावा भेड़ की कोशिकाओं का इस्तेमाल करके मनुष्यों के लिए डिस्क तैयार करना उचित नहीं समझा जाता है.
रिपोर्ट: डीपीए/ आमिर अंसारी
संपादन: आभा एम