जर्मनी में बढ़ रहे हैं वीगन प्रेमी
२५ अगस्त २०१४वीगन होना यानी पशु उत्पादों का किसी भी रूप में इस्तेमाल न करना. पक्के वीगन तो दूध और दूध से बनने वाली दूसरी चीजें भी नहीं खाते. कोलोन के सिटी सेंटर में वीगन खाने पीने की एक साधारण सी दिखती छोटी दुकान है. गोल्डेनेन साइटेन नाम की इस दुकान में वीगन इस्तेमाल की सारी चीजें मिलती हैं, नो चीज से लेकर कुत्ते और बिल्लियों के खाने तक. दुकान की मालकिन अनेटे क्लीत्स एक तरह की वीगन एक्सपर्ट हैं, पर हमेशा ऐसा नहीं था. वे बताती हैं, "दस साल पहले वीगन सामान खरीदने में बहुत मुश्किल हुआ करती थी. मेरे पास दो छोटे फ्रिज और चार रैक थे. बस इतना ही सामान हुआ करता था."
खुद अपनी दुकान खोलना भी उनके अपने फायदे में था. अनेटे बताती हैं, "मेरे लिए आम आदमी के रूप में वीगन सामान खरीदना बड़ा मुश्किल था. और चूंकि मैं खुद खुदरा दुकानों में काम करती रही हूं, मेरे लिए सबसे आसान था खुद अपनी दुकान खोलना." पूरी तरह शाकाहारी होने की वीगन जिंदगी उन्होंने नैतिकता की वजह से चुनी है, स्वास्थ्य कारणों से नहीं. "मैं निश्चित तौर पर ऐसे वीगन के लिए एक मिसाल हूं जो पौष्टिक खाना नहीं खाते हैं. मैंने कभी स्वस्थ खाना नहीं खाया है, मेरे लिए स्वाद जरूरी है."
खुल गए हैं वीगन रेस्तरां भी
लेकिन कोलोन के इको रेस्तरां में मेन्यू कार्ड में स्वास्थ्य सबसे प्रमुख है. यह जर्मनी के उन रेस्तरां में है जिनकी वीगन लोगों के लिए अलग सर्विस है. हालांकि कॉलेज के इलाके का यह प्रसिद्ध रेस्तरां गैर वीगन लोगों को भी आकर्षित करता है. यहां युवा मांए अपने बच्चों के साथ बैठकर लाटे मकियाटो कॉफी पीती नजर आती हैं, या फिर बूढ़े बुजुर्ग लोग और नौजवान जोड़े चाय या कॉफी के साथ समय गुजारते नजर आते हैं. कमरे में पॉप जैज संगीत बजता रहता है.
रेस्तरां की संचालिका निकोल लोएनर्ट खुद भी किचन में प्रयोग करती हैं. "मुझे सबसे ज्यादा मजा आता है मीट के डिशों को वीगन तरीके से बनाने में." वीगन ग्राहकों को वहां का खाना बहुत पसंद है, जबकि दूसरे लोग बिना जाने ही लजीज वीगन डिशों का मजा लेते हैं. लोएनर्ट कहती हैं, "मैं बहुत सी चीजों के लिए वीगन खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करती हूं और बताती नहीं हूं. मायोनेज हो या सलाद, हमेशा वीगन." उनका कहना है कि यदि वे बताने लगें तो लोग खाएंगे ही नहीं. उनका लक्ष्य है ज्यादा से ज्यादा वीगन चीजों का इस्तेमाल.
राजनीतिक पुट वाला समुदाय
उनके बहुत से ग्राहक निश्चित तौर पर बॉन के ऑस्कर रोमेरे हाउस नहीं जाएंगे जहां वीगन किचन है. इस प्रोजेक्ट हाउस में रहने वाले लोग महीने में एक बार वीगन खाना बनाने के लिए मिलते हैं. यह सबके लिए खुला है, हालांकि लोगों से चंदा लिया जाता है. ऑस्कर रोमेरे हाउस में बाहर आंगन में भी बैठा जा सकता है और यहां से इमारत के सेलर में भी जाया जा सकता है. इसका इस्तेमाल पार्टियों के लिए और खाने के लिए होता है. खाने के बाद आप यहां फलों की डिश का लुत्फ उठा सकते हैं.
कमरे में पुराने सोफे लगे हैं. यहां करीब 50 लोग बैठ सकते हैं और गपशप करते हुए खाने का मजा ले सकते हैं. यहां आने वाले ज्यादातर लोग पड़ोस में ही रहते हैं और नियमित रूप से यहां आते हैं. यहां जींस पहनने वालों से लेकर जॉगिंग सूट और पुलोवर पहने सारे किस्म के लोग दिख जाएंगे. साझापन वह होता है जो लोगों को एक साथ लाता है. नौजवानों के एक ग्रुप के साथ बात करने पर इसका पता चलता है. "मुझे अच्छा लगता है कि पैसे की परवाह किए बगैर लोग यहां आते हैं, साथ खाते हैं और अच्छी शाम गुजारते हैं."
यहां का खाना किफायती इसलिए भी है कि उसमें पास के सुपर बाजारों द्वारा फेंक दिए गए सामानों का भी इस्तेमाल होता है. एक दिन पुरानी ब्रेड और फिर ऐसा खाने के सामान जिसकी खराब होने की औपचारिक तारीख बीत चुकी है, पास की दुकानों से मुफ्त में मिलता है. अपने रोजमर्रा में बहुत से लोग वीगन खाना नहीं खाते. इस समुदाय का नैतिक आधार अहिंसा और टिकाउपन है. जो इसके लिए दलील लेकर आता है, उसे सुना जाता है. वीगन खाना भी इसमें शामिल है.
रिपोर्ट: इजाबेला बावर/एमजे
संपादन: ईशा भाटिया