जर्मनी में उड़ना सीख रहे हैं भारतीय पायलट
११ फ़रवरी २०११सीगरलैंड एयरपोर्ट पर बने एयर एलायंस फ्लाइट सेंटर को भारत में अच्छे पायलटों की मांग में हो रही वृद्धि का भरपूर फायदा मिल रहा है. असल में 35 वर्षीय अंजु वर्गीज ने सबसे पहले जर्मन मानकों के मुताबिक भारतीय छात्रों के लिए एक खास प्रोग्राम तैयार करने की बात सोची ताकि उन्हें विमान उड़ाने की बेहतरीन ट्रेनिंग मिल सके. अपने इस आइडिया पर उन्होंने 2007 में अमल करना शुरू कर दिया और भारत-जर्मन सहयोग से जर्मन फ्लाइट स्कूल एयर एलायंस की शुरुआत की. वह बताती हैं, "मैंने अपनी ट्रेनिंग भारत और जर्मनी दोनों जगह की. जब आप तुलना करते हैं तो पाते हैं कि जर्मन कसौटी और सिस्टम वाकई शानदार हैं. भारत में अब भी यहां जैसी ट्रेनिंग की सुविधाएं नहीं हैं."
वैसे अंजु अपने फ्लाइट स्कूल का ज्यादा प्रचार नहीं करतीं. वह मानती हैं कि विज्ञापनों की भीड़ में युवा सही फैसला नहीं ले पाते हैं. वह छात्रों के लिए के करियर गाइडेंस पर जोर देते हुए कहती हैं, "छात्रों को बहुत ज्यादा जानकारी मिलती है. उन्हें नहीं पता चल पाता कि कैसे बेहतरीन स्कूल को चुना जाए. उनके लिए यह बहुत जरूरी है कि क्योंकि इस वक्त बहुत सारे ट्रेनिंग स्कूल खुल गए हैं."
24 वर्षीय जॉन लीनस बचपन से ही पायलट बनने का सपना देखते रहे हैं जिसे साकार होने में बस चंद हफ्ते और बचे हैं. वह इस बात से खुश हैं कि उन्होंने ट्रेनिंग के लिए एयर एलायंस फ्लाइट सेंटर को चुना. लीनस का कहना है, "अगर आप भारत में ट्रेनिंग करते हैं तो आप छोटे एयरपोर्टों पर जाते हैं. भारत में ज्यादा एयरपोर्ट भी नहीं हैं. मैं जर्मनी में कोलोन जाता हूं. अगर आप कोलोन, डॉर्टमुंड या फ्रैकफर्ट जाते हैं तो खुद को काफी प्रोफेशनल पाते हैं. शुरू से ही."
जानकार मानते हैं कि भारत में 2020 तक यात्री विमानों की संख्या दोगुनी हो जाएगी. कुछ हफ्ते पहले ही भारत की एक निजी एयरलाइंस इंडिगो ने 180 विमान खरीदने के लिए एयरबस से 16 अरब डॉलर की डील की है. यह व्यवसायिक विमानन के क्षेत्र में सबसे बड़ी डील मानी जा रही है. लेकिन एविएशन सेक्टर को उड़ान भरने के लिए सिर्फ विमान ही काफी नहीं हैं. पायलटों, चालक दल के सदस्यों, एयर होस्टेस और ग्राउंड स्टाफ की भी जरूरत होगी. ऐसे में कहा जा सकता है कि एयर एलायंस फ्लाइट स्कूल के छात्र के लिए करियर के अच्छे मौके हैं.
रिपोर्टः एंजेलिना फोग्ट
संपादनः ए कुमार